शरद रंग: दूसरे दिन सिनेमा के सौ साल का सफर ने किया रोमांचित
पश्चिम क्षेेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित पांच दिवसीय ‘‘शरद रंग’’ के दूसरे दिन एक ओर जहां लखनऊ के पाक शिल्पी वाहिद के बनाये लजी़ज़ व्यंजन और हरियाणा का जलेबा सर्द शाम में लोगों को रास आ रहा वहीं रंगमंच पर पुणे के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत ‘‘भारतीय सिनेमा के सौ साल’’ विशेष प्रस्तुति में पुरानी व नई सिनेमा की गाथा को रोचक अंदाज में पेश किया गया।
पश्चिम क्षेेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित पांच दिवसीय ‘‘शरद रंग’’ के दूसरे दिन एक ओर जहां लखनऊ के पाक शिल्पी वाहिद के बनाये लजी़ज़ व्यंजन और हरियाणा का जलेबा सर्द शाम में लोगों को रास आ रहा वहीं रंगमंच पर पुणे के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत ‘‘भारतीय सिनेमा के सौ साल’’ विशेष प्रस्तुति में पुरानी व नई सिनेमा की गाथा को रोचक अंदाज में पेश किया गया।
शिल्पग्राम में विभिन्न ऋतुओं को विशेष अंदाज में मनाने तथा कला के प्रायोगिक व रोचक स्वरूप को लोगों के समक्ष लाने के लिये आयोजित इस उत्सव के साथ ही इस सीजन में पहली बार फूड फेस्टीवल का आयोजन किया गया। शिल्पग्राम पहुंचने वाले देशी-विदेशी पर्यटक तथा कई शहर वासी दोपहर में शिल्पग्राम आये वहीं शाम ढलते-ढलते फूड स्टाॅल्स पर लोगों ने विभिन्न व्यंजनों का रसास्वादन किया। फूड स्टाॅल्स में लखनऊ के नामचीन पाक शिल्पी वाहिद के स्टाॅल्स पर बिरयानी की महक फैली थी वहीं इनहोंने रूमाली रोटी, परोठा, कोरमा के साथ-साथ कई निरामिष व्यंजन लोगों को परोसे। कश्मीर के निरामिष खन-पान में रिशता, गोश्तावा, चिकन धनिया कोरमा, कैतो जेसे खाद्य थे।
इसके साथ ही छठ के मौके पर कई लोग शिल्पग्राम में बिहार से आये पाक शिल्पकार के बनाये लिट्टी चोखा को देखने व चखने पहुंचे। फूड बाजार में इसके अलावा हरियाणवी जलेबा का रस लोगों को खूब भाया। कड़ाव से निकल कर मिठी चाशनी में तैरती जलेबियों की महक बाजार में फैली थी। दोपहर में ही आॅर्केस्ट्रा पर कलाकारों ने फिल्मी व गैर फिल्मी गीतो से आगंतुकों का ध्यान आकर्षित किया। इसके अलावा लोक कलाकारें की प्रस्तुतियों को देखने काफी सैलानी शिल्पग्राम में मौजूद थे।
शाम को मुक्ताकाशी रंगमंच पर पुणे की संस्था नीश एन्टरटेनमेन्ट्स के कलाकारों ने भारतीय सिनेमा के प्रारम्भिक काल से क्रमबद्ध विशेष प्रस्तुति करण दिया। सन 1913 में राजा हरिश्चन्द्र की फिल्म से ले कर जय हो और कयामत से कयामत तक जैसी फिल्मों का उल्लेख इस प्रस्तुति में रोचक ढंग से किया गया। शो के एंकर राहुल शोलापुरकर ने अपने कुशल अभिनय से जहां दर्शकों को बांधे रखा वहीं फिल्मी गीतों पर कलाकारों ने अपने सुरों से दर्शकों का मनोरंजन किया जिसमें प्यासा का गीत ‘‘जाने वो कैसे लोग….. हमने तो कलियाँ मांगी थी’’, ‘‘शाला जो भड़के….’’, ‘‘ऐ मेरे प्यारे वतन…’’ ‘‘प्यार हुआ इकरार हुआ…’’ ‘‘हाल कैसा है जनाब का…’’, ‘‘प्यार किया तो डरना क्या…’’ जेसे गीतों की स्वर लहरियों पर दर्शक बंध से गये। प्रस्तुति में मूक फिल्मों से लेकर आज के डिजिटल साउण्ड तकनीक तक को बखूबी से दर्शाया गया। प्रस्तुति में कई लोकप्रिय फिल्मों के दृश्यों व गीतों का बाकायदा एलइडी स्क्रीन पर दृश्य चित्र प्रस्तुत कर रोचकता को बरकरार रखा गया।
नीश एन्टरटेनमेन्ट के मिलिन्द ओक द्वारा निर्देशित इस प्रस्तुति में धवल चोदोड़कर, चैतन्य कुलकर्णी, अवन्तिका पाण्डे व मृणमयी तिरोड़कर ने अपने सुरों का जादू बिखेरा। कुणाल फड़के व ऐश्वर्य काले द्वारा कोरियोग्राफ किये गये इस विशेष कार्यक्रम में प्रकाश व्यवस्था तेजस देवधर, ध्वनि संयोजन सुजीत खाम्बे व जगदीश नानज़कर का था।
शरद रंग में आज कवि सम्मिलन
यहां शिल्पग्राम में आयोजित ‘‘शरद रंग के तीसरे दिन शुक्रवार यााम रंगमंच पर साहित्य अकादेमी नई दिल्ली द्वारा ‘‘कवि सम्मिलन’’ का आयोजन किया जायेगा। इस कवि सम्मिलन में पद्मश्री डाॅ. चन्द्र प्रकाश देवल, अर्जुन देव चारण, शकुन्तला सरूपरिया, श्याम महर्षि, आलोक श्रीवास्तव, अजात शत्रु, आदिल रजा मंसूरी, अफज़ल, विपुल विद्रोही जैसे कवि अपनी काव्य रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे।
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