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शिल्पग्राम उत्सव-2025 -विभिन्न प्रदेशाें की संस्कृतियों के मिलन से शाम बनी सुरमई

फोक इंस्ट्रूमेंट्स की सिंफनी ने किए हृदय के तार झंकृत
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उदयपुर 29 दिसंबर 2025। जब खरताल, रबाब, मोरचंग और पुंग जैसे विभिन्न राज्यों के फोक इंस्ट्रूमेंट्स न सिर्फ एक साथ बजे, बल्कि जब एक दूसरे से सवाल-जवाब के अंदाज में ताल मिलाने लगे तो समूचा शिल्पग्राम झूम उठा। फिर जब आखिर में गगनभेदी सुरमई आलाप के साथ तीन दर्जन से ज्यादा वाद्य यंत्रों ने एक साथ अपना धमाकेदार रंग जमाया तो तमाम श्रोता वाह-वाह करने लगे। यह अमिट छाप छोड़ने वाली म्यूजिकल सिंफनी पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की ओर से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव के नौवें दिन सोमवार को शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी मंच पर पेश की गई ।  

आपस में सवाल-जवाब करती धुनों ने बांधा समां

शिल्पग्राम के भव्य मंच पर जब पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के निदेशक फुरकान खान की परिकल्पना और निर्देशन में तैयार इस म्यूजिकल सिंफनी में विभिन्न राज्यों के करीब तीन दर्जन फोक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स के महासंगम ने समां बांध दिया। प्रस्तुति के दौरान जैसे-जैसे एक-एक वाद्य यंत्रों की खनक वातावरण में घुलने लगी, वैसे-वैसे संगीत प्रेमी हर बीट पर, हर धुन पर तालियां बजाने लगे। 

खास बात यह है कि इसमें राजस्थान के बाॅर्डर जैसलमेर-बाड़मेर से लेकर कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ आदि अनेक राज्यों के लोक वाद्य यंत्रों का जादू छाया। इनमें खरताल, मोरचंग, विभिन्न राज्यों के ढोल-ढोलक-ढोलकी, मादल, सारंगी, बांसुरी, रबाब, मटकी, पुुंग, रणसिंगा, करनाल, बीन, हार्मोनियम, भपंग, अलगोजा जैसे इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं। शंखनाद से शुरु हुई इस  प्रस्तुति ने न सिर्फ तमाम श्रोताओं को रिझाया, बल्कि यह  हर संगीत प्रेमी के लिए अविस्मरणीय बन गई।

मयूर नृत्य में कॉस्ट्यूम और अदाकारी छाई

सिंफनी से पूर्व मुक्ताकाशी मंच पर विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों ने भी दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। मोर पंखों के कॉस्ट्यूम में जब डांसर्स ने मयूर लोक नृत्य की प्रस्तति दी, तो दर्शक झूम उठे। इसमें राधा और कृष्ण की लीलाओं के साथ ही खुशहाली से जुड़े इस डांस ने दर्शकों का मन मोह लिया। बता दें, यह नृत्य विभिन्न प्रदेशों में प्रमुख फोक डांस है, जो राजस्थान में मोरनी नृत्य के रूप में मोर-मोरनी के प्रेम को दर्शाता है। वहीं, तमिलनाडु में फसल उत्सव पोंगल के दौरान लड़कियां मोर बनकर करती हैं। यूपी व राजस्थान के ब्रज क्षेत्र में  यह डांस राधा-कृष्ण को समर्पित एक श्रृंगार रस का नृत्य है, जो अपनी चमक के लिए प्रसिद्ध है।

मणिपुर के अनूठे शाास्त्रीय और फोक मिश्रित नृत्य पुंग ढोल चेलम में नर्तकों ने पुंग (ड्रम) बजाते हुए लयबद्ध और कलाबाजियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दरअसल, यह डांस मणिपुर की संकीर्तन परंपरा से जुड़ा है और इसमें तीव्र पदचाप, छलांग और मार्शल आर्ट के तत्व शामिल कर नर्तकों ने इसे गजब का ऊर्जावान और प्रभावशाली बना दिया। पश्चिम बंगाल के राय बेंसे और पुरुलिया छाऊ नृत्यों में एक्रोबेट, मार्शल आर्ट और शास्त्रीय शैली के अनूठे मिश्रण, महाराष्ट्र के लावणी में नर्तकियों के शृंगार व अदाकारी, राजस्थान के कालबेलिया डांस में नर्तकियों के करतबों ने खूब दाद पाई।

छापेली, बिहू और भपंग वादन की सौम्यता ने जीते दिल

मेवात क्षेत्र के भपंग वादन से लोक कलाकार श्रोताओं के दिलों के तारों को झंकृत कर दिया। वहीं, उत्तराखंड के अनूठी और गुदगुदाती छेड़छाड़ वाले छापेली और असम के बिहू डांस की सौम्यता दर्शकों को खूब पसंद आई। इनके साथ ही मणिपुर की नृत्य शैली के साथ मार्शल आर्ट के अनूठे संगम वाले थांग-ता स्टिक डांस ने रोमांच का खूब संचार किया। वहीं, रोमांच और ऊर्जा से भरपूर गुजरात के सिद्धि धमाल व पश्चिम बंगाल के नटुआ डांस ने दर्शकों में नई ऊर्जा भर दी, तो पंजाब के धमाकेदार भांगड़ा डांस पर दर्शक खूब झूमे। सिंघी छम ने भी दर्शकों को खूब रिझाया। कार्यक्रम का संचालन दुर्गेश चांदवानी और डॉ. मोहिता दीक्षित ने किया।

मुख्य कार्यक्रम से पूर्व मुक्ताकाशी मंच पर सुंदरी वादन, तेराताली, मांगणियार गायन और भवई नृत्य की प्रस्तुतियों को भी दर्शकों ने खूब सराहा।

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