ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भारत के लिए जरूरी – अनिल अग्रवाल, वेदान्ता समूह
अनिल अग्रवाल, चेयरमैन, वेदान्ता समूह माननीय प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह जी द्वारा गौरवषाली इकोनामिक टाइम्स बिज़नेस लीडर आफ दी र्इयर-2012 पुरस्कार से सम्मानित।
”भारत तेल व गैस, सोना, चांदी, उर्वरक, कोयला तथा अयस्क सान्द्र का एक प्रमुख उपभोक्ता है। सौभाग्य से भारत में इन प्राकृतिक संपदाओं का प्रचुर भण्डार है परन्तु दुर्भाग्यवष यह भण्डार अधिकतम अछूता और अविकसित है। इन प्राकृतिक संपदाओं के विकास से तकरीबन 400 बिलियन अमेरिकी डालर की अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है जिसका लगभग 60 प्रतिषत सरकार को प्राप्त होगा जो कि सामाजिक उत्थान अथवा विकास की योजनाओं पर लगाया जा सकेगा यह कहा अनिल अग्रवाल, चेयरमैन, वेदान्ता समूह ने जिन्हे माननीय प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह जी ने गौरवषाली इकोनामिक टाइम्स बिज़नेस लीडर आफ दी र्इयर-2012 पुरस्कार से सम्मानित किया ।
यह प्रतिषिठत पुरस्कार अनिल अग्रवाल को उनकी अदभुत कार्यनिष्ठा, कार्यप्रणाली, कर्तव्यपरायणता तथा प्राकृतिक संपदाओं के क्षेत्र में विषिष्ट उधोग विकसित करने के लिए प्रदान किया गया ।
हिन्दुस्तान जिंक सेसा गोवा, बालको तथा स्टरलाइट इण्डस्ट्रीज भारत में वेदान्ता समूह की खनिज एवं धातु उत्पादन में प्रभुता दर्षाता हैं। राजस्थान में ही हिन्दुस्तान जिंक कंपनी ने पिछले 10 सालों में, 2002 में विनिवेष के बाद पांच गुना से अधिक उत्पादन में वृद्धि की है। राजस्थान में हाल ही में केयर्न इणिडया के अधिग्रहण के बाद तेल उत्पादन में वृद्धि होने लगी है तथा शीघ्र ही उत्पादन 260,000 बैरल प्रतिदिन होने की संभावना है। केयर्न इणिडया भारत में 20 प्रतिषत तेल उपलब्ध कराता है।
वेदान्ता समूह के चेयरमैन का अनिल अग्रवाल का कहना है कि ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भारत के लिए जरूरी है। हम बाहरी देशों से आयात पर निर्भर क्यों रहे? हम हमेशा तो गरीब नहीं रह सकते है।
वेदान्ता भारत का लन्दन स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध पहला समूह है। सन 2000 में, जब भारत सरकार ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण की बात उठार्इ तब वेदान्ता ने 2001 में एल्युमीनियम कंपनी भारत एल्युमीनियम का तथा 2002 में हिन्दुस्तान जिंक का अधिग्रहण किया। 2007 में आयरन ओर कंपनी सेसा गोवा तथा 2009 में डेम्पो कंपनी का अधिग्रहण किया। वर्ष 2011 में वेदान्ता समूह ने लाइबेरिया में आयरन कंपनी वेस्टर्न कलस्टर लि0 कंपनी का भी अधिग्रहण किया।
जिंक क्षेत्र में अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए वेदान्ता समूह ने वर्ष 2010 में नामीबीया, आयरलैण्ड तथा साऊथ अफ्रीका में एंग्लो जिंक की संपत्ति का अधिग्रहण किया।
अपनी विशिष्ट 100,000 करोड़ रु. की भारत में निवेष योजना के तहत अनिल अग्रवाल का वेदान्ता समूह भारत को ऊर्जा, खनिज एवं धातु क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की ओर अग्रसर है। यह एक पहला समूह होगा जिसने 80,000 हजार करोड़ रु. की विदेषी संपत्ति अर्जित कर भारत में विनिवेश किया है।
हिन्दुस्तान जिंक अब विश्व का सबसे बड़ा जस्ता-सीसा उत्पादक है तथा वेदान्ता समूह भारत में एल्युमिनियम, कापर, आयरन ओर तथा चांदी का सर्वश्रेष्ठ उत्पादक है। चांदी के क्षेत्र में हिन्दुस्तान जिंक 500 टन प्रतिवर्ष चांदी बनाने की ओर अग्रसर है जिससे वह विष्व के प्रथम 10 चांदी उत्पादकों में गिना जाएगा ।
गौरतलब है कि भारत में 6 राज्यों में स्थापित वेदान्ता समूह की कंपनियां उस राज्य की सबसे बड़ी कंपनी है। यह राज्य हैं राजस्थान, छत्तीसगढ़, उडीसा, गोवा, तमिलनाडु तथा दादर नगर हवेली। इन सभी राज्यों में वेदान्ता समूह की कंपनियां सबसे बडे़ निवेशक, रोजगार देने वाली तथा राजकोष में अधिकतम राजस्व देने वाली कंपनियों में है ।
अनिल अग्रवाल का वेदान्ता समूह भारत में सर्वश्रेष्ठ करदाताओं में भी गिना जाता है। राजकोष में वर्ष 2011-12 में कंपनी ने 22,500 करोड़ रु. का राजस्व दिया तथा वर्ष 2012-13 में 35,000 करोड़ रु. का राजस्व देने की संभावना है। यह ही नहीं वर्ष 2011-12 में कंपनी ने 6500 करोड़ रु. का आयकर दिया जो पूरे देश में प्राप्त आयकर का 1.7 प्रतिशत है।
अपनी समाज के प्रति जिम्मेदारी को समझ कर वेदान्ता समूह 550 गांवों के 27 लाख लोगों को सामाजिक व आर्थिक सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। केन्द्र व राज्य सरकारों के सहयोग से आंगनवाडि़यों द्वारा बच्चों में सुपोषण, महिला सशक्तिकरण, कृषि एवं पशुधन विकास, बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण, गांवों में स्वच्छ पेयजल व्यवस्था जैसी अनेकों योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है ।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में रायपुर में 350 करोड़ रु. की लागत से कैंसर हॉस्पिटल का निर्माण पूरा किया जा रहा है तथा राजस्थान में हार्ट हॉस्पिटल, आस-पास के राज्यों के लोगों को भी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा रहा है।
अनिल अग्रवाल का परिवार की जड़े राजस्थान में है तथा वे स्वयं बिहार गोरीया टोली में पले बड़े हैं। अपनी प्रारंभिक शिक्षा अनिल अग्रवाल ने मिल्लर हार्इ स्कूल, पटना में की। 1976 में अपने सपनों को साकार करने के लिए अग्रवाल मुम्बर्इ आये तथा अपने कठिन परिश्रम, आत्मविश्वास तथा सादगी से इस 3 लाख 50 हजार करोड़ रु. के उधोग रत्न की संरचना की।
उधोग जगत में लोग अनिल अग्रवाल को मेटल किंग के नाम से जानते हैं परन्तु जो लोग उनके करीबी हैं वो उन्हें स्वर्ण ह्रदय का मानते हैं जिन्होनें अपनी अधिकतम संपत्ति समाज के विकास व उत्थान में लगाने का निश्चय किया है।
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