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शिल्पग्राम उत्सव 2025: शिल्पग्राम तक सिटी बस सेवा शुरू

उत्सव के चौथे दिन गोवा के घूमट और जम्मू के जगरना ने रिझाया
 
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उदयपुर, 24 दिसंबर 2025। शिल्पग्राम उत्सव के मद्देनजर नगर निगम ने उदयपुरवासियों की सुविधा के लिए सूरजपोल से शिल्पग्राम तक सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक हर आधे घंटे में सिटी बस सेवा शुरू की गई है। इस सेवा का लाभ उठा उदयपुरवासी शिल्पग्राम उत्सव देखने पहुंच सकते है। यह बस सेवा सूरजपोल से चेतक सर्कल, सहेलियों की बाड़ी, देवाली होते हुए शिल्पग्राम पहुंचेगी। वापसी में शिल्पग्राम से फतहसागर, चेतक सर्कल, देहलीगेट होते हुए सूरजपोल पहुंचेगी।

कर्ण ढोल यानी शब्द भेद की प्रस्तुति ने किया चकित, जीते दिल

जब एक कलाकार आंखों पर पट्टी बांध सैकड़ों दर्शकों की भीड़ में से एक के पास रखे नारियल को परंपरागत वाद्ययंत्रों के धुन पर चलते हुए ढूंढ़ लाया तो दर्शक न सिर्फ चकित रह गए, बल्कि तालियों की गड़गड़ाहट से इस हुनर की जमकर तारीफ भी की। यह आश्चर्यजनक प्रस्तुति महाराष्ट्र की लोक संस्कृति की एक पहचान बनी हुई है, जिसका जादू यहां शिल्पग्राम उत्सव में छा गया है। 

Shilpgram Utsav 2025

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की ओर से आयोजित किए जा रहे दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के चौथे दिन बुधवार की शाम को मुक्ताकाशी मंच पर मुख्य कार्यक्रम में पेश की गई। इसके साथ ही अन्य प्रदेशों की प्रस्तुतियों ने भी ‘लोक के रंग-लोक के संग’ में लोक रंजन की बयार बहा दी। इनमें गुजरात के प्रसिद्ध माता रानी की आराधना में किए जाने वाले गरबा व जम्मू के पारंपरिक डोगरी लोक नृत्य जगरना ने दर्शकों को खूब झुमाया। 

Shilpgram Utsav 2025

वहीं, राजस्थान के नगाड़ा वादन, सहरिया आदिवासी संस्कृति को उकेरता सहरिया स्वांग  व ठेठ ग्रामीण संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती सफेद आंगी गेर ने भी सभी का मन मोह लिया। गोवा के नदी पार कराने को नाविक से गुजारिश करती महिलाओं का देखनी, मणिपुर के सारस्वत ब्राह्मणों का परंपरागत लाई हारोबा और त्रिपुरा के सिर पर बोतल रख बेमिसाल बैलेंसिंग के लोक नृत्य होजागिरी और ओडिशा की जनजातीय संस्कृति को उकेरते संभलपुरी नृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों की खबू वाहवाही लूटी। 

Shilpgram Festival 2025

वहीं, महाराष्ट्र की फोक प्रस्तुति मल्लखंभ के कलाकारों के करतब देख दर्शक खूब रोमांचित हुए, तो हरियाणा की प्रसिद्ध घूमर और राजस्थान के लोक देवता गोगाजी को समर्पित डेरू नृत्य पर को भी दर्शकों  ने बहुत सराहा। कार्यक्रम का संचालन मोहिता दीक्षित और यश दीक्षित ने किया।

लेक सिटी के लोगों का कला प्रेम बना मिसाल निदेशक

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने कहा कि शिल्पग्राम उत्सव में मेवाड़, खासकर उदयपुर शहर के बाशिंदों का कला प्रेम मिसाल बना हुआ है। यही वजह है कि साल-दर-साल यह उत्सव नई ऊंचाइयां छू रहा है। केंद्र ने भी यहां के कला प्रेमियों की रुचि के मद्देनजर काफी नवाचार किए हैं। उन्होंने बताया कि शिल्पग्राम प्रांगण में चार पद्म पुरस्कार प्राप्त सहित 15 नामचीन चित्रकारों के कला शिविर तथा मुक्ता काशी मंच के पास चल रही कार्यशालाओं के प्रति हर उम्र के लोग उत्साह दिखा रहे हैं।

Shilpgram Utsav 2025

‘हिवड़ा री हूक’ में दिखा हर आयु वर्ग का उत्साह-

शिल्पग्राम उत्सव के दौरान बंजारा मंच पर ‘हिवड़ा री हूक’ के चौथे दिन बुधवार को भी युवाओं में भारी उत्साह देखा गया। इस कार्यक्रम की खासियत यह है कि जो लोग प्रतिभा तो रखते हैं, मगर प्रदर्शन करने को मंच नहीं मिलता, उनको इसमें मंच प्रदान किया जाता है। इस कार्यक्रम में गीत-संगीत व अन्य प्रस्तुतियों के बीच संचालक सौरभ भट्ट की प्रश्नोत्तरी ने इसे और भी रोचक बना दिया है। क्विज में सही उत्तर देने वालों को हाथों-हाथ उपहार भी दिए जा रहे हैं।

थडों पर लोक संस्कृति साकार-

शिल्पग्राम में विभिन्न थड़ों पर सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक अलग-अलग प्रस्तुतियां मेलार्थियों का भरपूर मनोरंजन कर रही हैं। इनमें बुधवार को मुख्य द्वारा के पास गवरी व चकरी, आंगन के पास करतब दिखाते बाजीगर, देवरा में घूमट व पोवाड़ा, बन्नी पर मांगणियार गायन, सम पर मसक वादन, दर्पण फूड कोर्ट के पास बीन जोगी व चकरी, भूजोड़ी पर बीन-जोगी व कच्ची घोड़ी, दर्पण द्वार पर सुंदरी और बड़ा बाजार में डेरू की प्रस्तुतियां   ने मेलार्थियों का मनोरंजन किया। इनके अलावा गोवा ग्रामीण पर कठपुतली देख दर्शक अभिभूत हुए। वहीं, शिल्पग्राम प्रांगण में विभिन्न स्थानों पर घूमते हुए बहरूपिया मेलार्थियों का मनोरंजन कर रहा है, तो लोग उसके साथ सेल्फी भी ले रहे हैं। वहीं, प्रांगण में लगे पत्थर के स्कल्पचर्स जहां लोगों को लुभा रहे हैं, वहीं ये सेल्फी पॉइंट्स भी बन गए हैं।  

Shilpgram Festival 2025

कला शिविर का समापन कल 

शिल्पग्राम उत्सव में 21 दिसंबर को शुरू हुए कला शिविर का समापन गुरुवार को होगा। शिविर में देश के नामचीन 15 चित्रकार अपनी विधा का लाइव प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही, पेंटिंग के संबंध में कला प्रेमियों की जिज्ञासाओं को भी शांत कर रहे हैं। इन चित्रकारों में पांच पद्म पुरस्कार प्राप्त चित्रकार शामिल हैं।

गुरुवार शाम के खास आकर्षण-

मुक्ताकाशी मंच पर गुरुवार शाम के कार्यक्रम में ओडिशा का गोटीपुआ, छत्तीसगढ़ का पंडवानी गायन, मणिपुर का पुंग ढोल चेलम और पश्चिम बंगाल का एनर्जिटिक नटुआ लोक नृत्य विशेष आकर्षण होंगे। इनके साथ ही राजस्थान का सहरिया स्वांग नृत्य, मांगणियार गायन, गुजरात का गरबा, जम्मू के जगरना, राजस्थान के नगाड़ा वादन, सहरिया स्वांग व सफेद आंगी गेर, गोवा के देखनी, मणिपुर के लाई हारोबा और त्रिपुरा के होजागिरी, हरियाणा के  घूमर और ओडिशा के संभलपुरी नृत्य की प्रस्तुतियां दर्शकों को रिझाएंगी। वहीं, महाराष्ट्र के कर्ण ढोल और मल्लखंभ की पेशकश दर्शकों को रोमांचित करेंगी।

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