आत्मा को पाकीजगी देता है रमजान
रमजान की रूहानी चमक दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है और फिजा में घुलती अजान ओर दुआओं में उठते हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे को शिद्दत दे रहे हैं। हर बंदे को सभी प्रकार की बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाला पाक महिना रमजान की इबादतों का दौर चल रहा है।
रमजान की रूहानी चमक दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है और फिजा में घुलती अजान ओर दुआओं में उठते हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे को शिद्दत दे रहे हैं। हर बंदे को सभी प्रकार की बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाला पाक महिना रमजान की इबादतों का दौर चल रहा है।
रोजों के अनिवार्य किए जाने का उद्देश्य ‘तकवा’ की प्रवृत्ति को पैदा करती है। तक़वा से तात्पर्य है बुराइयों से बचना। इंसान के अन्दर जिस्म ओर रूह है आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है, लेकिन असल चीज उसकी रूह है।
इसी की तरबियत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमज़ान बनाया है। इसी माह में दुनिया में कुरान शरीफ अवतरित किया हुआ था और रमज़ान के आखिरी दस दिनों में मस्जिदों में ऐतकाफ किया जाता है जिसमें बाहरी दुनिया, रिश्ता, नातेदारी सब कुछ छोड़कर दस दिनों तक बस इबादत ही करना है।
रमज़ान के आखरी दस दिनों में ही शबे कद्र आती है जिसमें कुरान शरीफ दुनिया में अवतरित हुआ और शबे कद्र 27वीं शब (रात) को है इसमें एक रात की इबादत हज़ारों महिनों की इबादत के बराबर है। इसलिए इन पांच दिनों में लोग रातभर जग कर नामाज़े, कुरान शरीफ की तिलावत, वाजों नसिहत द्वारा इबादतें करते हैं।
भाईचारे का संदेश: पाक महीना ‘माह-ए-रमज़ान’ न सिर्फ रहमतों और बरकातों की बारीश करता है। बल्कि समूची मानव जाति को प्रेम, भाईचारे और इंसानियत का संदेश भी देता है। मौजूदा हालात में रमजान का संदेश और भी प्रासंगिक हो गया है।
रमजान मे माफी न केवल अपने लिए अपितु सभी के लिए है। घर, गली, मोहल्ले, शहर, जिले, प्रदेश, देश व विश्व में शांति, अमन चैन एवं भाईचारा बना रहे। आमीन।
अमीर शेख
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