हॉस्पीटल के लिए गरीबों को फ्री ऑटो
मौजूदा वक्त में जहां हर तरफ मजहब के नाम पर देश में नफरत के बीज बोए जा रहे हैं, जात-पात इंसानियत से बड़ी हो गई है। वहीं इन सभी मजहबी बातों से परे केवल सेवा का जज्बा लिए पूरे शहर में इंसानियत और नेकी बांटते फिर रहे हैं इमरान खान। उदयपुर घंटाघर निवासी 31 वर्षीय युवा इमरान खान सालों से रोजाना गरीबों को मुफ्त में अस्पताल पहुंचाते हैं। पेशे से ऑटो चालक इमरान पूरे दिन सवारियों को अपने ऑटो में बिठा एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते हैं। इस दौरान उन्हें जो भी गरीब हॉस्पीटल जाता हुआ दिखाई देता है या फिर मदद की आस में दिखाई देता है, उन्हें वे तुरंत नि:शुल्क हॉस्पीटल पहुंचा देते हैं।
मौजूदा वक्त में जहां हर तरफ मजहब के नाम पर देश में नफरत के बीज बोए जा रहे हैं, जात-पात इंसानियत से बड़ी हो गई है। वहीं इन सभी मजहबी बातों से परे केवल सेवा का जज्बा लिए पूरे शहर में इंसानियत और नेकी बांटते फिर रहे हैं इमरान खान। उदयपुर घंटाघर निवासी 31 वर्षीय युवा इमरान खान सालों से रोजाना गरीबों को मुफ्त में अस्पताल पहुंचाते हैं। पेशे से ऑटो चालक इमरान पूरे दिन सवारियों को अपने ऑटो में बिठा एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते हैं। इस दौरान उन्हें जो भी गरीब हॉस्पीटल जाता हुआ दिखाई देता है या फिर मदद की आस में दिखाई देता है, उन्हें वे तुरंत नि:शुल्क हॉस्पीटल पहुंचा देते हैं।
यहां तक कि कुछ वक्त पहले उन्होंने अपने ऑटो पर भी लिख दिया “हॉस्पीटल के लिए गरीबों को फ्री ऑटो” ताकि किसी भी जरूरतमन्द को उन्हें ढूंढने में दिक्कत ना हो। बकौल इमरान हर शख्स अल्लाह का बंदा है। इंसान- इंसान की मदद कर दे तो रोज यूं ही नमाज हो जाएगी।
15 साल पहले जब इमरान के पास कुछ नहीं था तब भी वह हॉस्पीटल में 2-3 घण्टे जाकर मुफ्त में लोगों की सेवा किया करते थे। फिर मोटरसाइकिल ली तब लोगों को फ्री में हॉस्पीटल पहुंचाना शुरू कर दिया। मोटरसाइकिल, स्कूटर से होते हुए यह सिलसिला ऑटो तक जा पहुंचा। पिता, भाई, पत्नी, 3 बच्चों के संयुक्त परिवार में इमरान पर पूरे परिवार की गुजर-बसर की ज़िम्मेदारी भी है। इन सभी ज़िम्मेदारीयों का निर्वहन करते हुए भी कभी ऐसा दिन नहीं गुजरा कि जब इमरान ने किसी की मदद नहीं की हो।
मां को देख सीखी नेकी
इमरान ने जब से होश संभाला तब से अपनी अम्मी सलमा खानम को पेट दर्द की वजह से हॉस्पीटल के चक्कर काटते देखा। जब भी अपनी अम्मी के साथ जाते तो उन्हें हॉस्पीटल पहुंचने में कई परेशानियों से जूझते देखते। इसी बीमारी की वजह से 15 साल पहले उनकी अम्मी का इंतेकाल भी हो गया। तभी से उन्होंने हर गरीब को इस परेशानी से निजात दिलवाने की ठान ली। इमरान कहते हैं कि जब सरकार से दवाई और इलाज सब कुछ मुफ्त कर रखा है तो ऐसे में अगर आने-जाने का खर्च भी ना लगे तो कोई गरीब इलाज करवाने से नहीं कतराएगा।
Source: Rajasthan Patrika
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