परम्परागत प्रभुत्व से ग्रामीण शासन के लोकतांत्रिक स्वरुप पर प्रश्न


परम्परागत प्रभुत्व से ग्रामीण शासन के लोकतांत्रिक स्वरुप पर प्रश्न

"वर्तमान ग्रामीण स्वशासन की संस्थाओं में अनौपचारिक संस्थाओं में कार्यरत रहे प्रभावशाली व्यक्तियों और परिवारों का ही प्रभुत्व नज़र आता है; जिससे पंचायतीराज के लोकतांत्रिक स्वरूप पर प्रश्नचिन्ह लगता है। ग्रामीण क्षेत्रो में अनौपचारिक स

 

“वर्तमान ग्रामीण स्वशासन की संस्थाओं में अनौपचारिक संस्थाओं में कार्यरत रहे प्रभावशाली व्यक्तियों और परिवारों का ही प्रभुत्व नज़र आता है; जिससे पंचायतीराज के लोकतांत्रिक स्वरूप पर प्रश्नचिन्ह लगता है। ग्रामीण क्षेत्रो में अनौपचारिक संस्थाओं के रूप में जाती पंचायत और गाँव की पंचायते लंबे समय से कार्यरत रही है, इन पंचायतो में कार्यरत सामाजिक पंच और मौतबीरो के परिवारों का ही दबदबा वर्तमान ग्रामीण शासन में दिखाई देता है।” – ये विचार विद्या भवन रूरल इंस्टिट्यूट में आयोजित विद्या भवन रिसर्च फोरम की मासिक बैठक में डॉ. मनोज राजगुरु ने “पंचायतीराज में पारंपरिक प्रभुत्व की पुनर्स्थापना” नामक अपने शोध पत्र के वाचन के दौरान व्यक्त किये।

राजगुरु ने भारतीय लोकतंत्र की सफलता में लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण की अवधारणा के महत्त्व को रेखांकित किया किन्तु साथ ही यह भी बताया कि किस प्रकार प्राचीन ग्रामीण व्यवस्था में प्रचलन में रहे पदों पर आसीन व्यक्तियों एवं उनके परिवारों द्वारा इन पंचायतीराज की संस्थाओं को अप्रत्यक्ष रूप से हस्तगत कर लिया गया है, इसी कारण पिछड़े और निम्न वर्गों के लोगोका चुनाव माह ओपचारिकता बन कर रह गया है। 

साथ ही पुरुष प्रधान की मानसिकता ने भी महिलाओ के अस्तित्व को नाममात्र का जनप्रतिनिधि बना कर रख दिया है।

फोरम में चर्चा में भाग लेते हुए अनिल मेहता ने राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे परम्परागत प्रभुत्व पर प्रकाश डाला एंव साथ ही उन्होंने अनौपचारिक संस्थाओं में स्वेच्छिक संगठनो की भूमिका को जोड़ने की भी बात कही।

बैठक की अध्यक्षता कर रहे प्रोण् अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि इस परम्परागत प्रभुत्व में अनौपचारिक संस्थाओ की भूमिका को आर्थिक संदर्भो में भी देखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस परम्परागत प्रभुत्व की समस्या के सामाधान में शिक्षा को केसे माध्यम बनाया जाये; इस पर भी विचार की आवश्यकता है।

परिचर्चा में डॉ. मनीष रावल, स्मिता श्रीमाली ने भी हिस्सा लिया।

इससे पूर्व सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुएए फोरम के समन्वयक डॉ. टी. पी. शर्मा ने फोरम की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन हर्षिता भटनागर ने किया।

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