सरोद वादक अमान अली और अयान अली ने किया मंत्रमुग्ध
उदयपुर में जन्में प्रख्यात तबला वादक पं.चतुरलाल की स्मृति में पं.चतुरलाल मेमोरियल सोसाइटी नई दिल्ली एवं वेदान्ता, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को शिल्पग्राम में शास्त्रीय संगीत संध्या ’स्मृतियां ‘ का आयोजन किया गया।
उदयपुर में जन्में प्रख्यात तबला वादक पं.चतुरलाल की स्मृति में पं.चतुरलाल मेमोरियल सोसाइटी नई दिल्ली एवं वेदान्ता, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को शिल्पग्राम में शास्त्रीय संगीत संध्या ’स्मृतियां ‘ का आयोजन किया गया। संगीत संध्या की शुरूआत में प्रख्यात सरोद वादक अमजद अली के पुत्र अमान और अयान अली बंगश ने सरोद पर अपनी जुगलबंदी से श्रोताओं को रस विभोर कर दिया। शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर बंगेश बंधुओं ने सरोद पर जमकर सुरवर्षा की। सरोद के सुरों के जबरदस्त उतार-चढाव के बीच उन्होंने राग-रचनाओं की सृष्टि कर सुर और लय को इस तरह निबद्ध किया कि शिल्पग्राम परिसर झूम उठा। इनके साथ तबले पर पं. चतुरलाल के पौत्र प्रांशु चतुरलाल और पखावज पर फतहसिंह गंगानी ने संगत की। राग झंझोटी और रागेश्वरी में प्रस्तुत यह बंदिश जप ताल एवं तीन ताल में निबद्ध थी।
इसके बाद प्रख्यात बांसुरी वादक रोनू मजुमदार ने बांसुरी के कंठ खोले तो उनका अनुभव मुखर हो उठा। जिनके साथ अमेरिका के प्रसिद्ध सेक्सोफोनिस्ट जोर्ज ब्रुक्स ने सेक्सोफोन एवं प्रांशु चतुरलाल ने तबला, दरबुका और ड्रम्स पर संगत की। अपनी प्रस्तुति का आगाज उन्होंने राग यमन कल्याण से किया। यह बंदिश तीन ताल में निबद्ध थी। इस तिकडी ने इस राग की अवतारणा में विविध तानों का समावेश कर खूबसूरत तिहाइयों के साथ सम का दर्शाव किया। कई बार उन्होंने बेदम तिहाइयों के साथ सम नहीं दिखाकर भी प्रभावपूर्ण प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बांसुरी, सेक्सोफोन और तबले पर जुगलबंदी को आगे बढाते हुए उन्होंने रसिक श्रोताओं के लिए बहुप्रचलित गीत पुरीया धनाश्री,हंसध्वनी,गावति एवं झंझोती का मिश्रण प्रस्तुत किया। यह बंदिश ताल रूपक एवं तीन ताल में निबद्ध थी।
कार्यक्रम में पंडित चतुरलाल के पुत्र चरनजीत लाल, मीता लाल, हिन्दुस्तान जिंक के मुख्या कार्यकारी अधिकारी सुनील दुग्गल, वोलकेम इंडिया के चेयरमैन अरविंद सिंघल, चीफ कमिश्नर इनकम टैक्स नीना कुमार,ईकनेक्ट के मनोज अग्रवाल,रमाडा की चैयरमेन डोली तलदार, पं.चतुरलाल सोसायटी के चैयरमेन डॉ पीसी जेन आदि ने दीप प्रज्जवलन कर कलाकारों को पुष्पगुच्छ भेंट किर स्वागत किय्ाा। कार्यक्रम का संचालन पं. चरनजीत की पुत्री श्रुति लाल ने किया । इस वर्ष कार्यक्रम के सह सहयोगी आरएसएमएम एवं रमाडा उदयपुर रिसोर्ट एण्ड स्पा तथा पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र थे।
पं. चरनजीत ने बताया सोसाइटी लगातार ’स्मृतियां’ नामक कार्यक्रम उदयपुर में आयोजित करती आ रही है। इसके तहत अब तक पं. हरिप्रसाद चौरसिया (बांसूरी), पं. शिवकुमार शर्मा (संतूर), पं. जसराज (गायन), उस्ताद अमजद अली खां (सरोज), उस्ताद जाकिर हुसैन (तबला), पं. राजन साजन मिश्रा (गायन), कद्री गोपालनाथ (सेक्सोफोन), पं. रोनू मजुमदार (बांसुरी), प्रांशु चतुरलाल (तबला), राहुल शर्मा (संतुर), गुन्देचा बन्धु (गायन), उस्ताद सुजात हुसैन खां (सितार), शूबेन्द्रो राय (सितार) श्रीमती शासकीय राव दी हास (चैलो), मालाश्री (गायन) जैसे वरिष्ठ संगीतज्ञों के सामूहिक वादन के कार्यक्रम आयोजित कर चुकी है।
मन का शुद्धिकरण शास्त्रीय संगीत से – रोनू मजुमदार
स्मृतिया कार्यक्रम में प्रस्तुति देने आये प्रख्यात बांसुरी वादक रोनू मजुमदार ने बातचीत में कहा कि मन और आत्मा की शुद्धि के लिये शास्त्रीय संगीत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय मे शास्त्रीय संगीत बहुत बेहतर स्थिति में है, शिक्षण संस्थानों में शास्त्रीय संगीत का प्रचलन सराहनीय है। मजुमदार ने कहा कि उन्हें बॉलीवुड से कोई शिकायत नही है जहा शास्त्रीय संगीत गीता की तरह है वही तेज संगीत फास्टफुड की तरह है। शास्त्रीय संगीत के श्रोता कभी कम नही होगें। तनाव भरे जीवन में शास्त्रीय संगीत सुकून देता हैं। रियलिटी शो में आने वाले प्रत्येक प्रतिभागी को शास्त्रीय संगीत सिखना चाहिए ताकि वे अपनी प्रस्तुति को बेहतर बना सके। शास्त्रीय संगीत मन के विकास और व्यक्तित्व निखार के लिये आवश्यक है।
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