श्रीसिद्ध चक महामण्डल विधान का दूसरा दिन


श्रीसिद्ध चक महामण्डल विधान का दूसरा दिन

"जब बच्चा छोटा होता है तब उसे आस-पड़ौस के लोग भी गोद में उठाते हैं, प्यार और दुलार करते है। लेकिन उसी बच्चे की आंखों में अगर काजल भी लगा दिया जाए तो उसे प्यार-दुलार करने वालों की संख्या और ज्यादा बढ़ जाती है, रास्ते चलता व्यक्ति भी उसे गोद में उठाने को लालायित रहता है। उसी तरह अगर संसार का हर व्यक्ति अपनी आंखों में परमात्मा और ईश्वर की भक्ति का काजल लगा ले तो, स्वयं प्रभु उन्हें अपनी गोद में उठाएंगे और लाड़-प्यार और दुलार करेंगे।"

 
श्रीसिद्ध चक महामण्डल विधान का दूसरा दिन

“जब बच्चा छोटा होता है तब उसे आस-पड़ौस के लोग भी गोद में उठाते हैं, प्यार और दुलार करते है। लेकिन उसी बच्चे की आंखों में अगर काजल भी लगा दिया जाए तो उसे प्यार-दुलार करने वालों की संख्या और ज्यादा बढ़ जाती है, रास्ते चलता व्यक्ति भी उसे गोद में उठाने को लालायित रहता है। उसी तरह अगर संसार का हर व्यक्ति अपनी आंखों में परमात्मा और ईश्वर की भक्ति का काजल लगा ले तो, स्वयं प्रभु उन्हें अपनी गोद में उठाएंगे और लाड़-प्यार और दुलार करेंगे।”

उक्त विचार मीठे प्रवचनकार, णमोकारवाले बाबा आचार्यश्री शान्तिसागर महाराज ने हुमड़ भवन में आयोजित श्रीसिद्धचक महामण्डल विधान के दूसरे दिन आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा एक कुता भी अपने मालिक के प्रति वफादार होता है। जो मालिक उसे रोटी का टुकड़ा डालता है, वह कुता भी अपने मालिक के घर के बाहर जाकर दोनों समय अपनी दुम तो हिलाता है। लेकिन इंसान को देखो जिस प्रभु और परमात्मा के उसे इतना सब कुछ दिया वह दिन में एक बार भी उसके द्वार पर जाकर अपना सिर झुकाना भी मुनासिब नहीं समझता। आचार्यश्री ने उपस्थित श्रावकों से पूछा कि बताओ फिर इस संसार में श्रेष्ठ कौन? इंसान या फिर कुता।

आचार्यश्री ने कहा आज का इंसान मेहनत नहीं करना चाहता है, उसे तो सीधी थाली ही चाहिए। खाना कोई भी बनाना नहीं चाहता लेकिन बनाना (केला) सभी खाना चाहते हैं।

चातुर्मास कमेटी के प्रचार-प्रसार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि रविवार को आयोजित श्रीसिद्धचक महामण्डल विधान के दूसरे दिन शहर ही नहीं आस-पास के क्षेत्रों से भी कई श्रावक पहुंचे।

धर्मसभा पुणमार्जक ब्रजलाल बोहरा, ललित कुमार देवड़ा, भंवरलाल गदावत रहे जिन्होंने विभिन्न मांगलिक कार्यों को सम्पन्न करवाया। सांयकाल आरती का सौभाग्य रोशनललाल देवड़ा परिवार को प्राप्त हुआ।

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