पक्षियों की विलुप्त होती प्रजाति पर चिंतन
राजस्थान में साईंबेरियन क्रेन एगोडावन एसारस और चील पक्षियों को बहुतायत में देखा जाता था किन्तु अब ये पक्षी विलुप्ति के नजदीक जा रहे हैं - उक्त विचार बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के निदेशक डॉ. असद आर रहमानी ने डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल एवं विद्या भवन के सयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में व्यक्त किए।
राजस्थान में साईंबेरियन क्रेन एगोडावन एसारस और चील पक्षियों को बहुतायत में देखा जाता था किन्तु अब ये पक्षी विलुप्ति के नजदीक जा रहे हैं – उक्त विचार बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के निदेशक डॉ. असद आर रहमानी ने डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल एवं विद्या भवन के सयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में व्यक्त किए।
डॉ. रहमानी ने कहा की पक्षियों का संरक्षण किया जाए तभी इसके बेहतर परिणाम आ सकते है। डॉ. असद रहमानी ने कहा कि पक्षियों की बिक्री, शिकार और पक्षियों के प्राकृतिक आवास वन, पेड़, नदी, नाले, झील, तालाब की दुर्दशा ने पक्षियों को विलुप्ति के कगार पर पहुंचा दिया है। डॉ. असद ने आगे कहा कि विश्व में इंडोनेशिया और चीन के बाद भारत में भी चिडियों की स्थिति चिंताजनक बन गयी है। सारस जैसी प्रजाति जिसकी अस्सी प्रतिशत आबादी भारत में रहती है उसका संरक्षण करने का दायित्व भारत का है वर्ना विश्व से यह प्रजाति भी विलुप्त हो जायेगी।
प्रोजेक्ट टाइगर जैसे प्रोजेक्ट पर अरबो रुपये खर्च किये जाते है लेकिन पक्षियों के संरक्षण के लिए इस तरह के प्रयासों की अनदेखी नज़र आती है। डॉ. रहमानी ने आगे कहा की उदयपुर में भी दो स्थानीय प्रजाति है जो विश्व में कही नहीं है, वह है ग्रीन मुनिया और वाईट नेप्ड टिट। इन दोनों प्रजातियों को बचाने का दायित्व उदयपुर के नागरिको को निभानी चाहिए। पक्षियों के संरक्षण हेतु जन जागरण एवं जाग रुकता की महती जरुरत है।
बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री की उप निदेशक सुब्बलक्ष्मी ने एक प्रशन के उत्तर में बतलाया की आम जन की जाग्रति और सहभागिता के बिना पक्षियों को बचाना बहुत मुश्किल हैं।
व्याख्यान के प्रारंभ में विद्या भवन के अध्यक्ष रियाज़ तहसीन ने स्वागत करते हुए उदयपुर प्रकृति संरक्षण की जरुरत पर जोर दिया। पोलिटेक्निक महाविद्यालय के प्राचार्य अनिल मेहता ने विद्या भवन प्रकृति साधना केंद्र की प्रस्तुति दी। प्रो. जगत मेहता ने प्रकृति संरक्षण की जरुरत बतलाई सचिव नन्द किशोर शर्मा ने व्याख्यान का संयोजन ट्रस्ट किया। आभार मोहन सिंह मेहता ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय मेहता ने ज्ञापित किया। व्याख्यान में हुए प्रश्नोत्तर में डॉ तेज राजदान एशैलेन्द्र तिवारी ए.एस, बी.लाल, एएन.सी जैन ने भाग लिया।
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