आड़म्बर मुक्त आत्म साधना का पर्व है पर्युषण
श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि जैन धर्म शासन में पर्वाधिराज पर्युंषण समस्त आडम्बर से मुक्त शुद्ध आत्म साधना का पर्व है। इस पर्व की आराधना त्याग तप दान सेवा साधना से ही की जाती है। आत्म शुद्धि ही इसका मूल ध्येय है। विश्व मैत्री इसका मौलिक उद्घोष है।
श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि जैन धर्म शासन में पर्वाधिराज पर्युंषण समस्त आडम्बर से मुक्त शुद्ध आत्म साधना का पर्व है। इस पर्व की आराधना त्याग तप दान सेवा साधना से ही की जाती है। आत्म शुद्धि ही इसका मूल ध्येय है। विश्व मैत्री इसका मौलिक उद्घोष है।
वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित विशाल धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यूं तो भारत वर्ष पर्वो का ही देश है। यहां पर हर दिन किसी न किसी पर्व से जुड़ा रहता है उतम खान-पान आमोद प्रमोद और नवीन वस्त्र धारणकर नृत्य गान करने वाले पर्व भारत में आये दिन मनाये जाते है किन्तु पर्व राज पर्युषण इन सभी बातों से अलग है। इस धार्मिक पर्व में ये सभी भौतिक साधन छोड़ दिये जाते है। साधना ही इस पर्व का मूल ध्येय रहता है।
उन्होंने कहा कि आत्मा शुद्धि का ऐसा पर्व सम्पूर्ण मानवता के लिये वरदान है। पर्युषण का विश्व मैत्री का संदेश सम्पूर्ण विश्व के लिये उपयोगी है। अंहिसा और सत्य के आदर्श आत्म शान्ति और भय मुक्ति के लिये बहुत जरूरी हो गये है। सम्पूर्ण विश्व में पर्युषण का संदेश पंहुचना चाहिये।
उन्होंने बताया कि सादगी धर्म की पहली शर्त है इसे खोकर किसी धर्म की आराधना कैसे होंगी। साधनो की कमी को देखते हुए वैसे भी सारे देश को सादगी के साथ ही जीना चाहिये। पर्युषण पर्व सादगी और साधना का पर्व है। इसे अन्तराष्ट्रीय महत्व मिलना चाहिये। सभा को विकसित मुनि जी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन श्रावक संघ मंत्री हिम्म्त बड़ाला ने किया।
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