अध्यापक शिक्षा के लिए जरूरी है शोध: प्रो. ख्वाजा
'अध्यापक शिषा सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है। इसके लिए जरूरी है कि इसमें समय समय पर शोध के माध्यम से परिवर्तन लाया जाए। जितने अधिक शोध होंगे उतने ही प्रभावी इसके परिणाम भी सामने आएंगे। इन परिणामों का मूल्यांकन कर हम समस्याओं का तो पता लगा ही लेंगे साथ ही इसके निवारणों पर भी योजना बन पाएगी' - यह कहना है कैलिफोर्निया विवि के प्रो. सम्स ख्वाजा का। उन्होंने यह बात राजस्थान विद्यापीठ के एलएमटीटी में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार के समापन अवसर पर कही।
‘अध्यापक शिषा सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है। इसके लिए जरूरी है कि इसमें समय समय पर शोध के माध्यम से परिवर्तन लाया जाए। जितने अधिक शोध होंगे उतने ही प्रभावी इसके परिणाम भी सामने आएंगे। इन परिणामों का मूल्यांकन कर हम समस्याओं का तो पता लगा ही लेंगे साथ ही इसके निवारणों पर भी योजना बन पाएगी’ – यह कहना है कैलिफोर्निया विवि के प्रो. सम्स ख्वाजा का। उन्होंने यह बात राजस्थान विद्यापीठ के एलएमटीटी में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार के समापन अवसर पर कही।
गौरतलब है की इस सेमिनार में देश विदेश के 380 से अधिक विषय विषेशज्ञों ने हिस्सा लेकर अध्यापक शिषा के पुर्नपरीक्षण पर पत्रवाचन किए थे।
डीन डॉ. शशि चित्तौडा ने बताया कि समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए एनसीईआरटी के पूर्व सलाहाकर प्रो ओपी देवल ने कहा कि किसी भी संस्था का वर्चस्व तभी होता है, जब वहां का शिषक प्रभावी भूमिका में हो।
विशिष्ठ अतिथि शिषाविद प्रो. एबी फाटक ने कहा कि देश के विभिन्न क्षे़त्रों में जिस स्तर से बदलाव हो रहे हैं, उसमें शिषा का क्षेत्र भी शामिल है। देखा जाए तो यह क्षेत्र ऐसा है जो अन्य सभी क्षेत्रों से बडा भी है और महत्वपूर्ण भी। इस लिहाज से विषय विषेशज्ञों को ही नहीं, सरकार को भी इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा।
आयोजन सचिव डॉ सरोज गर्ग ने बताया कि विभिन्न तकनीकी सत्रों में दो दिनों में तीन सौ से अधिक पत्रवाचन हुए। समापन अवसर पर अमेरिका के प्रो. अरविंद शाह, बरमिंघम से प्रो. गोविंद देसाई, प्रो के सी एस जैन, मलेशिया नेशनल विवि के प्रो कमिशा आसमां, प्रो दातेड टी सुभान, प्रो एमपी शर्मा, प्रो एमए खादर, प्रो बीआर गोयल, प्रो डीएन दानी, डॉ प्रभा वाजपेयी, प्रो केबी रथ, प्रो अशोक पटेल, प्रो प्रवीण दोशी आदि तकनीकी प्रमुख उपस्थित थे।
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