शरद रंग तीसरे दिन शेरो शायरी का दौर, सर्द रात में देर तक जमे श्रोता
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित ‘‘शरद रंग’’ व एक्जाॅटिक फूड फेस्टीवल में शुक्रवार की शाम राजथान उर्दू
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित ‘‘शरद रंग’’ व एक्जाॅटिक फूड फेस्टीवल में शुक्रवार की शाम राजथान उर्दू अकादमी द्वारा अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन किया गया जिसमें देश कई नामचीन शायरों ने अपने शेरों, ग़ज़लों , नज़्मों से शायरी के शैकीनों का दिल जीत लिया।
मुक्ताकाशी रंगमंच पर तीसरी शाम शमां रोशन होने के साथ ही मुशायरे का आगाज़ हुआ। मुशायरे में डाॅ. नसीम निकहत ने ‘‘वक्त के साथ वह ढल जाते हैं, जंज़ीरों में नवजवानी में जो तलवार बने फिरते हैं…. सुनाई इसके बाद जयपुर के लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’ ने ‘‘ये तमन्ना है कि मैं हर्फे वफा हो जाऊँ, मेरी बातें रहे बेशक मैं फ़ना हो जाऊं..’’ सुना कर दाद बटोरी। देश के नामचीन और जाने-माने शायर और गीतकार मुंबई के शकील आज़मी ने जैसे ही ‘‘कल के अखबार में तस्वीर छपी थी उसकी दिन पुराना हुआ अखबार नया लगता है..’’ पर श्रोताओं ने दाद दी। मुशायरे का संयोजन कर रहे मोईन शादाब ने अपने चिर परिचित अंदाज में ‘‘सदियों में दो चार ही रहबर होते हैं बाकी सब स्पीड ब्रेकर होते है’’ सुना कर दर्शकों को रिझाया।
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उदयपुर के शायर डाॅ. इकबाल सागर ने ताजा रचना ‘‘ नहीं मालूम ज़्यादातर ये जनता को सुनो सागर, हमारे वोट से हम पे हुकूमत कौन करता है’’ सुना कर तालियाँ बटोरी। लखनऊ उर्दू अकादमी के डाॅ. नवाज़ देवबंदी ने जोशीले अंदाज में ‘‘एक आँखों के पास है एक आंखों से दूर, बेटा हीरा होता है और बेटी कोहीनूर..’ सुनाई तो दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों ने तालिया बजा कर देवबंदी का इस्तबाल किया। उन्होंने अगली पंक्तियों में ‘‘रोशनी का कुछ न कुछ इमकान होना चाहिये, बंद कमरे में भी रोशनदान होना चाहिये, हिन्दु मुस्लिम चाहे जो लिक्खा हो माथे पर मगर आप आप के सीने पे हिन्दुस्तान होना चाहिये सुना कर देश प्रेम का संदेश जोरदार ढंग से दिया। देहरादून से आई शायरा डाॅ. आरती ने अपनी रचना अंधी चली थी शमाँ बुझाने तमाम रात, जलते रहे थे ख्वाब सुहाने तमाम रात’’ रोमांटिक अंदाज में पेश कर श्रोताओं को बहलाया। डाॅ. आरती ने एक शेर ‘‘ शहर में अब तो ऊंचे घर हैं, न पीपल की छांव है इससे अच्छा गांव है..’’ के जरिये वर्तमान हालात पेश किये।
शायरा सबा बलरामपुरी ने शमा के सामने ‘‘हम पर तुम्हारे प्यार ने एहसान कर दिया निर्धन सी ज़िन्दगी को भी धनवान कर दिया,पूछा सहेलियों ने के दिल में बसा है कौन हमने तुम्हारे नाम का एलान कर दिया तो दर्शक दीर्घा में बैठे श्रोताओं ने वाह वाह कर शायर माहतरमा की हौसला अफजाही की। शायर अखिलेश तिवारी ने इस मौके पर ‘‘नदी का क्या है जिधर चाहे उस डगर जाए, मगर ये प्यास मुझे छोड़ दे तो मर जाए..’’ सुना कर वाहवाही लूटी। मुशायरे में इनके अलावा आबिद अदीब और शाहिद अजीज़ ने भी अपनी नज़में पेश की।
इससे पहले राजस्थान उर्दू अकादमी के सचिव मोअज़्ज़्म अली ने तमाम शायरात का अकादमी की तरफ से इस्तकबाल किया। केन्द्र निदेशक फुरकान खान तथा अतिरिक्त निदेशक सुधांशु सिंह ने सभी शायरों को पुष्प गुच्छ और कलिका भेंट कर स्वागत किया इस अवसर पर डॉ प्रेम भण्डारी व उर्दू की सेवा करने वालों का भी अभिनन्दन किया गया। बाद मेे डाॅ. नवाज़ देवबंदी, केन्द्र निदेशक फुरकान ख़ान, अकादमी सचिव मोअज़्ज़्म अली ने शमां रोशन की।
इधर फूड फेस्टीवल जहां शुक्रवार को अपने परवान पर था वहीं बंजारा मंच पर सुशील चौधरी व उनके साथियों ने गीतों से लोगों का दिल बहलाया। शरद रंग में आज: पांच दिवसीय शरद रंग में शनिवार को जयपुर के नाहर बंधुओं की ‘‘नाद त्रयी’’ में तीन वाद्य यंत्रों का अनूठा समागम और युग्म देखने व सनने को मिलेगा वहीं चौथे दिन की शाम को नई दिल्ली की संस्था साध्या के कलाकारों द्वारा संतोष नायर के निर्देशन में नाटिका बैले ‘‘गेम आॅफ डाइस’’ का मंचन किया जायेगा।
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