पट्टों के लिए 30 वर्षों से भटकते सहेलीनगर कोलोनीवासी
‘प्रशासन शहरों के संघ’ 15 फरवरी को समाप्त होने वाला हैं परन्तु सहेली नगर में रहने वाले 400 घरों को तीस वर्षो से उनके पट्टे नही मिल पाए हैं।
‘प्रशासन शहरों के संघ’ 15 फरवरी को समाप्त होने वाला हैं परन्तु सहेली नगर में रहने वाले 400 घरों को तीस वर्षो से उनके पट्टे नही मिल पाए हैं।
आज आपनी समस्या को मिडिया के सामने रखते हुए सहेली नगरवासियों ने बताया कि उनकी कालोनी नियमन योग्य होने के बावजूद, तथा स्वायत मंत्री शांतिलाल धारीवाल के आश्वासन कि ‘क़ानूनी पेचदियो के बावजूद भी पट्टे जारी करो’ के बावजूद भी कोई कार्य नही हुआ है।
सहेली नगर विकास समिति के अध्यक्ष तेज प्रकाश जोशी ने बताया कि उनकी कॉलोनी में 1982 से 1999 के पूर्व अधिकांश जमीन पर मकान निर्मित हो चुके थे, तथा सभी मकानों में बिजली, जल व टेलीफोन लाईन की सुविधाओ के साथ-साथ कॉलोनी में पक्की सडके भी बनी हुई हैं।
जोशी ने बताया कि हमारी कॉलोनी को 1997 में झील निर्माण निषेध क्षेत्र में ले लिया गया था, जिसे 1999 में पुन: निकाल दिया गया था। जोशी ने बताया की यह कॉलोनी फतहसागर के डाउन स्ट्रीम में स्थित हैं, जिसका पानी झील में नही जा सकता, और यह कॉलोनी सीवरेज लाइन से जुड़ने हेतु प्रस्तावित है।
जोशी ने महत्वपूर्ण सुचना में यह बताया कि यु.आई.टी ने फतहसागर के नजदीक 50 से 60 मकानों के पट्टे जारी कर दिए तथा इसमें दो बहुमंजिला इमारते भी शामिल हैं। जोशी ने मिडिया के समक्ष गुहार लगाई हैं कि उनकी कॉलोनी के घरों को भी ‘प्रशासन शहरों कर संघ’ में ही उनके पट्टे यु.आई.टी बना देवे।
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