उदयपुर 8 दिसंबर 2021। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति एवं श्री वासुपूज्य दिगम्बर जैन धर्मार्थ एवं सेवार्थ संस्थान द्वारा मुनि अमितसागर महाराज, आर्यिका 105 सुभूषणमति माताजी एवं प्रशांतमति माताजी के पावन सानिध्य में गरियावास संतोष नगर स्थित नवनिर्मित जैन मंदिर में वासुपूज्य जिन बिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव शोभायात्रा के साथ 6 दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्वशांति महायज्ञ प्रारम्भ हुआ।
मंत्री कालूलाल गुड़लिया ने बताया कि प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ प्रातः सवा सात बजे ध्वजारोहण के साथ हुआ। तत्पश्चात हाथी घोड़े और बैंड बाजों के साथ घट यात्रा, शोभा यात्रा व श्रीजी प्रभु की पालकी यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में रथ में सौधर्म इंद्र व कुबेर भी सवार होकर साथ चल रहे थे। रथ को समाज के धर्मावलंबी जन हाथों से ही खींच रहे थे। संतो के सानिध्य में निकली शोभायात्रा में समाज के महिला पुरुष युवा एवं युवतियां भक्ति नृत्य करती हुई साथ चल रही थी।
मीडिया प्रभारी सुनील चिबोड़िया ने बताया कि श्रीजी प्रभु की पालकी यात्रा के दौरान इस अनूठे भक्तिमयी आयोजन को देखने के लिए सवेरे सवेरे ही सड़क के दोनों किनारों पर दर्शन करने लोग खड़े हो गए। करीब 1 से डेढ़ किलोमीटर तक लंबी पालकी यात्रा में लगातार बैंड बाजों की धुन के साथ भजनों के साथ समाजजन भक्ति नृत्य करते रहें। श्रीजी की पालकी यात्रा के बाद संतोष नगर स्थित आयोजन स्थल पडाल में पहुंची। वहां पर प्रतिष्ठाचार्य जी की उपस्थिति और मुनि श्री 108 अमित सागर जी महाराज के सानिध्य में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। इन धार्मिक अनुष्ठानों के तहत सबसे पहले ध्वजारोहण हुआ, उसके बाद पंडाल का उद्घाटन किया गया। इसके बाद पंडाल के मंच पर मंदिर जी में श्रीजी को विराजमान कर मंत्रोचार के साथ उनकी पूजा अर्चना की गई।
मंगलआयोजनों की कड़ी में दीप प्रज्वलन मंगलाचरण चित्र अनावरण पत्रिका अनावरण के साथ ही बाहर से पधारें हुए अतिथियों एवं विभिन्न भामाशाह का संतों के सानिध्य में बहुमान किया गया।
इस अवसर पर मुनिश्री अमित सागर महाराज ने पंचकल्याणक महोत्सव के महत्व को विस्तार से बताते हुए कहा कि पंचकल्याणक महोत्सव की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। सालों पहले इस महोत्सव को एक ही व्यक्ति पूरा करने में सक्षम होता था लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव आया और समाज जन आपसी सहयोग के द्वारा इस आयोजन को पूरा करने लगे और इसे एक महोत्सव का रूप देकर भव्यता प्रदान की।
उन्होंने कहा कि पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव करने का अधिकार सिर्फ देवताओं को है मनुष्य को नहीं इसीलिए बिना सोधर्में इंद्र और कुबेर के यह आयोजन संभव नहीं हो सकता। मुनिश्री ने कहा कि ऐसे अनूठे धार्मिक आयोजन में किसी को भी निमंत्रण या पत्रिका मिलने की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए बल्कि स्वयं ही ऐसे महोत्सव में आकर धर्म लाभ लेना चाहिए।
सुभूषणमति माताजी ने भी इस अवसर पर कहा कि जैन धर्म में आगम के परिपेक्ष में ही पंचकल्याणक की परंपरा है। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के माध्यम से एक पाषाण को परमात्मा का रूप दिया जाता है। उन्होंने समाज जनों से कहां की यह खबर महत्वपूर्ण नहीं है कि देश में जैनों की संख्या घट रही है बल्कि खबर यह है कि लोगों में जैनत्व के प्रति श्रद्धा कम हो रही है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि यही समय है जब हमें जनत्व का शंखनाद करना होगा।
पंडाल में कार्यक्रम समाप्ति के पश्चात फिर से श्रीजी की पालकी शोभायात्रा समाजजनों की उपस्थिति में हाथी घोड़े बग्गी एवं रथ एवं बैंड बाजों के साथ गायरियावास स्थित मंदिर परिसर में पहुंची। वहां पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ शुद्धिकरण की क्रियाएं संपन्न हुई।
समारोह में समिति अध्यक्ष पूरणमल चिबोड़िया, महामंत्री प्रकाश सिंघवी, शिरोमणि संरक्षक शांतिलाल वेलावत, देवचंद सियावत, खूबचंद सिंघवी, हीरालाल दोशी, भगवतीलाल मिण्डा, चन्द्रसेन, छगनलाल मलावत, गणेशलाल धनावत, गौरवाध्यक्ष मनोहरलाल धनावत, कार्याध्यक्ष मुकेश गोटी, ललित कुणावत, कोषाध्यक्ष मांगीलाल रूपजियोत सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद थे।
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