झीलों में प्लास्टिक, पॉलीथिन से कैंसर, नपुसंकता का खतरा
झील किनारो पर भारी मात्रा में पड़ा प्लास्टिक, पॉलीथिन कचरा बरसाती प्रवाह के साथ झील में समाकर नागरिकों के लिए कैंसर व नपुसंकता जैसे रोगों का कारक बनेगा। झील प्रेमियों ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए किनारो पर विसर्जित हुए प्लास्टिक कचरे को तुरंत हटाने का सुझाव दिया है।
झील किनारो पर भारी मात्रा में पड़ा प्लास्टिक, पॉलीथिन कचरा बरसाती प्रवाह के साथ झील में समाकर नागरिकों के लिए कैंसर व नपुसंकता जैसे रोगों का कारक बनेगा। झील प्रेमियों ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए किनारो पर विसर्जित हुए प्लास्टिक कचरे को तुरंत हटाने का सुझाव दिया है।
झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि पॉलीथिन, प्लास्टिक में बिस्फिनॉल ए नामक खतरनाक रसायन है। जो मानव शरीर मे जाकर खतरनाक बीमारियों को जन्म देता है। रंग बिरंगी पॉलीथिन बनाने में मिलाये गए रसायन भी बीमारियों के कारक है। पेयजल की झीलों में इनका मिलना नागरिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।
झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झील में समाने वाला पॉलीथिन झीलों के ओवरफ्लो होने पर भी यह कचरा बहाव के साथ झील से बाहर नही जा सकेगा। भारी मात्रा में फैली जलीय घास में यह खतरनाक प्रदूषक कचरा अटक कर बड़ी मात्रा में झील में ही रहेगा और झील पर्यावरण को खराब करेगा।
गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि आम नागरिकों को शपथ लेनी चाहिए कि वे झील हित व जन स्वास्थ्य हित मे पॉलीथिन, प्लास्टिक को झील भीतर व किनारों पर विसर्जित नही करेंगे। पेयजल स्त्रोतों को विषैला बनाने वाले ऐसे प्रदूषकों के विसर्जन से वर्तमान तथा भावी पीढ़िया बरबाद हो जाएगी।
श्रमदान : इस अवसर पर रमेश चंद्र राजपूत, राम प्रताप जेठी, तेज शंकर पालीवाल,नंद किशोर शर्मा, डॉ अनिल मेहता ने झील के एक कोने से प्लास्टिक, पॉलीथिन, जलीय खरपतवार को हटाया।
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