त्याग सफलता की सबसे बड़ी सीढ़ीः सुप्रकाशमति माताजी


त्याग सफलता की सबसे बड़ी सीढ़ीः सुप्रकाशमति माताजी

गुरू मां ने कहा कि जीवन पानी की एक बुंद के समान है। चाहे तो संकल्प कर इसे संवार दो या चाहे मिट जाने दो। हम चाहें कि हमारा जीवन सफल हो तो उससे पहले माता-पिता से शिक्षा लें। उन्होेंने आपका जीवन जीने लायक बनाया। जिस प्रकार भगवान आदिनाथ के लायक बेटे भगवान बाहुबली ने आज तक विजय पताका फहरा रखी है। आप भी उसी प्रकार अपने परिवार का नाम रोशन करें। चाहे उसके लिए आपको त्याग भी करना पड़े तो पीछे मत हटियें। आप कभी नालायक मत बनियें। त्याग सफलता की सबसे बड़ी सीढ़ी है। किसी से प्रतिस्पर्धा मत कीजियें। शहर में उनका प्रवास 4 जुलाई तक रहेगा।

 
त्याग सफलता की सबसे बड़ी सीढ़ीः सुप्रकाशमति माताजी

सुप्रकाशमति माताजी

राष्ट्रसंत गणिनी आर्यिका 105 सुप्रकाशमति माताजी ससंघ के नेतृत्व में चल रही संस्कार यात्रा के आज प्रातः हिरणमगरी से. 4 पंहुचने पर माताजी एवं संस्कार यात्रा का महिला घोष के साथ अपूर्व स्वागत किया गया। जहाँ सकल दिगम्बर जैन समाज के हजारों धर्मानुयायियों ने गगनचुंबी नारों के साथ इलाके को गुंजायमान कर दिया। समाज के करीब 4 हजार लोगों ने माताजी का स्वागत किया।

यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक ओमप्रकाश गोदावत ने बताया कि हिरणमगरी से. 4 स्थित पेट्रोल पम्प पर संस्कार रथयात्रा के पंहुचने पर 108 इन्द्र-इन्द्राणियों द्वारा माताजी का पादप्रक्षालन कर उनके चरण रज को कलश में भरकर अपने घर के शुद्धि के लिए ले जाया गया। वहां से संस्कार यात्रा के आगे बढ़ने पर आकाशीय पुष्पवृष्टि से स्वागत किया गया। वहां बनाये गये मंच पर जब गुरू मां पंहुचकर सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। बीच राह में महिला पुरूष नाचते-गाते चल रहे थे।

त्याग सफलता की सबसे बड़ी सीढ़ीः सुप्रकाशमति माताजी

प्रवेश समिति संयोजक निर्मल मालवी ने बताया कि रथयात्रा वहां से पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पंहुचे जहाँ प्रभु के दर्शन करने के बाद रथयात्रा नागेन्द्र भवन पंहुची। वहां पर देशभर से आये गोमेश बाहुबली महामस्ताभिषेक कमेटी के पदाधिकारी माताजी के पदाप्रक्षालन के लिए आतुर थे। माताजी के मंचासीन होने के बाद जहाँ ध्यानोदय एंव त्रिमूर्ति ट्रस्टियों द्वारा दीप प्रज्जवलन किया गया वहीं मस्तकाभिषेक कमेटी द्वारा चित्र अनावरण किया गया। उदयपुर प्रवास समिति संयोजक प्रकाश सिंघवी ने बताया कि यात्रा के स्वागत में शहर एवं सभी उपनगरों पायड़ा, आयड़,अशोनगर, हुमड़ भवन, सर्वऋतु विलास, हिरणमगरी से.11, रामशरण मन्दिर हीरामन टावर के निवासियों को चातुर्मास के लिए बलीचा जाने से पूर्व बीच में आने वाले पड़ाव के लिए यात्रा के ठहराव की स्वीकृति प्रदान की। इससे पूरे पाण्डाल में हर्ष की लहर छा गयी।

त्याग सफलता की सबसे बड़ी सीढ़ीः सुप्रकाशमति माताजी

गुरू मां ने कहा कि जीवन पानी की एक बुंद के समान है। चाहे तो संकल्प कर इसे संवार दो या चाहे मिट जाने दो। हम चाहें कि हमारा जीवन सफल हो तो उससे पहले माता-पिता से शिक्षा लें। उन्होेंने आपका जीवन जीने लायक बनाया। जिस प्रकार भगवान आदिनाथ के लायक बेटे भगवान बाहुबली ने आज तक विजय पताका फहरा रखी है। आप भी उसी प्रकार अपने परिवार का नाम रोशन करें। चाहे उसके लिए आपको त्याग भी करना पड़े तो पीछे मत हटियें। आप कभी नालायक मत बनियें। त्याग सफलता की सबसे बड़ी सीढ़ी है। किसी से प्रतिस्पर्धा मत कीजियें। शहर में उनका प्रवास 4 जुलाई तक रहेगा।

हिरणमगरी समाज अध्यक्ष झमकलाल अखावत ने बताया कि कानपुर से प्रातः 5 बजे रवाना हुई संस्कार यात्रा को लेने शहरवासी प्रातः साढ़े छः बजे ही मादड़ी इन्डस्ट्रीयल एरिया पंहुच गये। बीच मार्ग में हजारों दिगम्बर जैन समाज के महिला पुरूष कहीं माताजी का पाद प्रक्षालन कर रहे थे तो कहीं बीच मार्ग में माताजी एवं संस्कार रथ यात्रा का पुष्पवृष्टि कर स्वागत किया जा रहा था। कुछ स्थानों पर पर तो उनकी आरती उतारी जा रही थी। मानों ऐसा लग रहा था कि वर्षो बाद समाज का कोई मसीहा क्षेत्र में आया है।

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