धर्म क्रिया के लिए व्यक्ति बहुत संतोषीः नीलांजनाश्री


धर्म क्रिया के लिए व्यक्ति बहुत संतोषीः नीलांजनाश्री

साध्वी नीलांजना श्री ने कहा कि जीवन की गाड़ी लगातार दौड़ रही है। व्यक्ति बिना थके-रुके सतत परिश्रम पुरुषार्थ कर रहा है लेकिन ये सब संसार को पाने के लिए है। संसार उसी तरह उससे आगे दौड़ता जा रहा है। धर्म क्रिया के लिए उसके मन में कोई तड़प का भाव नही है, वो बिल्कुल शांत है। एक सामायिक, एक पूजा के बाद वो सोचता है कि बहुत कर लिया।

 
धर्म क्रिया के लिए व्यक्ति बहुत संतोषीः नीलांजनाश्री

साध्वी नीलांजना श्री ने कहा कि जीवन की गाड़ी लगातार दौड़ रही है। व्यक्ति बिना थके-रुके सतत परिश्रम पुरुषार्थ कर रहा है लेकिन ये सब संसार को पाने के लिए है। संसार उसी तरह उससे आगे दौड़ता जा रहा है। धर्म क्रिया के लिए उसके मन में कोई तड़प का भाव नही है, वो बिल्कुल शांत है। एक सामायिक, एक पूजा के बाद वो सोचता है कि बहुत कर लिया।

वे शुक्रवार को दादाबाड़ी स्थित वासुपूज्य मंदिर में प्रवचन सभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि उधर साधनों के विस्तार के लिएए संसार को पाने के लिए निरंतर मेहनत कर रहा है। जरूरी नही कि उसका सकारात्मक परिणाम आये। मिलता उतना ही है जितना भाग्य में है। सांसारिक साधनों के लिए निरंतरए रोजाना परिश्रम कर रहा है वहीं पूजा के मामले में एक बार करने के बाद कोई परिणाम नही आया तो तुरंत छोड़ देते हैं। महंगे से महंगा अच्छे से अच्छा बीज बोए यो भी 1 दिन में फल नही मिल सकता। उसके लिए इंतजार भी करना ही पड़ता है। धरती बीज को अंकुरित करती है, पल्लवित करती है लेकिन उसके लिए इंतजार तो करना ही पड़ेगा। अध्यात्म के क्षेत्र में भी ऐसा ही है। इंतजार तो करना ही पड़ेगा। परमात्मा के दर्शन के लिए भी पुण्य का उदय चाहिए।

उन्होंने कहा कि यदि किसी का आपने भला किया है तो उसका लाभ मिल सकता है लेकिन परमात्मा का दर्शन करनाए पूजा करनाए उन्हें स्पर्श करना ये सब किसी उत्कृष्ट पुण्य का ही परिणाम है।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags