दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कला सृजन कार्यशाला शुरू

दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कला सृजन कार्यशाला शुरू

रचनाएं ऐसी हो जो लोगों के मन भाएं और समझ आएं-मो.फुरकान खान

 
kala goshthi

उदयपुर 29 दिसंबर 2022 । आजादी के अमृत महोत्सव के तहत उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला (पंजाब) एवं सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कला सृजन कार्यशाला का शुभारंभ गुरुवार सूचना केन्द्र में हुआ।

शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप स्मारक समिति के अध्यक्ष एवं ट्रस्टी एमएमसीएफ डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि मेवाड़ प्राचीनकाल से ही कला और संस्कृति के संरक्षण में अग्रणी रहा है और आगे भी रहेगा। आज कला और संस्कृति के संरक्षण में हुनरमंद कलाकार अद्वितीय योगदान देकर हमारी इस विरासत को जीवन्तता प्रदान कर रहे हैं। 

डॉ. मेवाड़ ने कहा कि कलाकारों का यह हुनर भी हमारी जीवन्त धरोहर है जिसके संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए सभी को आगे आना होगा। इससे हुनरमंदों को रोजगार मिलेगा और भावी पीढ़ी हमारी इन अनूठी कलाओं से रूबरू होती रहेगी। उन्होंने कहा कि कलाकारों का दायरा असीमित होता है और यहां उदयपुर में हर क्षेत्र के कलाकार है, ऐसे में उदयपुर को पर्यटन सिटी के साथ कलाकारों के शहर के नाम से जाना जाए तो मुझे अधिक प्रसन्नता होगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक मो. फुरकान खान ने कला जगत की विभिन्न प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया और कहा कि कलाकार रचनाओं का सृजन करें जो आमजन के समझ में आए, मन भाए। उन्होंने डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का आभार जताते हुए कहा कि पूर्व में उनके पिताश्री अरविंद सिंह मेवाड़ ने भी उनकी कृतियों को प्रोत्साहित किया और मेवाड़ में कला को विशेष सम्मान मिलता आया है। 

खान ने कहा कि आज के दौर में कलाकारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और हम हाल ही में कोरोना के भयंकर दौर से गुजरे है लेकिन हमें इन सभी से ऊपर उठकर लगातार आगे बढ़ना होगा और कला के संरक्षण के साथ आजीविका के लिए बेहतर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि कलाकार के पास हुनर की कोई कमी नहीं है और इसी हुनर को जीवन्त रखते हुए कला को एक विशिष्ट पहचान देनी होगी।

विशिष्ट अतिथि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ‘मुम्किन नहीं कि हर जगह मिले खुश्क जमीं, प्यासे जो गर चल पड़े हैं तो दरिया भी मिल जाएगा...... की पंक्तियों के साथ विभिन्न क्षेत्रों से शामिल हुए कलाकारों-साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया और कहा कि उदयपुर में कई प्रकार के फेस्टिवल और मेलों का आयोजन होता है, ऐसे में हम सभी लक्ष्य साधकर आगे बढ़े तो आने वाले दिनों में स्मार्ट सिटी में एक आर्ट फेस्टिवल की नींव भी रखी जा सकती है, जो सभी कलाकारों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। 

उन्होंने कहा के हमारे बीच ऐसे कलाकार है जिनकी पेंटिंग्स देश-विदेशों में भेजी जाती है, ऐसे छायाकार है जिनके छायाचित्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवाजा गया है। इन कलाकारों को एक मंच पर लाने के लिए यह कार्यशाला एक पहल है।
प्रारंभ में कार्यक्रम संयोजक व शिल्पकार हेमंत जोशी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इस कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन चेतन औदीच्य ने किया जबकि आभार भावना व्यास ने जताया।

कला चर्चा में उभरे विविध विषय:

कार्यशाला में जिले के चित्रकार डॉ. चित्रसेन, चेतन औदीच्य व प्रेषिका द्विवेदी, शिल्पकार हेमंत जोशी व डॉ.निर्मल यादव, छायाकार ताराचंद गवारिया, विधान द्विवेदी व युवराज मालवीया, ब्लॉगर व सोशल मीडिया एक्सपर्ट मनीष कोठारी, विपुल वैष्णव, अभय भाटी व सुनील व्यास, रेडियो आर्टिस्ट भावना व्यास, कपिल पालीवाल व माधुरी शर्मा, संगीत कलाकार भूमिका द्विवेदी व नरेन्द्र बियावत, थियेटर आर्टिस्ट दीपक दीक्षित व शिवराज सोनवाल, सूरज सोनी रचित दशोरा आदि ने कलाओं के अंतःसंबंध और आधुनिकता के इस दौर में कलाओं के विस्तार और विकास पर विचार रखे और सुझाव दिए।
 

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