छात्र असमंजस में, 'पर्चा आउट' पर नहीं दे रहा जवाब आर.टी.यु


छात्र असमंजस में, 'पर्चा आउट' पर नहीं दे रहा जवाब आर.टी.यु

इसे इंजीनियर बनने का सपने देखने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड ही कह सकते हैं कि 13 फरवरी को प्रथम समेस्टर के इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक का पेपर आउट होने के बावजूद भी आर.टी.यु ने अब तक अपनी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है, इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।

 

इसे इंजीनियर बनने का सपने देखने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड ही कह सकते हैं कि 13 फरवरी को प्रथम समेस्टर के इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक का पेपर आउट होने के बावजूद भी आर.टी.यु ने अब तक अपनी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है, इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।

गौरतलब हैं की पिछले दिनों 13 फरवरी को एक वेबसाइट पर हाथ से लिखी इस पेपर के फोटो अपलोड किए हुए थे। रिपोर्टर द्वारा निकटतम परीक्षा केन्द्र पेसिफिक में इसकी जानकारी के.के छाबड़ा, डायरेक्टर, पेसिफिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग को दी गई। छाबड़ा को पर्चे की कॉपी बताई गयी जिसपर उन्होंने आर.टी.यु से आए पेपर से मिलान किया।

छाबड़ा ने पेपर देखने के बाद बताया था, कि जो पेपर वेबसाइट पर अपलोड हुआ है, उसके सभी सवाल आज चल रहे पेपर के हुबहू हैं। परीक्षा में आए पेपर की पांचो यूनिट इस आउट पर्चे में लिखी हुई थी।

कॉल नहीं उठा रहे परीक्षा नियंत्रक

इस मामले में हमने लगातार कई बार आर.टी.यु परीक्षा नियंत्रक अशोक माथुर से आगे की कार्यवाही की सुचना लेनी चाही परन्तु उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया, और यह पहली बार नहीं था, रिपोर्टर ने पर्चा आउट होने वाले दिन भी माथुर को सुचना देनी चाही परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ।

मीटिंग चल रही है, बता देंगे

इस मामले में कई कॉलेजों के प्रधानाचार्य से पूछा गया परन्तु उनका यही कहना है की, “आर.टी.यु में मीटिंग चल रही है, इससे ज्यादा हमें कोई जानकारी है, फैसला होने पर सूचित कर दिया जाएगा”।

छुट्टिया हुई बेकार

छात्रों का यह पेपर अंतिम पेपर था, उन्होंने सोचा था की दुसरे दिन से कुछ समय के लिए पढाई से दूर छुट्टियों का लुत्फ़ उठाएँगे परन्तु यह आउट हुआ पेपर उनके गले की फ़ांस बन गया है।

छात्र राजेन्द्र मीणा का कहना हैं कि, “आर.टी.यु से वापस परीक्षा का कोई जवाब नहीं आया है, घर छुट्टियों में भी यही चिंता रहती है की परीक्षा कब होने वाली है। आब सभी को पता चल चूका हैं कि पूरा पेपर शत प्रतिशत आउट हो चूका था तो फैसला लेने में इतनी देरी क्यों”?

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