दिगम्बर जैन समाज के पर्युषण पर्व प्रारम्भ, समवशरण विधान शुरू


दिगम्बर जैन समाज के पर्युषण पर्व प्रारम्भ, समवशरण विधान शुरू

आदिनाथ दिगम्बर चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आज से प्रारम्भ हुए दशलक्षण पर्व के प्रथम दिन हिरणमगरी से.11 स्थित आदिनाथ भवन में आचार्य वैराग्यनंदी एंव आचार्य सुंदरसागर महासराज के सानिध्य में 1008 श्री समवशरण विधान का ध्वजारोहण के साथ शुभारम्भ हुआ।

 

दिगम्बर जैन समाज के पर्युषण पर्व प्रारम्भ, समवशरण विधान शुरू

उदयपुर, आदिनाथ दिगम्बर चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आज से प्रारम्भ हुए दशलक्षण पर्व के प्रथम दिन हिरणमगरी से.11 स्थित आदिनाथ भवन में आचार्य वैराग्यनंदी एंव आचार्य सुंदरसागर महासराज के सानिध्य में 1008 श्री समवशरण विधान का ध्वजारोहण के साथ शुभारम्भ हुआ।

इस अवसर पर आचार्यश्री के मुखारबिंद से श्री जी का पंचामृत अभिषेक व शांतिधारा आदिनाथ भवन में कराए गई। इस अवसर पर आचार्यश्री ने अपने प्रवचन में उत्तम क्षमा दिन के बारें ने बताते हुए कहा कि आज के दिन किसी के प्रति बेर भाव या दुश्मनी का भाव नहीं रखे। अपने से कमजोर या अक्षम व्यक्ति को क्षमा करना ही सच्ची क्षमा कहलाती है। आचार्य ने कहा कि क्रोध,बैर को छोड़कर सभी से क्षमा मांगना व क्षमा करना ही उत्तम क्षमा है।

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ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक शाह व महामंत्री मदन देवड़ा ने बताया कि आचार्यश्री ने कहा कि दशलक्षण पर्व जैनों के सभी पर्वो का राजा होता है। इन पर्वो में ज्यादा से ज्यादा त्याग करना चाहिए। शरीर के श्रृंगार से ज्यादा आत्मा का श्रृंगार होना चाहिए। समवशरण विधान के सौधर्म इन्द्र महावीर भानावत, यज्ञनायक बसंत घाटियां व कुबेर सतीश गांधी परिवार है।

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