पासपोर्ट सेवा केन्द्र, उदयपुर अब भी उद्घाटन के लिए सरकार का मुंह ताक रहा है


पासपोर्ट सेवा केन्द्र, उदयपुर अब भी उद्घाटन के लिए सरकार का मुंह ताक रहा है

लंबे इंतज़ार के बाद पासपोर्ट सेवा केन्द्र (पीएसके) बनने के बाद भी शहरवासियों को यह सुविधा मिल नहीं पा रही है। दो बार इसका उद्घाटन टल चुका है। विधानसभा सत्र के चलते व्यस्तता के कारण मुख्यमंत्री नहीं आ पा रहीं। उदयपुर में पीएसके का फीता पहले 3 मार्च को कटना था। तकनीकी कारणों से यह टल गया। फिर होली के बाद 25 मार्च तय हुई। इसे देखते हुए विदेश मंत्रालय व जयपुर पासपोर्ट केन्द्र के अधिकारियों ने दौरा कर हाथोंहाथ केन्द्र की फिनिशिंग के काम करवाए।लोग रोज पासपोर्ट सेवा केन्द्र पर आ रहे हैं और पूछताछ कर बैरंग लौट रहे हैं। दूसरी ओर, जनप्रतिनिधि भी समय के लिए सरकार का मुंह ताक रहे हैं।

 

पासपोर्ट सेवा केन्द्र, उदयपुर अब भी उद्घाटन के लिए सरकार का मुंह ताक रहा है

लंबे इंतज़ार के बाद पासपोर्ट सेवा केन्द्र (पीएसके) बनने के बाद भी शहरवासियों को यह सुविधा मिल नहीं पा रही है। दो बार इसका उद्घाटन टल चुका है। विधानसभा सत्र के चलते व्यस्तता के कारण मुख्यमंत्री नहीं आ पा रहीं। उदयपुर में पीएसके का फीता पहले 3 मार्च को कटना था। तकनीकी कारणों से यह टल गया। फिर होली के बाद 25 मार्च तय हुई। इसे देखते हुए विदेश मंत्रालय व जयपुर पासपोर्ट केन्द्र के अधिकारियों ने दौरा कर हाथोंहाथ केन्द्र की फिनिशिंग के काम करवाए।

गृहमंत्री कटारिया, सांसद अर्जुनलाल मीणा, महापौर चन्द्रसिंह कोठारी भी जुटे रहे। यह देख आमजन की उम्मीद जागी कि अब पासपोर्ट बनने लगेंगे। लोग रोज पासपोर्ट सेवा केन्द्र पर आ रहे हैं और पूछताछ कर बैरंग लौट रहे हैं। दूसरी ओर, जनप्रतिनिधि भी समय के लिए सरकार का मुंह ताक रहे हैं।

केन्द्र का उद्घाटन करने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आना तय था। उन्होंने मार्च के पहले सप्ताह में उद्घाटन होने का ट्वीट भी किया था, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कारणों से नहीं आ पाईं। फिर विदेश राज्यमंत्री जनरल वी.के. सिंह का आना तय हुआ, लेकिन मुख्यमंत्री से तारीख नहीं मिल पाई। अभी भी पासपोर्ट सेवा केन्द्र का फीता काटने के लिए सरकार की तरफ से कोई संकेत नहीं हैं।

पासपोर्ट सेवा केन्द्र, उदयपुर अब भी उद्घाटन के लिए सरकार का मुंह ताक रहा है

आदिवासी बहुल इलाके से पीएसके जाने के बाद यहां के राजनेताओं व जनता ने संघर्ष किया। धरने, प्रदर्शन, अनशन से लेकर सरकार, नेताओं और अधिकारियों को ज्ञापन दिए। यहां की स्थिति और जरूरत से अवगत कराया। ढेरों दलीलों और प्रयासों को देख विदेश मंत्री ने घोषणा की थी। हालांकि स्वीकृति व बनने में भी करीब दो वर्ष लग गए।

Source: Rajasthan Patrika

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