टीआरआई में संगोष्ठी का आयोजन
राजीव गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय में “भावी स्वरूप क्या हो” नामक विषय पर आयोजित दो दिवसीय चर्चा संगोष्ठी बुधवार को टीआरआई सभागार में आरम्भ हुई। पहले दिन शहर के शिक्षाविदों ने विचार मन्थन किया तथा अपने सुझावों द्वारा विश्वविद्यालय के भ
राजीव गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय में “भावी स्वरूप क्या हो” नामक विषय पर आयोजित दो दिवसीय चर्चा संगोष्ठी बुधवार को टीआरआई सभागार में आरम्भ हुई। पहले दिन शहर के शिक्षाविदों ने विचार मन्थन किया तथा अपने सुझावों द्वारा विश्वविद्यालय के भावी स्वरूप पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति टी.सी. डामोर ने विश्वविद्यालय की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अब तक हुई प्रगति के बारे में बताया। कुलपति ने सुझाव दिया कि भावी विश्वविद्यालय में शिक्षा भर्ती का काम व चयन पूरी पारदर्शिता से किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के साथ ही हर रूचि के लिए वोकेशनल पाठ्यक्रम आरम्भ किए जाएँगे जिससे जनजाति के विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त हो सके। प्रो. सारंगदेवोत ने शोध एवं विकास के लिए अलग से विंग बनाने का सुझाव दिया।
मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई.वी.त्रिवेदी ने कहा कि, यह विश्वविद्यालय पूर्णत: जनजाति विद्यार्थियों पर केन्द्रित है तथा जनजाति छात्र क्या पढना चाहता है, उसके लिये इस विश्वविद्यालय को पहले फिल्ड सर्वे करवाया जाए ताकि विद्यार्थियों के शैक्षणिक रूझान का पता चले। प्रो. त्रिवेदी ने कहा कि आदिवासी विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास की बेहद जरूरत है। उनको पर्सनेलिटी बेहतर बनाने तथा एन्टरप्रेन्योरशिप विकसित करने का प्रशिक्षण दिया जाए।
चर्चा संगोष्ठी में प्रो. एस.के.कटारिया एवं एस.बी.लाल मृदुला त्रिवेदी, शारदा पाण्डोर, डॉ. बालुदान बारहट, प्रो. नवीन दोशी, एम.एम.टांक, डॉ. मधुसूदन त्रिवेदी, ललित लट्ठा, डॉ. अजय चौधरी, डॉं कुन्जन आचार्य, डॉ. करूणा जोशी, प्रो. मीना गौड, डॉ.सविता जोशी,श्री सतीश शर्मा लक्ष्मी निनामा तथा डॉ. मोनिका रोत आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।
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