कठपुतली नाटक ‘स्वामी विवेकानन्द’ को कनाड़ा में अवार्ड


कठपुतली नाटक ‘स्वामी विवेकानन्द’ को कनाड़ा में अवार्ड

भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर जो अपनी स्थापना से ही ना केवल कठपुतली बल्कि लोक कलाओं के शोध, विकास और उन्नयन के लिए प्रयत्नशील रहा है । स्वर्गीय पद्मश्री देवीलाल सामर के समय से ही कठपुतली के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की, जिस कारण उसे विश्व में कठपुतली कला में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।

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कठपुतली नाटक ‘स्वामी विवेकानन्द’ को कनाड़ा में अवार्ड

भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर जो अपनी स्थापना से ही ना केवल कठपुतली बल्कि लोक कलाओं के शोध, विकास और उन्नयन के लिए प्रयत्नशील रहा है । स्वर्गीय पद्मश्री देवीलाल सामर के समय से ही कठपुतली के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की, जिस कारण उसे विश्व में कठपुतली कला में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।

उसी ऊॅंचाई और गौरव को प्राप्त करते हुए भारतीय लोक कला मण्डल ने चित्रांगदा, काबुलीवाला जैसी प्रस्तुतियॉं दी ।

रामकृष्ण मिशन नई दिल्ली द्वारा स्वामी विवेकानन्द के 150वें जन्मोत्सव के अवसर पर भारतीय लोक कला मण्डल को उनके जीवन एवं शिक्षा को प्रदर्शित करने के उद्धेश्य से एक कठपुतली नाटक तैय्यार करने को कहा गया । जिसका लेखन प्रसिद्ध नाटककार एवं नाट्य निर्देशक डॉ. लईक हुसैन द्वारा छः माह के शोध के पश्चात् किया गया । उक्त नाटक के हिन्दी संस्करण के 164 प्रदर्शन भारत के विभिन्न राज्यों में लोक कला मण्डल के पूर्व सहायक निदेशक स्वर्गीय श्याम माली के निर्देशन में हुए ।

उनके स्वर्गवास के पश्चात् अंग्रेजी संस्करण के निर्देशन कि जिम्मेदारी डा. लईक हुसैन ने उठाई, जिसका प्रथम मंचन 31 जुलाई 2014 को रामकृष्ण मिशन नई दिल्ली में हुआ । इस प्रस्तुती को उद्घाटनकर्ता श्री श्रीपद येस्सो नाईक, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री इतने प्रभावित हुए कि इसकी प्रस्तुति अमेरिका एवं कनाड़ा में करते हुए उन्होंने संस्कृति मंत्रालय से विशेष वित्तीय सहायता प्रदान कि ।

संस्था के मानद सचिव रियाज तहसीन के नेतृत्व में पुतली दल डॉ. लईक हुसैन द्वारा लिखित एवं निर्देशित इस नाटक को 18 सितम्बर को अमेरिका के न्यूयोर्क शहर पहुॅंचा तथा 19 सितम्बर 2014 को हिन्दु टेम्पल सोसाईटी ऑॅफ नार्थ अमेरिका, फ्लेशिंग में उसने प्रथम मंचन कर श्रंखला बद प्रस्तुतियों का श्री गणेश किया । यहॉं दल के सभी सदस्यों का शॉल ओडाकर स्वागत किया गया ।

कठपुतली नाटक ‘स्वामी विवेकानन्द’ को कनाड़ा में अवार्ड

20 सितम्बर को दोपहर एक बजे एवं शाम को 7 बजे दो प्रस्तुतियॉं क्रमशः हिन्दु टेम्पल वाईट प्लेन्स, न्यूयोर्क तथा इण्ड्यिा कल्चरल सोसायटी ऑफ रोकलेण्ड, नैनूएट न्यूयार्क में मंचन हुआ । 21 सितम्बर को दल न्यूजर्सी के लिए रवाना हुआ जहॉं उसने उसी दिन फिर से दो प्रस्तुतियॉं दोपहर 12 बजे एवं 2.30 बजे दी जो हिन्दु समाज माहवा एवं विवेकानन्द विद्यापीठ के सहयोग से सर्व धर्म मन्दिर माहवा में हई । 22 सितम्बर को दल मेन हटन शहर देखने गया । 23 सितम्बर 2014 को इण्डिया कल्चरल एसोसिएशन ऑफ मोनरो, न्यू जर्सी में प्रस्तुति दी ,

24 सितम्बर को दल ने न्यू यार्क भ्रमण में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी, 9/11 का जी़रो गा्रउण्ड, फ्रिडम टावर , थईम्स स्मावर्ट ब्राड वे आदि देखा ।

दल 25 सितम्बर को सड़क मार्ग द्वारा कनाड़ा के लिए प्रस्थाान कर गया जहॉं 26 सितम्बर को वेदान्ता सोसायटी ऑफ टोरन्टो एवं श्रंगेरी विद्या भारती फाउण्डेशन, ईटोबीकोक आनटेरिओ में प्रस्तुति दी तो 27 सितम्बर को प्रातः 10 बजे एवं शाम 6.30 बजे क्रमशः चिनमय वेदान्ता हेरिटेज सेन्टर, शिवालय ब्रह्मटोन ओन तथा कल्चरल एन्डरस्टेड्रिग एवरीवेयर लिविंग ऑर्टस सेन्टर मिसिसोगा टोरेन्टो में प्रस्तुति दी । 28 सितम्बर को फिर से 2 प्रस्तुतियॉं प्रातः 10 बजे एवं शाम 7.30 बजे क्रमशः सत्य साई संस्थान और श्री रामकृष्ण सेवाश्रम ऑफ कनाड़ा, स्कारबोरफ नियाग्रा हिन्दु समाज सेन्ट केथरीन्स ओनटेरियो में प्रस्तुति दी ।

इसी दिन सत्य साई संस्थान के अध्यक्ष एन जगन्नाथ द्वारा स्वामी विवेकानन्द नृत्य नाटिका के प्रदर्शन के लिए भारतीय लोक कला मण्डल को अवार्ड से सम्मानित किया गया । पूरी यात्रा में व्यवस्था का कार्य लोक कला मण्डल के सहायक निदेशक गोवर्धन सामर ने सम्भाला तो तकनीकी कार्य डॉ. लईक हुसैन एवं मार्गदर्शन रियाज तहसीन और रामकृष्ण मिशन नई दिल्ली के प्रमुख स्वामी शान्तात्मानन्द का रहा ।

इस भव्य नाटिका को प्रकाश कृष्ण कुमार ओझा, कठपुतली संचालन तुलसीराम गमेती, लोगर गमेती, यशोदा माली, मीता पाहुजा, भगवती माली, मोहन डांगी, जगदीश पालीवाल नेपथ्य किशन सिंह, खुमाण सिंह, दुर्गा शंकर ने सम्भाला तो मंच व्यवस्था गोवर्धन सामर द्वारा की गई ।

भारतीय लोक कला मण्डल द्वारा तैय्यार इस कठपुतली नाटक को अमेरिका एवं कनाड़ा के प्रत्येक जगह सराहा गया तथा इसे ब्राड वे कि प्रस्तुतियों के समकक्ष बताते हुए आजिरवट दर्शकें ने ब्राडवे में करने कि सलाह दी जहॉं भी प्रस्तुति हुई दर्शक अगली प्रस्तुतियों के बारे में पूछते रहे और सम्भव हुआ तो अपने परिवार जनों के साथ वहॉं पहुॅंच और प्रदर्शन देखा, जो इस प्रस्तुति को अपने दोस्तों अथवा रिश्तेदारों को नहीं दिखा पाया, वह अगली बार कब आएगे के प्रश्न पूछ कर मन मसोसते नज़र आए ।

राजस्थान कि परम्परागत धागा पुतली के तैय्यार यह नाटक भारत में 218 तथा विदेश में 11 प्रस्तुतियॉं मात्र एक वर्ष की अवधि में कर विश्व के कठपुतली इतिहास में एक रिकार्ड बना है । जिसके लिए भारतीय लोक कला मण्डल के सभी कलाकार मानद सविच रियाज तहसीन सहायक निदेशक गोवर्धन सामर और नाटक के लेखक निर्देशक डॉ. लईक हुर्सन बधाई के पात्र है ।

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