प्रभु मदन मोहन भगवान के कामवन धाम मंदिर हवेली का हुआ भव्य भूमि पुजन


प्रभु मदन मोहन भगवान के कामवन धाम मंदिर हवेली का हुआ भव्य भूमि पुजन

धनकुट, तनकुट और मनकुट के बाद मिलता है अन्नकुट का सौभाग्य: आचार्य हरिराय
 
प्रभु मदन मोहन भगवान के कामवन धाम मंदिर हवेली का हुआ भव्य भूमि पुजन
धर्म नगरी उदयपुर सहित भारत और सम्पूर्ण विश्व के प्रभु भक्तों एवं वैष्ण्वजनों के लिए श्री वेणुनाद आर्गेनाइजेशन ट्रस्ट उदयपुर की और से शहर के अम्बेरी- देबारी नेशनल हाईवे 76 पर बनने जा रहे पुष्टीमार्गीय संप्रदाय के प्रभु मदन मोहन भगवान के भव्य कामवन धाम मंदिर हवेली का भूमि पूजन किया गया। 

उदयपुर। धर्म नगरी उदयपुर सहित भारत और सम्पूर्ण विश्व के प्रभु भक्तों एवं वैष्ण्वजनों के लिए श्री वेणुनाद आर्गेनाइजेशन ट्रस्ट उदयपुर की और से शहर के अम्बेरी- देबारी नेशनल हाईवे 76 पर बनने जा रहे पुष्टीमार्गीय संप्रदाय के प्रभु मदन मोहन भगवान के भव्य कामवन धाम मंदिर हवेली का भूमि पूजन किया गया। 

रविवार को मंदिर भूमि पर मंदिर के सर्वाध्यक्ष वैष्ण्वाचार्य गोस्वामी 108 हरिराय बाबा और वैष्ण्वाचार्य गोस्वामी 108 गोपाल लाल महाराज के पावन सानिध्य मे श्री वेणुनाद आर्गेनाइजेशन ट्रस्ट मे मुख्य ट्रस्टी नारायण असावा, उपाध्यक्ष पंकज तोषनीवाल, कोषाध्यक्ष सुभाष गुप्ता, मंत्री मनीष पारिख, ट्रस्टी गिरिराज महाजन, ट्रस्टी दिनेश गौड, ट्रस्टी दिलीप खण्डेलवाल, विधि सहायक अजेश सेठी और सीए प्रवीण अग्रवाल सहित सैंकडो वैष्ण्वजनों की मौजूदगी मे श्री वल्लभाचार्य के जयकारों के बीच पूर्ण मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न हुआ ।

भूमि पूजन आयोजन के दौरान मौजूद सैंकडो वैष्णवजनों पर अपने वचनामृत कि रसवर्षा करते हुए ट्रस्ट के सर्वाध्यक्ष आचार्य हरिराय बावाश्री ने कहा कि आधुनिक युग मे लोग कहते है कि मंदिर की बजाय अस्पताल या वृद्धाश्रम बनाये जाये। हम इसके विरोध मे नही है लेकिन क्यू ना ऐसा परम शान्ति देने वाला मंदिर बनाया जाये कि अस्पताल जाने कि जरूरत ना पडे। मंदिर मे ऐसे संस्कार मिले कि वृद्ध माॅं-बाप को वृद्धाश्रश्रम भेजने कि बजाय उनकी सेवा करने का संकल्प ले। 

बावाश्री ने कहा कि मंदिर के निर्माण मे सर्वप्रथम धन लगोगा तो धनकुट होगा फिर मन से सभी को लगना होगा तो मनकुट होगा। इसके बाद तन से भी सेवा करते हुए तनकुट होगा और तब कहीं जाकर मंदिर निर्माण पुूरा होने के बाद अन्नकुट का लाभ हर वैष्णवजन को मिलेगा।

बडौदा कामवन से पधारे वैष्ण्वाचार्य गोस्वामी गोपाल लाल महाराज ने अपने प्रवचनों के दौरान पुष्टीमार्गीय संप्रदाय के इतिहास और महत्ता को समझातेहुए कहा कि पुष्टीमार्ग मे सबसे पहले जाति प्रथा को समाप्त किया। 

पुष्टीमार्गीय मंदिरों मे सभी जाति के लोग प्रभु कि सेवा करते है। यहां कोई उच-नीच और भेदभाव नही है। उन्होने कहा कि श्रीनाथ जी ने ब्रज के बाद सबसे ज्यशदा पसन्द मेवाड को किया जिसका उदाहरण है उनका घसियार और नाथद्वारा मे श्रीनाथ जी मंदिर और प्रभु की ही इच्छा से अब उदयपुर मे प्रभु मदन मोहन जी का भव्य मंदिर बनने जा रहा है, जो सम्पूर्ण मेवाड के लिए सौभाग्य और गर्व कि बात है।

संगीतमयी भजनो पर झूमे वैष्णवजन

भूमि पूजन के दौरान ‘श्याम तेरी बंसी बजे धीरे-धीरे.....,हवेली बंधावी दउ श्रीजी थारा नाम री....,तन-मन-धन श्रीजी रा चरणो मा...., कान्हा अब तो मूरली की मधुर सुना दो तान.... और मै तो रटू सदा तैरो नाम ब्रज की गलियन मे... जैसे प्रभु भजनो की संगीतमयी प्रस्तुति पर वैश्ण्वजन जमकर झूमे। इसके साथ ही महिलाओं ने प्रभु भक्ति मे लीन होकर गरबा रास भी किया। कार्यक्रम के पश्चात सैंकडो भक्तों ने महाप्रसादी का लाभ लिया।  
 

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