वैज्ञानिक एवं पर्यावरण-मित्र खनन से ही खनिज विकास की दर कायम रखना सम्भव


वैज्ञानिक एवं पर्यावरण-मित्र खनन से ही खनिज विकास की दर कायम रखना सम्भव

जियोसाईन्टिस्ट सोसायटी ऑफ़ राजस्थान तथा मोहनलाल सुखाडिया विवि के भूविज्ञान विभाग द्वारा राजस्थान कीं खनिज सम्पदा के विकास की सम्भावनाएं तथा खनिज क्षेत्र की चुनौतियाॅं पर चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हुआ। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के अरावली सभागार में आयोजित समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने कहा कि राजस्थान खनिज संसाधनों की दृष्टि से देशभर में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

 

वैज्ञानिक एवं पर्यावरण-मित्र खनन से ही खनिज विकास की दर कायम रखना सम्भव

जियोसाईन्टिस्ट सोसायटी ऑफ़ राजस्थान तथा मोहनलाल सुखाडिया विवि के भूविज्ञान विभाग द्वारा राजस्थान कीं खनिज सम्पदा के विकास की सम्भावनाएं तथा खनिज क्षेत्र की चुनौतियाॅं पर चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हुआ। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के अरावली सभागार में आयोजित समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने कहा कि राजस्थान खनिज संसाधनों की दृष्टि से देशभर में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

खनन क्षेत्रों में हो रहे अवैज्ञानिक एवं अविवेकपूर्ण खनन के कारण खनन-क्षेत्रों में भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायू प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वन विनाश, भू उपयोग परिवर्तन, व्यावसायिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव जेसी पर्यावरणीय समस्याओं का विस्तार हो रहा है। साथ ही यांत्रिक खनन प्रक्रिया के अभाव में खनिज संसाधनों का भी आदर्श उपयोग नहीं हो पा रहा जिससे की ये बहुमूल्य संसाधन तेजी से कम होते जा रहे हैं। राज्य में खनिज विकास की गति को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि सुनियोजित एवं पर्यावरण-मित्र खनन को अपनाया जाय।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनिकी सत्र के संयोजक डाॅ. हर्ष भू ने बताया कि दो दिन में चार तकनिकी सत्रों में 32 शोध पत्रों को प्रस्तुत किये गये। इस दौरान प्रमुख वक्ता भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक डाॅ. एस. के वधावन, पूर्व उप-महानिदेशक एल. एस. शेखावत, पूर्व उप-महानिदेशक ए. के. बासु, खनिज अन्वेषण कार्पोरेशन लिमिटेड के एस. के. ठाकुर, आणविक खनिज विभाग के एम. के. खण्डेलवाल, बाल्दोता समूह के ओ.पी. सोमानी, हिन्दुस्ताान जिंक लिमिटेड के एस. के. वषिष्ठ, एन. के. कावडिया एवं स्काॅट, राजस्थान विश्वविद्यालय के रचित परिहार, सयाजीराव विश्वविद्यालय के प्रो. के.सी. तिवारी, सुखाडिया विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य प्रो. पी.एस. राणावत, प्रो. एन.के. चौहान आदि थे।

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राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन सचिव डाॅ. विनोद अग्रवाल ने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में समूह चर्चा के इन पर सहमति बनी: वैज्ञानिक खनन एवं पर्यावरण-मित्र खनन को बढावा देने हेतु पृथक से कार्य-दल (टाॅस्क फोर्स) का गठन किया जाये जिसमें तकनिकी विशेषज्ञों को भी सम्मिलित किया जाये।

प्रत्येक खदान पर भूवैज्ञानिक अथवा खनन अभियन्ता को नियुक्त किया जाये। नियुक्त भूवैज्ञानिक अथवा खनन अभियन्ता पूर्व में अनुमोदित खनन-योजना के अनुरूप खनन कार्य करने, पर्यावरण संरक्षण, अपषिष्ठ के उचित निस्तारण, प्रदूषण नियंन्त्रण, खनिज संरक्षण, खनन प्रतिवेदन आदि कार्यों के लिए प्रतिबद्ध होगा।

नये खनिजों की खोज हेतु विशेष कार्य-योजना बनाई जाये तथा शोध हेतु प्रदेश में स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों के भूविज्ञान विभागों को सम्मिलित किया जाये। जिला स्तरीय गठित मिनरल फाउन्डेशन ट्रस्ट में प्राप्त अंशदान का समुचित एवं दिये गये प्रावधानों के अनुरूप उपयोग। राज्य में लघु आकार के खनिज निक्षेपों के दोहन के लिए विशेष कार्य-योजना बनाई जाये जिससे इन उपलब्ध संसाधनों का उपयोग भी हो सके।

जियोसाईन्टिस्ट सोसायटी ऑफ़ राजस्थान के अध्यक्ष डाॅ. आर. चौधरी ने खनिज नियमों पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में हो रहे अनियोजित एवं अवैज्ञानिक खनन की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने जो नई अप्रधान खनिज रियायत नियमावली लागू की है वो एक सराहनीय कदम है। आवश्यकता केवल इस बात की है कि खनिज क्षेत्र से सम्बन्धित खान एवं भूविज्ञान विभाग इन नियमों की सख्ती से पालना सुनिष्चित करे।

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