गीतांजली में बगैर शल्य क्रिया हुआ पी.डी.ए का ऑपरेशन
गीतांजली हॉस्पिटल के कार्डियक विभाग के डॉ सी.पी.पुरोहित, डॉ हरिश सनाढ्य व डॉ रमेश पटेल ने बगैर सर्जरी के पेटेन्ट डक्टस आर
गीतांजली हॉस्पिटल के कार्डियक विभाग के डॉ सी.पी.पुरोहित, डॉ हरिश सनाढ्य व डॉ रमेश पटेल ने बगैर सर्जरी के पेटेन्ट डक्टस आर्टरीयोसस (पी.डी.ए) का डिवाइस क्लोजर कर 10 साल की बच्ची का गुरूवार को सफल ऑपरेशन किया।
डॉ पटेल ने बताया कि प्रतापगढ़ निवासी रोगी मीरा मीना बार बार निमोनिया से पीडि़त होना, सांस चलना, ज़्यादा पसीना आना से परेशान थी। इसके चलते ईकोकार्डियोग्राफी की गई जिसमें 6 एम.एम का पी.डी.ए (दो धमनियों के बीच छेद) निकला जिसे डिवाइस से बंद करने का निर्णय लिया गया। इस एक घंटे के ऑपरेशन में पांव की नस से तार को छेद के पास ले गए व उपयुक्त साइज़ का डिवाइस लगा दिया गया।
इस ऑपरेशन का फायदा यह है कि मरीज अगले दिन घर जा सकता है व सामान्य रूप से कार्य आरंभ कर सकता है। इसमें छाती पर ऑपरेशन के निशान नहीं रहते। इस ऑपरेशन में सर्जरी से संबंधित रिस्क कम होते है। सामान्यतः इस तरह के मामलों में बड़ी एवं जटिल सर्जरी की जाती है जिसमें जान का जोखिम तो रहता ही है। साथ ही रोगी को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती तथा सर्जरी के शरीर पर निशान भी हो जाते है। इसके अतिरिक्त शुल्क भी अधिक लगता है।
क्या है पी.डी.ए? डॉ पटेल ने बताया कि पी.डी.ए हृदय की दो मुख्य धमनियों के बीच में जन्मजात छेद को कहते है। पी.डी.ए के छेद का मतलब है ऑक्सीजनेटेड(रक्त जिसमें ऑक्सीजन शामिल हो) व डिऑक्सीजनेटेड(रक्त जिसमें ऑक्सीजन शामिल नही हो) रक्त का मेल होना जो कि शरीर के रक्तसंचार के लिए सही नही है। उन्होंने बताया कि पी.डी.ए का दुष्प्रभाव यह है कि यदि इसका सही समय पर इलाज नही होता है तो हृदय में संक्रमण हो सकता है, रोगी को बार-बार निमोनिया हो जाता है और लंबे समय पश्चात् शरीर नीला पड़ने लगता है जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत होती है और जान जा सकती है।
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