साम्प्रदायिकता की परिधि में नहीं है ''पर्युषण पर्व"
श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि पर्वाधिराज पर्युषण की आराधना साधना के पीछे जो दृष्टिकोण है वे सार्वभौम है। उन्हें मात्र जैन समाज तक सीमित रखना उचित नही। यह पर्व में कहीं भी साम्प्रदायिकता की परिधि नहीं है और न हीं कोई साम्प्रदायिक विशेष क्रिया काण्ड़ है। यह आत्म जागरण और जीवन शुद्धि का पर्व है। विश्वमैत्री का स्वर इसकी सम्पूर्ण आराधना में निहित है।
श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि पर्वाधिराज पर्युषण की आराधना साधना के पीछे जो दृष्टिकोण है वे सार्वभौम है। उन्हें मात्र जैन समाज तक सीमित रखना उचित नही। यह पर्व में कहीं भी साम्प्रदायिकता की परिधि नहीं है और न हीं कोई साम्प्रदायिक विशेष क्रिया काण्ड़ है। यह आत्म जागरण और जीवन शुद्धि का पर्व है। विश्वमैत्री का स्वर इसकी सम्पूर्ण आराधना में निहित है।
वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित विशाल धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन यापन करते हुए अनेक कलुषताएं जीवन में प्रवेश कर जाती है, उनका निराकरण कर जीवन को एक स्वच्छ जीवन का स्वरूप प्रदान करना ही पर्युषण का लक्ष्य है। पर्वाधिराज अष्ट दिवसीय साधना का पर्व है। अष्ट दिवसीय आराधना में श्रीावक को नियमित रूप से असंयम मुक्ति (अन्त: जागृति ) दिवस, बन्धन मुक्ति (आत्म स्वातन्त्र्य) दिवस,गुप्ति आराधना दिवस,कषाय मुक्ति एवं सद्ध्यान आराधना दिवस, समिति आराधना दिवस, अनुकम्पा (करूणा) दिवस, भय मुक्ति (निर्भयता) दिवस,आलोचना (आत्म शुद्धि) दिवस मनाते हुए इन दिनों में प्रात: 6 बजे अविराम नमस्कार महामंत्र का जाप, प्रात: साढ़े आठ बजे श्री मद् अन्त: कृद्दशांग सूत्र स्वाध्याय का वाचन, प्रात: 10 बजे तद् दिवसीय विषयाधारित प्रवचन करें, दोपहर ढाई बजे पुच्छी सुणं (वीर स्तुति) का सामुहिक पाठ करें, दोपहर 3 बजे महावीर जीवन संक्षिप्त विवेचन एवं संाय साढ़े छ: बजे सामुहिक प्रतिक्रमण करें।
कार्यक्रम का शुभारम्भ महाश्रमण मेवाड़ प्रवर्तक मदन मुनि ने किया।
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