चंदावती उत्खनन का दूसरा चरण
जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं राजस्थान सरकार के पुरातत्व विभाग के सांझे में चल रहे चंद्रावती उत्खनन कार्य के दूसरे चरण में सोमवार को उत्खनन में पुरातनकालीन धातु गलाने के भटृो की खोज करने में सफलता मिली।
जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं राजस्थान सरकार के पुरातत्व विभाग के सांझे में चल रहे चंद्रावती उत्खनन कार्य के दूसरे चरण में सोमवार को उत्खनन में पुरातनकालीन धातु गलाने के भटृो की खोज करने में सफलता मिली।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत एवं उत्खनन कार्य में लगे विद्यापीठ के डॉ. जीवन सिंह खरकवाल ने बताया कि गांव में स्थित किले के अवशेष के पीछे ओर नदी के समीप धातु गलाने के लिए भट्यिा थी। उस समय लोह का अधिक उपयोग होता था। यह भटिृया बस्ती के एक तरफ व नदी के किनारे स्थित है।
इसका अर्थ पानी की प्रचुरता के कारण यहां अन्य उद्योग, जिनमें ईंट बनाना व और कार्य इसी क्षेत्र में किए जाते रहे होंगे। यहां काफी मात्र में इसके अवशेष पड़े है। इसके साथ ही पानी का भूमिगत जनस्तर बनाए रखने एवं जल संरक्षण के लिए निर्मित तालाब की पत्थरों की दीवार अपना अस्तित्व दर्शा रही है। आस पास की पहाडि़यों में आज भी लोहे की प्रचुरता है।
उन्होंने बताया कि किले के अवशेष के पूर्वी भाग की ओर दो ओर स्थानों पर उत्खनन कार्य करवाया जा रहा है।
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