प्रतिष्ठा महोत्सव एवं दीक्षार्थी बहन का निकला भव्य वरघोड़ा
"जिसके मन में मंदिर होता है वही मंदिर बना सकता है। जिसकी आत्मा में परमात्मा तत्व की प्रतिष्ठा
“जिसके मन में मंदिर होता है वही मंदिर बना सकता है। जिसकी आत्मा में परमात्मा तत्व की प्रतिष्ठा हो वही मंदिर में परमात्मा को प्रतिष्ठित कर सकता है।” यह विचार प्रतिष्ठा महोत्सव की तपागच्छ उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर भगवान महावीर स्वामी जिनालय एवं जिनबिम्बों, गुरु बिम्बों, शासन रक्षक देव-देवियों की भव्य प्रतिष्ठा के अष्टाहनिका महोत्सव पांचवें दिन शांतिदूत आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर जी ने व्यक्त किए। सोमवार को आयड़ तीर्थ से प्रतिष्ठा महोत्सव एवं दीक्षार्थी बहन का भव्य वरघोड़ा निकाला गया।
महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत प्रात: 9.30 बजे आयड़ तीर्थ से भव्य वरघोड़ा रवाना हुआ। वरघोड़े में सबसे आगे इन्द्र ध्वज तथा सबसे पीछे साध्वी रत्नशीला, रत्नदर्शीता, कल्पदर्शीता एवं सिद्धिदर्शिता के सान्निध्य में सैंकड़ों श्राविकाएं मंगल गीत गाती हुई चल रही थी।
इन्द्र ध्वज के पीछे पांच सुसज्जित घुड़सवार, ऊंटगाड़ी में नगाड़ा वादक और फिर बैंड जैन भक्ति धुनें बिखेर रहा था। बैंड के पीछे आचार्य शांतिदूत आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर जी मसा के साथ हजारों श्रावक जयकरों से वातावरण को गूंजायमान करते चल रहे थे।
आचार्यश्री के पीछे सुज्जित दो बग्गियों में संकेश्वर पाश्र्व प्रभु एवं पद्मावती माता की आदमकद तस्वीर रखी हुई थी। उसके पीछे शहनाई वादक और भगवान का रथ चल रहा था।
बैंड के पीछे दो हाथी जिनमें एक पर प्रतिष्ठा महोत्सव के लाभार्थी हेमलता बेन एवं श्रेणिक मनावत परिवार और दूसरे हाथी पर दीक्षार्थी बहन निशाकुमारी मेहता के परिवारजन वर्षीदान करते हुए चल रहे थे। आयड़ तीर्थ से भव्य वरघोड़ा रवाना होकर धूलकोट चौराहा, जयश्री कॉलोनी, बोहरा गणेशजी रोड़ होते हुए पुन: आयड़ तीर्थ पहुंचा।
दुनिया में साथ जाएगा पुण्य और पाप : आचार्य नित्यानंद
प्रतिष्ठा महोत्सव के चढ़ावों के दौरान आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर जी ने कहा कि कल का दिन किसने देखा, आज का दिन क्यों खोए। जिन घडिय़ों में पुण्य कमाना है उन घडिय़ों को क्यों खोए। जो दौलत से अमीर होता है वह भीतर से गरीब होता है।
खुशनसीब तो वह होता है जो परमात्मा के नजदीक होता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो लक्ष्मी को चंचल माना है, लक्ष्मी किसी के यहां स्थिर वास स्वीकार नहीं करती लेकिन जो तीर्थों के विकास में अपनी संपत्ति का सदुपयोग करते हैं उनके घर लक्ष्मी स्थिर वास स्वीकार करती है। दुनिया में खाली हाथ आया है खाली हाथ जायेगा। साथ जायेगा तो केवल पुण्य और पाप।
इसके पश्चात जिन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा संबंधी चढ़ावे महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या, श्रीसंघ के अध्यक्ष गौतम बी मुर्डिया, कल्पेश भाई, कुलदीप नाहर, अंकुर मुर्डिया एवं ने चढ़ावों का संचालन किया। समारोह के पश्चात सकल मूर्तिपूजक समाज का स्वामीवात्सल्य आयोजित हुआ। दोपहर को पाश्र्व पंचकल्याणक पूजा पढ़ाई गई। शाम को संगीतकार मदन राठौड़ एवं पार्टी ने भक्ति संध्या में भजन एवं स्थवनों की धमाकेदार प्रस्तुतियां दी।
संक्रांति महोत्सव आज
प्रतिष्ठा महोत्सव के संयोजक किरणमल सावनसुखा ने बताया कि मंगलवार प्रात: 9.30 बजे आचार्यश्री नित्यानंद सूरिश्वर जी की निश्रा में संक्रांति महोत्सव मनाया जाएगा। इस महोत्सव में भाग लेने के लिए देश के कोने कोने से बड़ी संख्या में भाग लेने के लिए उदयपुर पहुंच रहे हैं। इस महोत्सव में आचार्यश्री महामंगलिक देंगे।
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