आत्म साधना से लगेगी जीवन की नैया पारःसुप्रकाशमति
राष्ट्रसंत गणिनी आर्यिका गुरू मां सुप्रकाशमति माताजी ने कहा कि यदि जीवन की नैया को पार लगाना है तो आत्म साधना करनी होगी। वे आज तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ तन होगा तो स्वस्थ मन होगा और उसी से आत्म ध्यान होगा।जीवन कीउन्नति स्वस्थ तन एवं मन से होती है न कि बीमार व्यक्ति से। इसलिये प्रतिदिन कम से कम 1 घंटा योग एवं प्राणायाम करना चाहिये। योग एवं प्राणायाम करने के बाद अपने कार्यस्थल पर जायेंगें तो अलग ही ताजगी महसूस होगी। मनुष्य अपने जीन के चरम पर योग एवं प्राणायाम के जरिये ही पंहुच सकता है।
राष्ट्रसंत गणिनी आर्यिका गुरू मां सुप्रकाशमति माताजी ने कहा कि यदि जीवन की नैया को पार लगाना है तो आत्म साधना करनी होगी। वे आज तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ तन होगा तो स्वस्थ मन होगा और उसी से आत्म ध्यान होगा।जीवन कीउन्नति स्वस्थ तन एवं मन से होती है न कि बीमार व्यक्ति से। इसलिये प्रतिदिन कम से कम 1 घंटा योग एवं प्राणायाम करना चाहिये। योग एवं प्राणायाम करने के बाद अपने कार्यस्थल पर जायेंगें तो अलग ही ताजगी महसूस होगी। मनुष्य अपने जीन के चरम पर योग एवं प्राणायाम के जरिये ही पंहुच सकता है।
तीर्थंकर तक करते थे योग- माताजी ने कहा कि भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर तक सभी तीर्थंकर योग करते थे और योग ही एक माध्यम था इंसान से भगवान तक पंहुचने का सफर तय करने का।
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