राम और कृष्ण भारतीय संस्कृति के दो नेत्र
जगत् शिरोमणी मंदिर में चल रही भागवत कथा के 14वे दिन पं. भाई श्री स्कन्दकुमार पण्ड्या ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि राम और कृष्ण भारतीय संस्कृति के दो नेत्र है।
जगत् शिरोमणी मंदिर में चल रही भागवत कथा के 14वे दिन पं. भाई श्री स्कन्दकुमार पण्ड्या ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि राम और कृष्ण भारतीय संस्कृति के दो नेत्र है।
सनातन संस्कृति में कर्म को राम से और मन को कृष्ण से साधने का आदेश दिया गया है। इसी आदर्श के सहारे संसार की आसक्ति समाप्त हो जाती है।
विवेक नगर, सेक्टर 3, में चल रही भागवत् कथा के चौदहवंे दिन पं. भाई श्री स्कन्दकुमार पण्ड्या ने श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीलाओें सुन्दर चित्रण करते हुए कहा कि श्री कृष्ण की लीलाओं में आकण्ठ डुबने से ही संसार के चिन्तन से मुक्ति संभव है।
जीवन में चिन्ता को हावी नहीं होने दे। चिन्ता से बचने का उपयुक्त साधन यह है कि अपने मस्तिष्क को अच्छे विचारों से पूरी तरह से भर दो। जिससे नकारात्मक विचार हावी नहीं हो सके। साथ ही अपने जीवन को सकारात्मक सहृदय मनुष्यों के जीवन मूल्यांे से प्रभावित होने देना चाहिये।
नजरिया सकारात्मक हो तो न सिर्फ भविष्य ज्यादा उज्ज्वल दिखाई देगा बल्कि वर्तमान भी ज्यादा आनन्ददायक लगने लगेगा। चिन्ता को चिता के समान बताते हुए कहा कि संसार नही वरन उसका चिन्तन भक्ति में बाधक है।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal