रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा 'अस्तित्व- बीइंग' पर वार्ता आयोजित
मैं कौन हूं, क्यों हूं, कहाँ से आया हूं,किसलिए आया हूं, मेरा अस्तित्व क्या है,मेरे कर्म क्या है,ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है आदि प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए मनुष्य लालायित रहता है। यह सभी प्रश्न फाउंडेशन ऑफ आई के अभिन्न अंग हैं।
मैं कौन हूं, क्यों हूं, कहाँ से आया हूं,किसलिए आया हूं, मेरा अस्तित्व क्या है,मेरे कर्म क्या है,ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है आदि प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए मनुष्य लालायित रहता है। यह सभी प्रश्न फाउंडेशन ऑफ आई के अभिन्न अंग हैं। इन सभी प्रश्नों का उत्तर सिर्फ ब्रह्मांडीय विज्ञान पर आधारित/निर्मित हीलिंग पद्धति द्वारा दिया जा सकता है जो अस्तित्व बीइंग की नींव बनाती है। यह कहना था सिद्ध योगी सौगातो का जो रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा गुरूवार को रोटरी बजाज भवन में आयोजित वार्ता में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि अस्तित्व बीइंग एक ब्रह्मांडीय विज्ञान है जिसका आधार दिव्य प्रेम ऊर्जा द्वारा हीलिंग करना है। यह हीलिंग पथ मनुष्य को अपने देवत्व की उपलब्धि कराता है। अस्तित्व बीइंग के प्रवर्तक क्रिया योगी डॉ. दीप्ति तथा सिद्ध योगी सौगातो हैं। सौगातो ने बताया कि मैं कौन हूं जानने के लिए पिछले जन्मों के कर्मों को जानना जरूरी है। उन्होंने बताया कि मनुष्य की पर्सनालिटी, मन से नियंत्रित होती है। शरीर मन से नियंत्रित होता है लेकिन मन कहां है, यह सिर्फ ब्रह्मांडीय विज्ञान ही बताता है।
सौगातो ने बताया कि मस्तिष्क का 80 प्रतिशत भाग अवचेतन होता है जो उसकी पर्सनलिटी को प्रभावित करता है लेकिन मनुष्य का इस अवचेतन मन पर नियंत्रण नहीं रहता है। अवचेतन मन जीवन को नियंत्रित करता है। पूर्व जन्म के कर्माे के आधार पर मन का निर्धारण होता है। बालक के जन्म लेने के प्रथम 6 वर्ष तक उसका अवचेतन मन पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है,इसके बाद इसमें किसी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि मनुष्य का मात्र 2.5 प्रतिशत भाग तार्किक होता है। जन्म मैनें लिया, आत्मा मुझमें है,चेतन-अवचेतन मुझमें है,खुशियंा मुझमें है और जब सब कुछ मुझमें है तो यह दुख भी मेरे ही द्वारा पैदा किया हुआ है जिसका दोषारोपण हम दूसरों पर करते है। इससे हमें कुछ नहीं मिलेगा।
सुगातो ने कहा कि जो कुछ है आपके कर्म है। कर्म सुधारोगे तो जीवन सुधरेगा। किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है बशर्ते उसमें तकनीक का उपयोग किया गया हो। उन्होंने कहा कि कुदरत विज्ञान को महसूस किया जा सकता है उसे देखा नहीं जा सकता है। इसलिए हम कुदरत के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते है। जो योग साधना में नहीं है वह अपनी आत्मा को नियंत्रित नहीं कर सकता है।
इस अवसर पर बैठक को क्लब अध्यक्ष डॉ.बी.एल.सिरोया व सचिव डॉ.नरेन्द्र धींग ने भी संबोधित किया। समारोह में सुगातो की सहयोगी श्रीमती डॉ.दीप्ती भी उपस्थित थी। प्रारम्भ में श्रीमती ममता सुखवाल ने ईश वंदना प्रस्तुत की जबकि अंत में सचिव डॉ.नरेन्द्र धींग ने ज्ञापित किया।
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