शिल्पग्राम उत्सव-2012: कथकली व मेवासी कलाकारों की रोचक प्रस्तुति
यहां हवाला गांव में चल रहे दस दिवसीय ''शिल्पग्राम उत्सव-2012 में एक ओर जहां गुजरात के मेवास अंचल के कलाकारों का मेवासी नृत्य तथा केरल का कथकली नृत्य दर्शकों को रोमांचित व आनन्दित कर रहा है वहीं दूसरी ओर पंजाब का गिददा अपनी अल्हड़ संस्कृति की मोहिनी छाप छोड़ रहा है।
यहां हवाला गांव में चल रहे दस दिवसीय ”शिल्पग्राम उत्सव-2012 में एक ओर जहां गुजरात के मेवास अंचल के कलाकारों का मेवासी नृत्य तथा केरल का कथकली नृत्य दर्शकों को रोमांचित व आनन्दित कर रहा है वहीं दूसरी ओर पंजाब का गिददा अपनी अल्हड़ संस्कृति की मोहिनी छाप छोड़ रहा है।
रंगमंच पर सोमवार को आयोजित ”लोक परंपरा में कथकली कलाकारों ने महाभारत के ”कीचक वध प्रसंग का मंचन किया। जिसमें भाव भंगिमाएँ तथा आंगिक अभिनय दर्शकों को खूब रास आया। कार्यक्रम में ही गुजरात के मेवास अंचल के मेवासी कलाकारों ने अपने नृत्य से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। मेवासी सगार्इ चांदला नृत्य में कलाकारों ने गोलाकार तथा अन्य कतारबद्ध संरचनाएं बनाते हुए पिरामिड की रचना की तथा प्रस्तुति के आखिर में देवी अम्बा की सवारी अनूठे अंदाज में निकाली। लोक गायक नेक मोहम्मद लंगा ने इस अवसर पर ”कलंदर सुनाया।
त्रिपुरा का होजागिरी कार्यक्रम की मोहक प्रस्तुति बन सकी। रंगमंच पर ही आज बहुरूपिया कलाकारों ने भगवान शंकर, विष्णु, हनुमान, मारवाड़ी सेठ के चरित्र में अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मनोरंजन किया। किशनगढ़ की गूजर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला चरी नृत्य आकर्षक प्रस्तुति रही। वहीं पंजाबी कुडि़यों ने गिददा में टप्पे व अपनी अठखेलियों से दर्शकों का मनोरंजन किया। गोवा के कलाकारों ने इस अवसर पर धनगरी गजा नृत्य प्रस्तुत किया। उत्तराखण्ड के कलाकारों ने इस अवसर पर ”जौनसारी नृत्य से अपने अंचल की संस्Ñति के रंग बिखेरे। कार्यक्रम में इसके अलावा लावणी, गुदुमबाजा की प्रस्तुति सराहनीय रही।
सैण्ड आर्ट बना आकर्षण
शिल्पग्राम उत्सव-2012 में कलात्मक वस्तुओं की खरीददारी का दौर सोमवार को जारी रहा वहीं सुबल महाराणा की सण्ड आर्ट लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुर्इ है। सोमवार को हाट बाजार के चर्म शिल्प में जरी की जूती, मोजडि़यां, लैदर बैग्स, तिल्ला जुत्ती, जैकेटस, पर्स, बैल्ट की दूकानों पर युवाओं की भीड़ रही वहीं जूट शिल्प क्षेत्र में जूट के बने झूले, बोटल बैग, जूट की चप्पल, मोबाइल कवर आदि की बिक्री हुर्इ। शिल्पग्राम के हाट बाजार में ही खुर्जा की कलात्मक व रंगबिरंगी पाटरी के फूलदान, चाय के प्याले, टी सैट, मसाले दानी आदि उल्लेखनीय है। अलंकरण में विभिन्न प्रकार के आभूषण मोती के हार, पीतल के नैकलेस, उ़डीसा की पीतल की सजावटी नक्कशीदार मूर्तियाँ, जयपुर की तारकशी, लाख की चूड़ी, वूलन कारपेट, नमदे के बनी वाल पीस की स्टाल पर लोगों की खासी रौनक देखी गर्इ। हाट बाजार में लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को रिझाया इनमें बहुरूपिया, महाराष्ट्र का शब्द भेद, विशाल पुतलियां प्रमुख हैं।
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