संस्कृति संगम: देसी-विदेशी संस्कृति को किया साझा, यादों की सेल्फी लेकर हुए जुदा


संस्कृति संगम: देसी-विदेशी संस्कृति को किया साझा, यादों की सेल्फी लेकर हुए जुदा

भाषाएं और बोली अलग - अलग, ,एक दूसरे से बात करने मे भी थोडी असहजता, कुछ झिझक भी थी लेकिन फिर भी एक दूसरे की भावनाओं को समझते हुए आपस मे खुब घूमे, हंसी ठीठोली की, मेवाड के इतिहास को जाना, कठपूतलियों के जरियें राजा- महाराजाओं की कहानी भी देखी, साथ खाना खाया और फिर एक दूसरे से वापस मिलने का वादा करते हुए यादों को सेल्फी के जरिये कैमरे मे कैद कर जुदा हो गये। कुछ हंसी - मजाक के साथ एक दूसरे के साथ घूलना मिलना, कुछ एक दूसरे से कुछ सीखना- सिखाना, स्नेह जताना और फिर जुदा हो जाना यह सभी तरह के रंग नजर आये लायंस इन्टरनेशनल युथ एक्सचेंज के तीन दिवसीय संस्कृति संगम कार्यक्रम मे।

 
संस्कृति संगम: देसी-विदेशी संस्कृति को किया साझा, यादों की सेल्फी लेकर हुए जुदा
भाषाएं और बोली अलग – अलग, ,एक दूसरे से बात करने मे भी थोडी असहजता, कुछ झिझक भी थी लेकिन फिर भी एक दूसरे की भावनाओं को समझते हुए आपस मे खुब घूमे, हंसी ठीठोली की, मेवाड के इतिहास को जाना, कठपूतलियों के जरियें राजा- महाराजाओं की कहानी भी देखी, साथ खाना खाया और फिर एक दूसरे से वापस मिलने का वादा करते हुए यादों को सेल्फी के जरिये कैमरे मे कैद कर जुदा हो गये। कुछ हंसी – मजाक के साथ एक दूसरे के साथ घूलना मिलना, कुछ एक दूसरे से कुछ सीखना- सिखाना, स्नेह जताना और फिर जुदा हो जाना यह सभी तरह के रंग नजर आये लायंस इन्टरनेशनल युथ एक्सचेंज के तीन दिवसीय संस्कृति संगम कार्यक्रम मे।
यहां की संस्कृति, रंग और झीले भाई मन को
कार्यक्रम के सुत्रधार लायंस क्लब के पूर्व प्रांतपाल अनिल नाहर ने बताया कि आपस मे संस्कृति के आदान प्रदान को लेकर 8 देशों के 21 बच्चें उदयपुर आये और लायंस क्लब द्वारा गोद लिये गये धोल की पाटी स्कूल के 110 बच्चों के साथ मेवाड के इतिहास को जाना, झीलों की खुबसूरती को निहारा आपस मे एक दूसरे से घूले मिले। कार्यक्रम के अंतिम दिन एक दूसरे से जब जुदा हुए तो बच्चें बडे ही मायूस नजर आये। उन्होने विदेशी बच्चों से उनके खाने पीने, रहने के तरिके आदि के बारे मे अपनी जिज्ञासांएं शांत की। इसके साथ ही विदेशी बच्चों ने भी तीन दिन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि मेवाड का इतिहास अपने आप मे बेदह गोरवशाली है, यहां की संस्कृति, यहां के रंग और यहा की झीले अपने आप मे बेहद अनूठी है। उदयपुर आना उनके लिए काफी रोमांचकारी रहा।
संस्कृति संगम: देसी-विदेशी संस्कृति को किया साझा, यादों की सेल्फी लेकर हुए जुदा
जाना मेवाड के गौरवमयी इतिहास को
लायंस क्लब उदयपुर के अध्यक्ष किशोर कोठारी ने बताया कि संस्कृति संगत के तहत धोल की पाटी के 110 बच्चों के साथ विदेशी बच्चों ने सुबह गुप्तेवर महादेव पर ट्रेकिंग कर महादेव के दर्शन किये और वहां से सभी बच्चें प्रताप गौरव केन्द्र पहुचे जहां मेकेनिकल दिर्घा, शोर्य दिर्घा, प्रताप के जीवन पर आधारित डाक्यूमेन्ट्री देखने के साथ ही भारत माता के दर्शन भी किये। प्रताव गौरव केन्द्र पर ही सभी ने एक साथ बैठकर खाना खाया। यहां से सभी बच्चें लोक कला मण्डल पहुचे और कठपूतलियों का शॉ देखा।
ट्रेडिशनल वस्तुओं की कि खरीददारी
लायंस क्लब एलिट के अध्यक्ष लॉ. प्रसुन्न भारद्वाज ने बताया कि कार्यक्रम के अतिम पडाव की और जाते हुए सभी बच्चों ने हेरिटेज लुक मे बने सेलिब्रेशन मॉल को भी देखा। विदेशी बच्चों ने मॉल से खास तौर पर राजस्थानी प्रिंट के कपडें और ट्रेडिशनल चीजों की खरीददारी की। इसके साथ ही धोल की पाटी के बच्चों के लिए भी इतने बडें मॉल मे घूमना एक अलग ही अहसास रहा।
धोल की पाटी के बच्चों को दी छतरियां
कार्यक्रम की संयोजक रेणू चौधरी और मितू कुलश्रेष्ठ ने बताया कि लोक कला मण्डल मे कठपूतली शॉ देखने के बाद धोल की पाटी के 110 बच्चों को लायंस क्लब उदयपुर, लायंस क्लब एलिट, लायंस क्लब उदयपुर बंधूत्व और लायंस क्लब मेवाड गौरव के पदाधिकारियों और सदस्यों सहित विदेशी बच्चो ने बारिश से बचने के लिए छतरियां भेंट की।

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