समृद्धि मनुष्य के भीतर समाहित लेकिन वह पाने के लिये भटकता है बाहरः आचार्य डाॅ.शिवमुनि

समृद्धि मनुष्य के भीतर समाहित लेकिन वह पाने के लिये भटकता है बाहरः आचार्य डाॅ.शिवमुनि

महाप्रज्ञ विहार में आचार्यश्री शिवमुनिजी ने कहा कि आचार्यश्री ने कहा कि मनुष्य के भीतर समाहित होती है लेकिन वह इसे पाने के लिये बाहर भटकता रहता है। हम सुख समृद्धि किसे मानते हैं जो सांसारिक है, बाहरी है। धन, दौलत, वैभव को,लेकिन असल में यह समृद्धि है ही नहीं। हम संसार के प्रति आकर्षित हैं इसलिए भीतर का हमें ज्ञान नहीं है। समृद्धि तो अरिहन्तों, सिद्धों और सन्तों के पास मिलती है। आपको भी समृद्धि चाहिये तो अरिहन्तों, सिद्धों और सन्तों की शरण में ही आना पड़ेगा।

 

समृद्धि मनुष्य के भीतर समाहित लेकिन वह पाने के लिये भटकता है बाहरः आचार्य डाॅ.शिवमुनि

महाप्रज्ञ विहार में आचार्यश्री शिवमुनिजी ने कहा कि आचार्यश्री ने कहा कि मनुष्य के भीतर समाहित होती है लेकिन वह इसे पाने के लिये बाहर भटकता रहता है। हम सुख समृद्धि किसे मानते हैं जो सांसारिक है, बाहरी है। धन, दौलत, वैभव को,लेकिन असल में यह समृद्धि है ही नहीं। हम संसार के प्रति आकर्षित हैं इसलिए भीतर का हमें ज्ञान नहीं है। समृद्धि तो अरिहन्तों, सिद्धों और सन्तों के पास मिलती है। आपको भी समृद्धि चाहिये तो अरिहन्तों, सिद्धों और सन्तों की शरण में ही आना पड़ेगा।

युवाचार्य श्री महेंद्र ऋषि ने जैनत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जैनत्व की सबसे बड़ी निशानी है करूणामयी और सात्विक जीवन। जैनत्व में हिंसा का कोई स्थान नहीं बल्कि वह दूसरों की पीड़ा को स्वयं की पीड़ा समझकर अनुभव करता है, अगर कोई किसी के साथ हिंसा करने का भाव रखता है तो जैनत्व का सिद्धान्त कहता है कि पहले उस हिंसा को स्वयं पर ही आजमा कर देखो। अगर आपको उससे पीड़ा हो रही है तो निश्चित ही सामने वाले को भी उतनी पीड़ा हो रही है। किसी पर छुरी चलाने का भाव आए तो पहले स्वयं के पांव पर छुरी चलाओ और देखो कितनी पीड़ा होती है तो वही पीड़ा दूसरों को भी होगी। इसलिए जैनत्व में हिंसा का कोई भी स्थान नहीं होता है।

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चातुर्मास संयोजक विरेन्द्र डांगी एवं संघ अध्यक्ष ओंकारसिंह सिरोया ने बताया कि आचार्यश्री शिवमुनिजी के शिष्य मुनिश्री सुमतिप्रकाशजी महाराज का जन्मोत्सव मनाया गया। इस दौरान उन्हें युवाचार्यश्री एवं संघस्थ सभी मुनियों ने आशीर्वाद प्रदान कर मंगल आशीष प्रदान किया। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने भी मुनिश्री को जन्म दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की। इसके साथ ही महाप्रज्ञ विहार में आचार्यश्री के सानिध्य में सामूहिक आयम्बिल दिवस का आयोजन भी हुआ।

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