पंडित विश्वमोहन भट्ट की वीणा के तार से निकली धुन ने जीता लेकसिटी का दिल
महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय तीन दिवसीय 55वां वार्षिक महाराणा कुंभा संगीत समारोह के दूसरे दिन आज मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में समारेाह की शुरुआत कोलकाता के संदीप भट्टाचार्य के शास्त्रीय गायन से हुई। समारोह के दूसरे सत्र में ग्रेमी अवार्ड, पद्मश्री एवं पद्मभूषण अवार्ड विजेता पं. विश्वमोहन भट्ट एवं सलिल भट्ट के मोहन वीणा वादन की प्रस्तुति हुई। पिता-पु़त्र की इस जोड़ी ने कार्यक्रम की शुरूआत खिमाज थाट का राग गावती से की। इसमें इन्होेंने अलाप, जाड़, झाला के साथ विलम्बित एवं दु्रत गत व त्रिताल में निबध रचना प्रस्तुत की तो श्रोता उसी में खो गये। तबले पर उनका साथ बनारस घराने के पं. रामकुमार मिश्रा ने दिया। वीणा व तबले की संगत ने सभी को संगीत प्रेमियों को आनन्द में डूबो दिया।
महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय तीन दिवसीय 55वां वार्षिक महाराणा कुंभा संगीत समारोह के दूसरे दिन आज मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में समारेाह की शुरुआत कोलकाता के संदीप भट्टाचार्य के शास्त्रीय गायन से हुई। समारोह के मुख्य अतिथि सिक्योर मीटर के सीएमडी संजय सिंघल एवं विशिष्ठि अतिथि आकाशवाणाी के पूर्व सहायक महानिदेशक माणिक आर्य थे। संदीप ने समारोह की शुरूआत राग मारूविहाग से विलम्बित एक ताल में रसिया होने जाउं तथा दु्रत बंदिश तीन ताल में बोल तर बत रैन दिन.. से की, तो श्रोताओं मंत्रमुग्ध हो गये। इसके बाद उन्होंने राग सोहिनी में देख वेखो मन ललचाये ..तथा फरमाईश बंदिश एक ताल में सखी केवरा.. गाया तो इस गायन ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। इनके साथ तबले पर संदीप घोष, हारमोनियम पर परोमिता मुखर्जी एवं तानपुरे पर अमरदीप शर्मा ने संगत की। किराना घराना में संगीत की शिक्षा लेने वाले संदीप के गायन के श्रोता मुरीद हो गये।
गायन को मिले तबले के साथ ने अमावस्या की पूर्व रात्रि को रोशन कर दिया। तबले व गायन की संगत एवं तबले की थाप ने श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
समारोह के दूसरे सत्र में ग्रेमी अवार्ड, पद्मश्री एवं पद्मभूषण अवार्ड विजेता पं. विश्वमोहन भट्ट एवं सलिल भट्ट के मोहन वीणा वादन की प्रस्तुति हुई। पिता-पु़त्र की इस जोड़ी ने कार्यक्रम की शुरूआत खिमाज थाट का राग गावती से की। इसमें इन्होेंने अलाप, जाड़, झाला के साथ विलम्बित एवं दु्रत गत व त्रिताल में निबध रचना प्रस्तुत की तो श्रोता उसी में खो गये। तबले पर उनका साथ बनारस घराने के पं. रामकुमार मिश्रा ने दिया। वीणा व तबले की संगत ने सभी को संगीत प्रेमियों को आनन्द में डूबो दिया।
pandit vishwmohan bhatt
जयपुर के सुप्रसिद्ध पद्मभूषण पण्डित विश्वमोहन भट्ट ने मोहन वीणा एवं सलिल भट्ट ने सात्विक वीणा वादन के साथ कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। परिषद के अध्यक्ष सज्जनसिंह राणावत ने बताया कि आज डॉ. यशवन्त कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से डॉ. यशवन्त कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से डॉ. यशवन्त कोठारी कुम्भा पुरस्कार पदम्भूषण पंडित विश्वमोहन भट्ट को प्रदान किया गया। इस अवसर पर गज़ल गायक डॉ. प्रेम भण्डारी, पी पी चटरा,पुष्पा कोठारी, महादेव दमानी, डी.पी.धाकड़, सुशील दशोरा, देवेन्द्र हिरण, डॉ. लोकेश जैन सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
इस अवसर पर संजय सिंघल ने कहा कि लगातार अनवरत रूप से 55 वर्षो से संगीत क्षेत्र में महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा आयोजित किया जा रहा यह कार्यक्रम निश्चित रूप से वंदनीय है। प्रारम्भ में डॉ. यशन्तसिंह कोठारी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस समारोह को कला एवं संस्कृति विभाग केन्द्र सरकार, राजस्थान सरकार, वेदान्ता-हिन्दुस्तान जिंक, स्टेट बैक ऑफ इण्डिया, आर.एस.एम.एम., सिंघल फाउण्डेशन, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र आदि सहित नगर के कई प्रतिष्ठानों का सहयोग मिल रहा है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लोकेश जैन ने किया।
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