प्रवीण रतलिया को भारत विद्या शिरोमिनी सम्मान


प्रवीण रतलिया को भारत विद्या शिरोमिनी सम्मान

प्लैटिनम ग्रुप के फाउंडर प्रवीण रतलिया को इंटरनेशनल बिज़नेस कॉउंसिल ने भारत विद्या शिरोमिनी सम्मान से नवाज़ा है। नई दिल्ली में हुए सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि तमिलनाडु व असम के पूर्व राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह और वरिष्ठ नेता हरिकेश बहादुर ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।

 

प्रवीण रतलिया को भारत विद्या शिरोमिनी सम्मान

प्लैटिनम ग्रुप के फाउंडर प्रवीण रतलिया को इंटरनेशनल बिज़नेस कॉउंसिल ने भारत विद्या शिरोमिनी सम्मान से नवाज़ा है। नई दिल्ली में हुए सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि तमिलनाडु व असम के पूर्व राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह और वरिष्ठ नेता हरिकेश बहादुर ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। इस मौके पर शिक्षा पर आयोजित संगोष्ठी में प्रवीण रतलिया ने शिक्षा के व्यवसायीकरण पर चिंता जताई। उन्होंने कहा की शिक्षा क्षेत्र में पूंजीपतियों का प्रवेश होने से शिक्षा महंगी होती जा रही है। स्कूल खुद उनके कोर्स निर्धारित करते है और अभिभावकों की मजबूरी है कि महंगी किताबे स्कूल से ही खरीदनी पड़ती है यही नहीं स्टेशनरी भी स्कूल से अथवा स्कूल द्वारा निर्धारित दुकान से ही लेना ज़रूरी है। बाज़ार की दरों से इनकी तुलना की जाये तो दुगुनी कीमत तक वसूली जा रही है, लेकिन इस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। बेचारा अभिभावक बच्चे को स्कूल से निकाल दिए जाने के डर से शिकायत भी नहीं कर पाता।

ऐसे में सरकार की ज़िम्मेदारी है की हर क्लास के लिए फीस की अधिकतम सीमा और पाठ्य पुस्तकों और स्टेशनरी के खर्च की भी अधिकतम सीमा तय करे। सरकार इन सभी को सख्त कानून के दायरे में लाए। शिक्षा का अधिकार लागू करने के बाद स्कूल 25 प्रतिशत सीटों को निःशुल्क करने की आड़ में दोहरी कमाई कर रहे। एक तो सरकार से भी फीस का पुनर्भरण लेते है और फीस बढ़ने पर अभिभावकों की आपत्ति का यह जवाब दे दिया जाता है के 25 प्रतिशत बच्चे फ्री में पढ़ने पड़ रहे है।

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