महिला शिक्षा में राजस्थान आज भी पिछे – किरण माहेश्वरी


महिला शिक्षा में राजस्थान आज भी पिछे – किरण माहेश्वरी

माहेश्वरी ने कहा कि बालिका शिक्षा में राजस्थान आज भी पिछे है, इसको ओर आगे आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किये जा

 
महिला शिक्षा में राजस्थान आज भी पिछे – किरण माहेश्वरी

आज के तकनीकी युग में व्यक्ति की जीवन शेली बदल गई है, जिससे व्यक्ति किसी न किसी रोग से अवश्य ही ग्रसित हो जाता है और बदलते हुए परिप्रेक्ष्य में अपने आप को अगर एक्टिव रखना है तो उस समय फिजियोथेरेपिस्ट की आवश्यकता होती है और यह हमारे जीवन का अंग बन गया है चाहे वे डाक्टर हो या योगा टीचर। व्यक्ति जब काम करते करते रूक जाता है, व्यक्ति का हाथ, पेर या शरीर का कोई अंग किसी बिमारी के कारण काम करना बंद कर देता है तब भी फिजियोथेरेपिस्ट की आवश्यकता होती है, इसके द्वारा बिना दवा के किसी भी बिमारी को थेरेपी एवं व्यायाम द्वारा ठीक किया जा सकता है। उक्त विचार शनिवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ वि.वि. के संगटक फिजियोथैरेपी महाविद्यालय की ओर से आयोजित दो दिवसीय द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय फिजियोथैरेपी संगोष्ठी के अवसर पर उच्च शि़क्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने बतौर मुख्य अतिथि कही।

माहेश्वरी ने कहा कि बालिका शिक्षा में राजस्थान आज भी पिछे है, इसको ओर आगे आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किये जाने की आवश्यकता है, आज भी कई बड़ा वर्ग है जो कॉलेज शिक्षा से अछूता है, उस अछूते वर्ग को कैसे मुख्य धारा से जोड़ा जाये उसके बारे में सोचने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों में स्कुली शिक्षा में श्रेष्ठ रहने वाली, गरीब एवं वंचित वर्ग जो छात्राए आगे अपनी पढ़ाई पैसे की कमी के कारण पूरा नहीं कर पाई रही है उनके अपने महाविद्यालयों में इस वर्ग की छात्राओं के लिए कुछ कोटा तय कर ले और उन्हे निशुल्क शिक्षण एवं दीक्षण देंगे तभी महिला शिक्षा को आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होने कहा कि महिला दिवस पर हम बडे बड़े भाषण दिये जाते है, समारोह आयोजित कर इन्हे आगे लाने की बात कही जाती है लेकिन होता कुछ नहीं है। इस ओर ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि राजस्थान सरकार से बाहरवी तक की शि़क्षा छात्राओं को निशुल्क दी जाती है, और अब उच्च शिक्षा कें इस तरह के प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। जब तक छात्राए उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मे आगे नहीे आयेगी तब तक वह अपने पेरो पर खडी नहीं हो सकती। यह काम कोई एक व्यक्ति नहीं कर सकता, इसके लिए समाज एवं निजी विश्वविद्यालयो को आगे आना होगा। उन्होने राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय का आव्हान किया वे इस ओर पहल करते हुए अपने यहां सभी संकायों में छात्राओं के लिए निशुल्क कोटा तय करें।

अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण हो या फिर जोड़ प्रत्यारोपण, बाइपास सर्जरी हो या न्यूरो सर्जरी में फिजियोथेरेपी कारगर सिद्ध हो रहा है। उन्होने बताया कि इसे चिकित्सा की सहयोगी ब्रांच न हो कर अपनी अलग पहचान बनाई है। दर्द प्रबंधन और रिहीबिलीटेशन दोनो ही क्षेत्रों में फिजियो बढ चढ कर काम कर रहे है। सडक दुर्घटना में घायलों के उपचार में इसकी भूमिका अहम होती है। प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए दो दिवसीय सेमीनार एवं तकनीकी सत्रों की जानकारी दी। समारोह का संचालन डॉ. प्रज्ञा भट्, डॉ. विनिता बागेला, डॉ. आरूषी टंडन ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. एस.बी. नागर ने दिया। संगोष्ठी में इगलेंड से डॉ. जेनविग, डॉ. नरेन्द्र शर्मा, डॉ. आजाद, अफ्रीका से डॉ. तोकाजॉकी, डॉ. रिंकु प्रेमराज, इंडोनेशिया से डॉ. इमाम वोल्यो, बांग्लादेश से डॉ. नरिमम हुसैन, इथोपिया डॉ. प्रकाश मिश्रा ने तकनीकी सत्रों में अपने पत्र वाचन किए। संगोष्ठी में कुल 60 पत्रों का वाचन किया गया। सायंकालीन सत्र में सांस्कृतिक संयोजक डॉ. प्रज्ञा भट् द्वारा रंगोली, पोस्टर प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता व विभिन्न देशों व राज्यों से आये प्रतिभागियों का सांस्कृति संध्या का आयोजन किया गया।

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