रीथिंकंग महाभारतः कन्टेम्परी कोन्टेक्स्ट्स एण्ड टेक्ट्स
मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय केे संधटक कला महाविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में ‘‘रीथिंकंग महाभारतः कन्टेम्परी कोन्टेक्स्ट्स एण्ड टेक्ट्स‘‘के विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आरम्भ हुआ।
मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय केे संधटक कला महाविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में ‘‘रीथिंकंग महाभारतः कन्टेम्परी कोन्टेक्स्ट्स एण्ड टेक्ट्स‘‘के विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आरम्भ हुआ।
कार्यक्रम के आरंभ में सेमिनार निदेशक व विभागाध्यक्ष प्रो. सीमा मलिक ने अतिथियों का स्वागत करते हुए महाभारत का उल्लेख कर सेमीनार की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। महाभारत को सभी सांस्कृतिक मूल्यों का वाहक बताते हुए इस समिनार को महाभारत के प्रसंगों की पुर्नव्याख्या की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
उद्घाटन सत्र केे मुख्य वक्ता महात्मा गाँधी अर्न्तराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा के प्रो. कपिल कपूर ने अपने उदृबोघन में कहा कि ‘‘भारतीय संस्कृति को विश्व की प्राचीनतम जीवित परम्परा बताते हुए उन्होने कहा कि इसमें बौद्धिक चिंतन की अध्यात्मिक परपंरा रही है जिससे की यह जागरूक व गतिशील है। हमें अपने महाकाव्यों को राष्ट्रीय मानस में डालने के लिए इन्हें पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाना चाहिए।‘‘ उन्होंने महाभारत अध्ययन के विभिन्न दृष्टिकोणों का अनुसरण करने का आह्वान किया। महाभारत के काल, दर्शन, आध्यात्म, धर्म तथा बौद्धिकता के गहन अध्ययन की आवश्यकता बताई।
समारोह के मुख्य अतिथि कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति प्रो. भीम सिंह दहिया थे । उन्होंने पृथा (कुंती) के मातृत्व की व्यथा को नवीन अनुभवों में परिभाषित किया।
सेमिनार के विशिष्ट अतिथि गुरूकुल कांगड़ी विवि हरिद्वार के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. श्रवण कुमार शर्मा ने महाभारत के विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से पात्रों के द्वंन्द व धर्मत्व की व्याख्या की एवं गीता के 12 स्वरूपों पर प्रकाश डाला।
सेमिनार के अध्यक्ष सुखाडि़या विवि के कुलपति प्रो. इन्द्रवर्धन द्विवेदी ने सेमिनार से अपनी अपेक्षाओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि इससे प्राप्त निष्कर्षों की उपादेयता वर्तमान संदर्भों में अत्यधिक होगी।
समारोह में प्रो. फरीदा शाह, डीन, आटर््स कॉलेज व प्रो. शरद श्रीवास्तव ने भी विचार व्यक्त किये। प्रो. प्रदीप त्रिखा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह के विभिन्न सत्रों में प्रो. जगबीर सिंह, राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय के इतिहास विभाग के डॉ. चन्द्रशेखर शमार्, प्रो. सुमित्रा कुकरेती, डॉ. शिवे शर्मा, डॉ. हेमा दहिया एवं डॉ. नीना विज, डॉ. जय श्री सिंह एवं डॉ. मेहजबीन सादड़ीवाला ने महाभारत के विभिन्न आयामों पर प्रकाष डालते हुए अपना पत्रवाचन किया।
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