सामायिक यानी समता भाव रहे जीवन भर साध्वी अभ्युदया
वासुपूज्य मंदिर में साध्वी अभ्युदया ने नियमित प्रवचन में कहा कि हर समय समभाव में रहना चाहिए। सामायिक की साधना इसीलिए की जाती है। सामायिक भले ही 48 मिनट की हो लेकिन समता भाव दिन भर रहे। व्यवसा
उदयपुर। वासुपूज्य मंदिर में साध्वी अभ्युदया ने नियमित प्रवचन में कहा कि हर समय समभाव में रहना चाहिए। सामायिक की साधना इसीलिए की जाती है। सामायिक भले ही 48 मिनट की हो लेकिन समता भाव दिन भर रहे। व्यवसाय हो, चाहे घर पर हो, चाहे ऑफिस में हों। उस 48 मिनट का प्रभाव 24 घंटे रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि समता भाव जब तक नही आएगा, मोक्ष की प्राप्ति तो दूर वहां तक पहुँच भी नहीं पाओगे। चाहे दोस्त हो या दुश्मन, समता भाव तब तक रखना है जब तक कैवल्य ज्ञान न आ जाये। सामायिक सच्ची तब होती है जब सभी के प्रति समता भाव में में आ जाये। सामायिक 4 प्रकार की होती है। सम्यकत्व तरह की, जीव और शरीर अलग है। शुद्ध सामायिक, स्वाध्याय करना, आगम का अध्ययन करना आदि। देशमिति यानी घर, व्यवसाय, मित्र आदि के साथ रहते हैं।
साध्वी श्री ने कहा कि नवकार 14 पूर्वों का सार है। इसी तरह सामायिक द्वादशांगि का सार है। प्रतिज्ञा जैसे आपको मजबूत करती है वैसे ही करेमि भंते के मंत्र के साथ साधु साध्वी भी प्रतिज्ञा करते हैं। सामायिक का यह प्रतिज्ञा सूत्र है। 84 के चक्कर से तीर्थंकर मुक्त हो जाते हैं। जैन धर्म इसीलिए मिला कि पुण्य किया। एक कौड़ा कौड़ी सागोपम को स्थिति को नष्ट करना है।
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