लसाडि़या पंचायत मेले में जनप्रतिनिधियों ने जताया रोष
पंचायती राज के हर चुनाव से पहले उम्मीदवारों की अर्हता के नए पैमाने लाने पर तृणमूल स्तर के जनप्रतिनिधियों ने नाराज़गी व्यक्त की है।
पंचायती राज के हर चुनाव से पहले उम्मीदवारों की अर्हता के नए पैमाने लाने पर तृणमूल स्तर के जनप्रतिनिधियों ने नाराज़गी व्यक्त की है।
लसाडि़या पंचायत समिति के उप प्रधान फतहसिंह झाला ने कहा पंचायती राज में उम्मीदवार के लिए शिक्षा, संतानों की सीमा और शौचालय जैसे प्रावधानों से उन्हें कोई गुरेज़ नहीं है, किन्तु यही प्रावधान विधायकों और साँसदों के लिए भी लागू होने चाहियें। देश में राजस्थान, राज्य में उदयपुर और जि़ले में लसाडि़या शिक्षा में पीछे हैं, जिसके लिए हरसम्भव प्रयास आवश्यक हैं, किन्तु यह मानना ग़लत होगा कि अशिक्षित व्यक्ति समझदार नहीं होता या उसमें नेतृत्व क्षमता नहीं होती।
झाला मंगलवार (7 अक्टूबर 2014) को लसाडि़या पंचायत समिति सभागार में विद्या भवन स्थानीय स्वशासन एवं उत्तरदायी नागरिकता संस्थान की ओर से आयोजित पंचायत मेले को सम्बोधित कर रहे थे। वे आगामी पंचायती राज चुनाव में उम्मीदवार, विशेषकर सरपंच, की अर्हता में 8वीं तक शिक्षा व शौचालय जैसे प्रावधानों को शामिल करने पर जारी चर्चा के सन्दर्भ में अपने विचार रख रहे थे।
इससे पूर्व, सहायक अभियन्ता सुधीर माथुर ने बताया कि महानरेगा में कार्ययोजना निर्माण का तरीका बदला गया है। इस हेतु पंचायत समिति को तीन क्लस्टरों में बाँटकर कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें पी.आर.ए., आर.आर.ए. आदि तकनीक शामिल की गई हैं। एक ओर महानरेगा के साथ अन्य योजनाओं का समन्वय कर सामग्री मद की सीमा को दूर किया जा रहा है, वहीं अन्य योजनाओं को रोज़गारपरक बनाने के लिए महानरेगा से मज़दूरी दी जा रही है। शौचालय बनाने के लिए मध्यस्थ संस्थाओं को हटाकर इस हेतु राशि ग्राम पंचायत के सचिवों को रिवॉल्विंग फण्ड के रूप में दी जा रही है। सिंचाई विभाग से हस्तान्तरित तालाबों की मरम्मत और सब्जि़यों के उत्पादन की हरित धारा योजनायें उदयपुर जि़ले से शुरू की गईं, जिन्हें अब देश भर में लागू किया जा रहा है। लसाडि़या के 6 तालाबों से भी अब खेतों के अन्तिम छोर तक पानी पहुँच सकेगा।
सहायक अभियन्ता कैलाश जागेटिया ने जलग्रहण विकास में जल, जंगल, ज़मीन व जीवन के विकास के लिए संचालित कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने स्वयं सहायता समूह बनाकर 25 हज़ार रुपए तक की सहायता देने तथा खेत व बंजर भूमि विकास के बारे में बताया।
खुले सत्र में ओवरा के पंच कैलाश मीणा ने कहा कि 192 पेन्शन फार्म स्वीकृत होने के बावजूद विकास अधिकारी द्वारा जारी नहीं किए जा रहे हैं। सहायक अभियन्ता श्री सुधीर माथुर ने बताया कि स्वीकृति के साथ फार्म संलग्न नहीं हैं, जिन्हें एस.डी.एम. द्वारा सत्यापित किया जाएगा उसके बाद ही पेन्शन जारी की जाएगी। पंचायत समिति सदस्य कमला जैन और चुनकी देवी ने कहा कि उन्हें गत दो वर्ष से पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक के बारे में सूचना नहीं दी जा रही है। उप प्रधान श्री झाला ने आगामी बैठक की सूचना स्वयं देने का आश्वासन दिया।
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मेले के तहत महिला सम्मेलन में कूण की पंच शीला जैन ने कहा कि 75 वर्ष आयु होने पर भी पात्रजनों को पेन्शन रु.500 ही मिल रही है, जबकि उन्हें रु.750 मिलने चाहियें। प्रगति प्रसार अधिकारी भँवरलाल मीणा ने बताया कि पेन्शन ऑनलाईन है और 75 वर्ष होते ही राशि बढ़ जाती है; यदि ऐसा मामला है तो वे दुरुस्त करवायेंगे। लसाडि़या क्षेत्र में सबसे ज़्यादा पेन्शन कूण पंचायत में ही हुई हैं। चर्चा में धोलिया सरपंच होमली बाई व पंच नाथी बाई, धामणिया सरपंच देवली बाई व आँजणिया पंच राजी बाई ने भी भाग लिया।
प्रारम्भ में संस्थान की त्रैमासिक पत्रिकाओं ’पंचायत परिवार’ व ’महिला शक्ति’ में प्रकाशित सामग्री पर चर्चा की गई। लघु फिल्में ‘हिवरे बाज़ार’, ‘मंथन’, ‘ज़माना बदल गया’ दिखाई गईं। संचालन डॉ. स्मिता श्रीमाली व देवेन्द सिंह देवड़ा ने किया।
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