सेवा मंदिर ने अपने 50 सालों की सेवा, साधना यात्रा से आदिवासियों को जो हिम्मत दी उसकी कोई कीमत नहीं चुका सकता। आदिवासी बहुल क्षेत्रों मे जाकर निचले स्तर पर काम करते हुए आदिवासियों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना कोई आसान कार्य नहीं है, और यह कार्य सेवा मंदिर ने इनके संस्थापक पद्म भूषण डॉ. मोहन सिंह मेहता के आदर्शों पर चलते हुए पूर्ण किए हैं। यह बात राज्य के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने विद्या भवन स्कूल में सेवा मंदिर के स्वर्ण जयन्ती महोत्सव के तहत चल रहे दो दिवसीय ‘आपणो मेलो’ के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कही।
गृहमंत्री कटारिया ने आपणो मेलो में बड़ी संख्या में उपस्थित आदिवासियों को संबोधित करते हुए कहा बड़े लोगों की भीड़ को जुटाना आसान है, लेकिन इन गरीब आदिवासियों को एक जाजम पर लाना और उनके सामाजिक स्तर को बढ़ाना अत्यन्त कठिन कार्य है। उन्होंने कहा कि इन आदिवासी महिलाओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि वे घरेलू व्यवसाय करके अपने परिवार को चलाने मे सहयोग दे सकती हैं और यह सोच और क्रियान्विति सेवा मंदिर ने स्थापित की और इसके बेहतर परिणाम आज सामने हैं।
सेवा मंदिर के अध्यक्ष अजयसिंह मेहता ने कहा कि सेवा मंदिर ने जब कार्य शुरू किया तब मात्र 2 हजार रुपए का बजट था और आज यह बजट 40 करोड़ तक पहुंच गया है। यह प्रयास समाज पर कोई अहसान नहीं, बल्कि समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। सेवा मंदिर का उद्देश्य ही सामाजिक विकास का है और उसको पूरा करने का हम प्रयास कर रहे हैं।
50 वर्षों का समापन नहीं, अगले 50 वर्षों का आागाज
सेवा मंदिर की मुख्य संचालिका प्रियंका सिंह ने कहा कि यह 50 वर्षों का समापन नहीं बल्कि आने वाले 50 वर्षों का आगाज है। सेवा मंदिर अपने सेवा कार्यों को और अधिक बेहतर ढंग से और वर्तमान मे बदलते परिदृश्य के साथ करेगा, लेकिन सेवा मंदिर के जो सिद्धान्त हैं, वे वैसे ही रहेंगे जैसे आज से 50 साल पहले इसकी स्थापना के समय तय किए गए थे, हम उन्हीं मूल्यों और सिद्धान्तों का अनुसरण करते हुए आदिवासी समुदाय में ग्राम स्वशासन को मजबूत करेंगे। समापन समारोह को कार्यक्रम अध्यक्ष मोहन सिंह कोठारी, महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, एमपीयूटी के कुलपति उमाशंकर शर्मा ने भी सम्बोधित किया।
बेहतर कार्य, प्रदर्शन के लिए 3 स्टॉल्स सम्मानित
मेले में लगी 33 स्टॉल्स में से बेहतर प्रदर्शन और अपने क्षेत्र मे उत्कृष्ट कार्य करने वाली 3 स्टॉल्स को सम्मानित करने के क्रम में झाड़ोल में सामूहिक वन अधिकार के तहत चारागाह जमीन को जैविक विविधता के साथ संरक्षित करने, कुम्भलगढ़ में सामूहिक विकास यात्रा के तहत समग्र विकास करते हुए ऑर्गेनिक वेजिटेबल उत्पादन एवं कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा 2022 तक कृषकों की आजीविका में वृद्धि के उपायों को प्रदर्शित करने पर सम्मानित किया गया।
प्रभात फेरी में नजर आई आदिवासी संस्कृति
आपणो मेलो के समापन से पूर्व सुबह साढ़े 6 बजे हजारों आदिवासी महिला – पुरुषों, युवक-युवतियों एवं सेवा मंदिर सदस्यों की दो अलग- अलग स्थानों से प्रभात फेरी निकाली गई। प्रभात फेरी को नगर निगम महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। पहली प्रभात फेरी विद्या भवन स्कूल से शुरू होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होकर पुन: विद्या भवन पहुंची, वहीं दूसरी प्रभात फेरी टाउन हॉल से विद्या भवन पहुंची। प्रभात फेरी मे आदिवासी लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा पहन कर मुख्य मार्गों और चौराहों पर गवरी नृत्य, गैर नृत्य करने के साथ जागरूकता सम्बन्धित नारे लगाते हुए चले।
सामूहिक नृत्य कर गुलाल उड़ा बाँटी खुशियाँ, सेल्फी का भी दौर
‘आपणो मेलो’ के समापन अवसर पर संभाग के कई आदिवासी क्षेत्रों से आए आदिवासी लोगों ने एक बड़ा गोला बनाकर सामूहिक नृत्य किया और नृत्य की मस्ती में डूबे हुए एक-दूसरे पर खूब गुलाल भी लगाया। पूरे मेले मे अबीर-गुलाल की खुशबू फैल उठी, हर एक को बिछडऩे का गम भी था तो साथ ही दो दिन तक साथ रहने की खुशी भी और इसी खुशी को हमेशा यादों में संजोये रखने के लिए कई लोगों ने आपस में सेल्फी लेकर विदा ली।