सात दिन के शिशु का जटिल हृदय ऑपरेशन सफल
गीतांजली हॉस्पिटल, उदयपुर के हृदय रोग केन्द्र के कार्डियक थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ संजय गांधी ने 23 नवंबर 2016 को जन्मजात हृदय रोग से पीड़ीत सात दिन के शिशु को स्वस्थ करने का दावा किया।
गीतांजली हॉस्पिटल, उदयपुर के हृदय रोग केन्द्र के कार्डियक थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ संजय गांधी ने 23 नवंबर 2016 को जन्मजात हृदय रोग से पीड़ीत सात दिन के शिशु को स्वस्थ करने का दावा किया।
इस प्रक्रिया में चार विभागों के ग्यारह चिकित्सकों के दल जिसमें कार्डियक थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ संजय गांधी एवं डॉ रीनस, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ अंकुर गांधी, डॉ कल्पेश मिस्त्री, डॉ मनमोहन जिंदल एवं डॉ धर्मचंद, कार्डियोलोजिस्ट डॉ सीपी पुरोहित, डॉ हरीश सनाढ्य एवं डॉ रमेश पटेल और नियोनेटोलोजिस्ट डॉ महेंद्र जैन एवं डॉ दिलीप गोयल शामिल थे।
डॉ संजय गांधी ने बताया कि उदयपुर निवासी आयुषी (बदला हुआ नाम) ने एक निजी हॉस्पिटल में बच्चे को जन्म दिया था । नवजात शिशु के नाभि के स्थल पर पेट की समस्या एवं हर्निया की परेशानी थी जिसका ऑपरेशन द्वारा इलाज किया गया। परन्तु ऑपरेशन के बाद नवजात शिशु को सांस लेने में तकलीफ एवं शरीर में निरंतर ऑक्सीजन स्तर में कमी हो रही थी जिस कारण वह वेंटीलेटर पर था। इसके पश्चात शिशु को दिल या फेफड़ों की बिमारी के संदेह के चलते गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया जहां कार्डियोलोजिस्ट डॉ रमेश पटेल द्वारा शिशु की ईको-कार्डियोग्राफी की गई जिसमें पाया गया कि शिशु को जटिल जन्मजात हृदय रोग था। इसमें फेफड़ों की नसें जो ऑक्सीजन मिलने के बाद रक्त को हृदय तक ले जाती है वहां न जा कर सीधा पेट में जा रही थी जिसकी वजह से शिशु के शरीर में निरंतर ऑक्सीजन स्तर में कमी हो रही थी और शिशु का जीवित रह पाना बहुत ही मुश्किल था। इस बिमारी को टीएपीवीसी कहते है। इस कारण शिशु का तत्काल ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया जिसमें कुल 5 घंटें का समय लगा। इस ऑपरेशन में फेफड़ों की नसें, जो सीधा पेट में जा रही थी, को हृदय से जोड़ा गया। ऑपरेशन के बाद नवजात शिशु की सीटीवीएस गहन चिकित्सा ईकाई में उचित देखभाल की गई जिस कारण शिशु को वेंटीलेटर पर से हटाया गया और नवजात गहन चिकित्सा ईकाई में डॉ महेंद्र जैन एवं डॉ दिलीप गोयल के नेतृत्व में भर्ती किया गया। इसके बाद शिशु के थोड़ा स्वस्थ होने पर उसे मां का दूध दिया गया और शरीर में ऑक्सीजन स्तर बेहतर होने पर छुट्टी दे दी गई।
क्यों जटिल था यह मामला?
डॉ संजय गांधी ने बताया कि नवजात को जीवित रहने के लिए हृदय एवं फेफड़ों में रक्त संचारण उचित होना चाहिए। यदि ऑक्सीजन युक्त रक्त वापिस हृदय तक नहीं जाता है तो नवजात का जीवित रह पाना असंभव है। ऐसे मामलों में शिशु को बचाने के लिए एवं सामान्य जीवन देने के लिए शल्य चिकित्सा अति आवश्यक होती है। इस शिशु का सफल इलाज एवं ऑपरेशन गीतांजली हॉस्पिटल के विशेषज्ञों की एक और सफलता का उदाहरण है।
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