रीवर और सीवर दोनों की अलग हो व्यवस्था: वाटरमेन
“शहरीकरण और बेतरतीब बनाई गई कॉलोनियों के कारण हमारे सामने शुद्ध पेयजल स्त्रोतों और गंदे पानी के निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं
“शहरीकरण और बेतरतीब बनाई गई कॉलोनियों के कारण हमारे सामने शुद्ध पेयजल स्त्रोतों और गंदे पानी के निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है। आज लोग पीने के पानी के लिए नल को कम से कम आधा घंटा खोले रहते हैं; कारण यह है कि पेयजलों में सिवरेज का पानी मिलकर आता है। वर्तमान में इस कुप्रबंधन को ठिक करने के लिए सामूहिक भूमिका बनती है। प्रशासन अपने स्तर पर जिम्मेदारी निभाएं तो आमजन भी इसे लेकर सतर्कता बरतें। तभी हम इन जलस्त्रोतों की समुचित व्यवस्था कर पाएंगे”। – वाटरमेन ऑफ इंडिया और पर्यावरणविद् राजेंद्र सिंह ने राजस्थान विद्यापीठ में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रबंधन पर जारी अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में समापन अवसर पर यह जानकारी दी।
इससे पहले उन्होंने प्रदेश के विभिन्न जलाशयों की स्थितियों से अवगत करवा ते हुए कहा कि उदयपुर में फिर भी झीलों की स्थिति सामान्य हैं, लेकिन यहां रिवर और सिवर को लेकर तुरंत व्यवस्था करनी होंगी, वरना अन्य स्थानों की तरह मामला हो सकता है।
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि हमारे सभी धर्मों में भी जीव हिंसा का निषेध है। इतना ही नहीं पर्यावरण के विभिन्न आयामों को हमारे धर्मावलंबियों ने पुष्पित, पल्लवित व विकसित देखने को कहा है। हमारे सभी धर्म शास्त्रों में, वेदों, उपनिषेदों, ग्रंथों व पुराणों में सूर्य, अग्नि, जल, पर्वत व पेड़ पौधों को देव तुल्य बताया है तथा उनकी पूजा करने को कहा गया है, लेकिन वर्तमान में स्थितियां बदल गई है।
समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि अमेरिका के प्रो. सीएस बालचंद्रन ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से कोई अंजान नहीं है। इसके पीछे भी मानव ही जिम्मेदार है। यह समस्या आज पूरे देश की समस्या है। जिसके निवारण को लेकर कई प्रयास जारी है।
इस अवसर पर राजस्थान ज्योग्राफिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. बीएल वर्मा, रजिस्ट्रार डॉ. प्रकाश शर्मा, डीन डॉ. सीपी अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त किए। आयोजन सचिव डॉ. सुनीता सिंह ने तीन दिवसीय कांफ्रेंस की रूपरेखा प्रस्तुत की।
यह हुए पुरस्कृत
तीन दिवसीय कांफ्रेस में 196 शोध पत्रों का वाचन किया गया। इसमें युवा भुगोलवेता पुरस्कार बरखा चपलोत व बल्लूराम मीणा को नकद राशि देकर पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर आठ अन्य भुगोलवेत्ताओं को भी पुरस्कृत किया गया।
प्रो. आरएम लोढ़ा ने भूगोल भवन बनाने के लिए 11 हजार रुपए पुस्तकें ज्योग्रफिकल एसोसिएशन को भेंट किए। संचालन डॉ. अनिता राठौड़ ने किया। इस अवसर पर डॉ. एलआर पटेल, डॉ. युवराजसिंह राठौड़, डॉ.पंकज रावल, चंद्रेश छतलानी, प्रो. पीआर व्यास व डॉ. आरपी नारायणीवाल सहित कई शोधकर्ता उपस्थित थे।
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