स्वर्णिम यात्रा से मिली पापों से मुक्ति: मुनिप्रसन्न सागरजी
अन्तर्मना मुनिश्री प्रसन्न सागर जी महाराज संघ सहित गुरुवार सांयकाल मुक्ताकाशी समवशरण के दर्शन कर प्रगति आश्रम पर पहुँचे। शुक्रवार प्रात: की पूजा आराधना, श्री चन्द्रप्रभु भगवान का अभिषेक शांतिधारा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इसके बाद मुनिश्री सेक्टर 14 हाइवे पर स्थित गमेर बाग पहुँचे।
अन्तर्मना मुनिश्री प्रसन्न सागर जी महाराज संघ सहित गुरुवार सांयकाल मुक्ताकाशी समवशरण के दर्शन कर प्रगति आश्रम पर पहुँचे। शुक्रवार प्रात: की पूजा आराधना, श्री चन्द्रप्रभु भगवान का अभिषेक शांतिधारा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इसके बाद मुनिश्री सेक्टर 14 हाइवे पर स्थित गमेर बाग पहुँचे।
गमेर बाग पर स्वर्णिम शाश्वत् तीर्थ यात्रा के संघपति शांतिलाल वेलावत, विजय कुमार वेलावत परिवार द्वारा भव्य कल्याण मंदिर विधान का आयोजन और सकल दिगम्बर जैन समाज का स्वामी वात्सल्य रखा गया।
विधान में पाश्र्वनाथ भगवान को 44 ऋद्घि मन्त्रों सहित अघ्र्य चढाये गये। वेलावत परिवार ने नृत्य करते हुए विधान सम्पन्न कराया। आज के इस कार्यक्रम में समस्त दिगम्बर जैन समाज के साथ ही ‘अन्तर्मना स्वर्णिम शाश्वत् तीर्थयात्रा’ के सभी तीर्थयात्री भी हाथों में श्रीफल लिये उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुनिश्री ने सबको शुभाशीर्वाद देते हुए कहा कि श्री पद्मप्रभ गुरुभक्त परिवार के सदस्यों जिन्होंने सम्पूर्ण यात्रियों की यात्रा के दौरान खूब आवभगत करते हुए सेवा की, वे सब धन्यवाद के पात्र है। गुरुभक्त परिवार के सभी सदस्य समान है, उनमें कोई अध्यक्ष या मंत्री नहीं होता है। सभी को जैसा भी कार्य बताया जाता है, वह अपनी पूर्ण जिम्मेदारी और निष्ठा से उस कार्य को अन्जाम देते है। यहां के सभी तीर्थ यात्रियों ने भी पूरी धार्मिक भावना के साथ तन्मयता से अपनी यात्रा को अच्छी तरह से सम्पन्न किया है। वहां पर श्री सम्मेद शिखर पर्वत पर हर पन्द्रह दिन में एक बार बारिश होती है, जिससे शुद्घि हो जाती है और आप सब जब यात्रा पर थे तब भी उसी दिन पानी बरसने लगा तो आप भी पाप मुक्त होकर आये हो। यह आपकी भक्ति और पुण्य का प्रभाव था।
मुनिश्री ने बताया कि शनिवार से नवरात्रि पर्व प्रारम्भ हो रहा है और अन्तर्मना रजत वर्षा योग समिति द्घारा नव दिवसीय महार्चना महोत्सव टाउनहॉल प्रांगण में विशाल पांडाल बनवा कर मनाया जा रहा है। जहां पर प्रतिदिन प्रात: 6.00 बजे से पूजा अभिषेक एवं विधान के कार्यक्रम पुण्यार्जक जोडो के साथ, सभी साधर्मियों द्घारा सम्पन्न किये जायेंगे। जैन दर्शन में नवरात्रि महोत्सव से कोई सम्बन्ध नहीं है, फिर भी आज से हजारों वर्ष पूर्व भरत चक्रवर्ती द्घारा दिग्विजय यात्रा की खुशी में नौ दिनों तक भगवान की पूजा आराधना, महार्चना कर गरीबों को दान पुण्य किया गया था। नवरात्रि का मानव के जीवन दर्शन से सम्बन्ध है। पर्यूषण पर्व त्याग, तपस्या का पर्व था और नवरात्रि आनन्द उत्सव मनाने का त्यौहार है। पर्युषण सब कुछ छोडने के लिये था और नवरात्रि खुशियां मनाते हुए, धार्मिक क्रिया कलाप करते हुए, नृत्य भक्ति सहित आमोद-प्रमोद का पर्व है। धर्म के लिये जो दे दिया जाता है वो सोने का हो जाता है और होते हुये भी नही देने से वह मिट्टी का हो जाता है। संघपति शांतिलाल वेलावत परिवार ने इसी भावना से अपने धन का सदुपयोग किया है।
अन्तर्मना रजत वर्षा-योग समिति के प्रचार प्रसार मन्त्री महावीर प्रसाद भणावत ने बताया कि नवरात्रि पर्व के नौ दिनों तक मुनिश्री अखण्ड मौन रखते हुए साधना करते है और करोडों मन्त्रों का जाप कर अपनी साधना पूर्ण करते है।
डॉ. सुरेश जैन ने सम्मेद शिखर यात्रा पर बहुत सुन्दर कविता को पढकर सुनाया। संघपति शांतिलाल वेलावत ने सबका आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया।
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