नवरात्री की तैयारियां शुरू, कलाकार भी मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे
नवरात्रि के पावन पर्व के आने से पूर्व शहर में इसकी तैयारियां शुरू हो गई है। छोटे बच्चे से लेकर बड़े-बुढो को इस पर्व को मानाने की चाह दिख रही है। कहीं पर माता के दर्शन के लिए भव्य पांडाल सजाए जा रहे हैं, तो कहीं पर 9 दिन चलने वाले डांडिया रास के लिए प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। 5 अक्टुम्बर से नवरात्री प्रारंभ हो रही है।
नवरात्रि के पावन पर्व के आने से पूर्व शहर में इसकी तैयारियां शुरू हो गई है। छोटे बच्चे से लेकर बड़े-बुढो को इस पर्व को मानाने की चाह दिख रही है। कहीं पर माता के दर्शन के लिए भव्य पांडाल सजाए जा रहे हैं, तो कहीं पर 9 दिन चलने वाले डांडिया रास के लिए प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। 5 अक्टुम्बर से नवरात्री प्रारंभ हो रही है।
नवरात्री को लेकर शहर के सुथारवाडा मित्र मंडल ने भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। यह मित्र मंडल पिछले 20 वर्षों से इसको बड़े धूमधाम से मनाता आ रहा है। इस वर्ष भी पांडाल 45 फीट ऊँचा बनाया गया और वह 8 फीट ऊँची अम्बे माता की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
सुथारवाडा मित्र मंडल के अध्यक्ष तुलसी राम माली ने बताया कि, मित्र मंडल के 150 सदस्यों द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमे सभी सदस्य अपने तन-मन-धन से सहयोग कर रहे हैं। 21वें वर्ष के इस कार्यक्रम में प्रत्येक वर्ष की भांति 45 फिट ऊँचे बंधे मचान के लिए कारीगरों को कलकत्ता से बुलाया गया है और इस कार्यक्रम को आयोजित करने में सुथारवाडा के लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।
दूसरी ओर, अन्नपूर्णा माता धर्मोत्सव समारोह समिति द्वारा 350 साल पुराने अन्नपूर्णा माता मंदिर, घंटाघर में डांडिया रास का आयोजन की तैयारियां प्रारंभ हो गई है।
अन्नपूर्णा माता धर्मोत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष महेश चौहान ने बताया कि, धर्मोत्सव समिती के करीब 150 सदस्यों की सहायता से प्रत्येक वर्ष डांडिया का आयोजन किया जाता है और इसमें सिर्फ घंटाघर क्षेत्र के लोग ही डांडिया खेलने आते है; बाहरी एकल व्यक्ति को एंट्री नहीं दी जाती है।
समिति अध्यक्ष के मुताबिक नवरात्री के 9 दिनों के दौरान अखंड ज्योति जलाई जाएगी और अन्नपूर्णा मंदिर की माता की मूर्ति पर 4 किलो चांदी का वेस पहनाया जायेगा, जिसमें चांदी के साथ कई तरह के नगीने लगेंगे; वेस की कीमत 4-5 लाख रु होगी।
नवरात्री के बाद शरद पूर्णिमा को 1100 किलो दूध की खीर भक्तों में वितरित की जाएगी।
वहीँ दूसरी ओर, मुर्तिया कलाकारों के दवारा मूर्तियाँ बनाने का काम जोरों पर है, कलाकारों के द्वारा ज्यादातर मूर्तियाँ इको-फ्रेंडली बनाई जा रही हों। शहर के रेती स्टैंड, सिटी स्टेशन के सामने और सुखेर क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर मूर्तियाँ बनाई जा रही हैं।
कलाकारों के अनुसार इस वर्ष भी शहर में महाराष्ट्र से कई कलाकार आए हैं और मूर्ति कलाकारों के पास 50 रूपये से 20 हजार रूपये तक की मूर्तियाँ हैं। कई स्थानों पर मूर्तियों को अंतिम रूप देने की तैयारी है, तो कहीं पर रंग-रोंगन का कार्य किया जा रहा है।
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