शिल्पग्राम उत्सव, संडे बना फन डे


शिल्पग्राम उत्सव, संडे बना फन डे

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ में रविवार शिल्पग्राम पहुंचने वालों के लिये खासा मनोरंजक दिन बन गया। किसी ने शिल्प उत्पाद खरीदे, किसी ने लोक कलाकारों के साथ ठुमके लगाये तो किसी ने खाने की चीजों के चटखारे लिये। उत्सव के चौथे दिन हाट बाजार की शुरूआत धीमी थी किन्तु दोपहर होते-होते बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचे। कुछ परिवार के साथ तो कुछ दोस्तों के साथ और कुछ सखियों के साथ। शाम तक हाट बाजार लोगों की चहल कदमी से गुंजायमाल हो गया। शिल्पग्राम में लोगों का मकसद खरीददारी करना, संडे मनाना और लोक कलाओं का लुत्फ उठाना रहा।

 
शिल्पग्राम उत्सव, संडे बना फन डे

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ में रविवार शिल्पग्राम पहुंचने वालों के लिये खासा मनोरंजक दिन बन गया। किसी ने शिल्प उत्पाद खरीदे, किसी ने लोक कलाकारों के साथ ठुमके लगाये तो किसी ने खाने की चीजों के चटखारे लिये।

शिल्पग्राम उत्सव, संडे बना फन डे

उत्सव के चौथे दिन हाट बाजार की शुरूआत धीमी थी किन्तु दोपहर होते-होते बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचे। कुछ परिवार के साथ तो कुछ दोस्तों के साथ और कुछ सखियों के साथ। शाम तक हाट बाजार लोगों की चहल कदमी से गुंजायमाल हो गया। शिल्पग्राम में लोगों का मकसद खरीददारी करना, संडे मनाना और लोक कलाओं का लुत्फ उठाना रहा।

शिल्पग्राम उत्सव, संडे बना फन डे

हाट बाजार में शाम तक वस्त्र संसार, जूट संसार, अलंकरण, विविधा आदि में लोगों की खासी रौनक रही। हाट बाजार में सम झोंपड़ी से आगे खुर्जा पाॅटरी के शिल्पियों के पास लोग खरीद फरोख्त करते देखे गये यहां लोगों ने रंग-बिरंगे कप तश्तरी, केटली, सोप केस, सोप बाॅटल, फ्लाॅवर पाॅट आदि की खरीददारी की। हाट बाजार में लोगों का मुख्य आकर्षण गर्म व ऊनी कपड़ों की ओर नजर आया। वूलन बंडियाँ, अंगोरा के मफलर, शाॅल, कच्छी शाॅल, पट्टू आदि का नाप जोख करते व खरीदते देखे गये।

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वस्त्र संसार में ढोल की आवाज के साथ जैसे ही नट कलाकार रस्सी पर चढ़ता तो लोग उसके इर्द गिर्द खड़े हो गये व उसकी बाजीगरी को एक-टक निहारने के बाद करतल ध्वनि से कलाकार का अभिवादन करते। मेले का माहौल देर शाम तक चलता रहा मुख्य द्वार के पास आंगन मंच पर कला प्रस्तुतियों को देखने लोगों की खासी भीड़ रही। मेले में ही लोगो ने अमरीकन भुट्टे, मक्की की पपड़ी, मक्का की राब, हरियाणा का जलेबा, दूध फीणी, ताजा फलों का रस, आइसक्रीम, कुल्फी, चाट, पकौड़ी इत्यादि का रसास्वादन किया एवं घुड़ सवारी व ऊट की सवारी का आनन्द उठया।

गन्ने का रस व ताजा गुड़ का स्वाद

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यहां शिल्पग्राम में चल रहे दस दिवसीय मेले में पहली बार लोगों को गुड़ बनने की प्रक्रिया देखने का मौका मिल रहा है। वस्त्र संसार से संगम सभागार की सीढ़ीयों के समीप जहां चरखिये से गन्ने के रस निकलता दिखाई देता है वहीं इसके पास ही चूल्हे पर चढ़े कढ़ाव में गन्ने के रस से गुड़ बनाने का कार्य भी चल रहा है। मेले में आने वाले लोग अपने बच्चों को गुड़ बनाने की विधी बताने के साथ-साथ ताजा गुड़ में मूंगफली और चावल की फुल्ली डाल कर खिला रहे हैं।

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‘असली वाली’ गवरी, मूर्ति वाली ‘गवरी’- यहां शिल्पग्राम में आयोजित ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा मेवाड़ अंचल की ‘गवरी’ का प्रदर्शन अनूठे अंदाज में किया गया है। एक ओर जहां दर्पण बाजार में लोगों को थाली व मादल के स्वरों साथ गवरी के विभिन्न पात्र देखने को मिल रहे हैं वहीं दूसरी ओर कला निवास के पास इस लोक शैली को मूर्तियों के माध्यम स दर्शाया गया है। जिसमें देवी अम्बा, बूड़िया, राई, भियावड़, बनजारा जैसे किरदारों को दर्शाया गया है। गवरी के दृश्य बिम्ब को जीवन्त बनाने के लिये इन मूर्तियों के पास थाली और मादल बजाने वाले कलाकार नियुक्त किये गये जो दिन भर अपने वाद्यों से इस दृश्य को स्वर का रस प्रदान कर रहे हैं।

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हैंडमेड पेपर से बने आइटम ने लोगो को लुभाया

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शिल्पग्राम में विभिन्न कलाओ एवं हस्तशिल्प कलाओ के प्रदर्शन में एक स्टाल हैंडमेड पेपर से बनी विभिन कलाकृतियो जैसे लैंप, गमले, पेंटिंग बुक्स, फ्लावर पॉट जैसी आकर्षक कलाकृत्यों में भी लोगो ने काफी दिलचस्पी दिखाई। स्टाल संचालक फ़िरोज़ कागज़ी और जयपुर से मोहम्मद जमील कागज़ी ने बताया की वह स्वयं हैंडमेड कागज़ निर्माण का प्रदर्शन भी मेले में कर रहे है। लगभग सौ साल पुरानी इस कला को आज भी जीवित रखने का प्रयास कर रहे है।

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