दक्षिण राजस्थान में पहली बार शॉकवेव लिथोट्रिप्सी तकनीक द्वारा गीतांजली हॉस्पिटल में हुआ सफल इलाज


दक्षिण राजस्थान में पहली बार शॉकवेव लिथोट्रिप्सी तकनीक द्वारा गीतांजली हॉस्पिटल में हुआ सफल इलाज
 

ह्रदय रोग विभाग की टीम ने 74 वर्षीय रोगी को अत्याधुनिक आई.वी.एल (इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिपसी) का उपयोग कर बिना ओपन हार्ट सर्जरी के स्टेंट लगाकर कर दक्षिणी राजस्थान के चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया।
 
दक्षिण राजस्थान में पहली बार शॉकवेव लिथोट्रिप्सी तकनीक द्वारा गीतांजली हॉस्पिटल में हुआ सफल इलाज
आई.वी.एल (इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिपसी) तकनीक इसी वर्ष भारत में आयी है।

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में कोरोना से सम्बंधित सभी नियमों का गंभीरता से पालन करते हुए निरंतर जटिल से जटिल ऑपरेशन व इलाज किये जा रहे हैं। ह्रदय रोग विभाग की टीम ने 74 वर्षीय रोगी को अत्याधुनिक आई.वी.एल (इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिपसी) का उपयोग कर बिना ओपन हार्ट सर्जरी के स्टेंट लगाकर कर दक्षिणी राजस्थान के चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया। इस सफल इलाज करने वाली टीम में इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट की टीम में डॉ. डैनी मंगलानी, डॉ. कपिल भार्गव, डॉ. रमेश पटेल, डॉ.शलभ अग्रवाल, तथा न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डॉ सीताराम बारठ का बखूबी योगदान रहा जिससे कि रोगी को पुनः जीवनदान मिला। 

क्या था मसला

डूंगरपुर निवासी 74 वर्षीय रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल में दिल के फेल होने की स्तिथि में ह्रदय रोग विभाग में भर्ती किया गया। रोगी ने बताया कि पिछले 5 सालों से वह लगातार खांसी, पेशाब निकल जाना, सांस चलना, ज्यादा पसीना होना, बेचेनी एवं लेट न पाने जैसी शिकायते रहती थीं, जिसके लिए वह दवाईयों पर निर्भर थे।

क्या होती है शॉकवेव कोरोनरी लिथोट्रिप्सी तकनीक?

शॉकवेव कोरोनरी लिथोट्रिप्सी एक अनोखी प्रक्रिया है, जिसकी मदद से कोरोनरी आर्टरी डिजीज के एडवांस चरण वाले मरीज का भी इलाज करना संभव हो पाता है, जिनकी धमनी में कैल्शियम इकठ्ठा होने के कारण हार्ड ब्लॉकेज बन जाता है। शॉकवेव कोरोनरी लीथोट्रिप्सी एक एडवांस तकनीक है, जिसमे एक खास गुब्बारे को दिल की नसों द्वारा ले जाया जाता है, जिससे कि जमा हुआ कैल्शियम टूट जाता है। 

डॉ. डैनी ने बताया कि ह्रदय की धमनियों में कैल्शियम का जमा होना और केल्शिफाइड ब्लॉकेज होना हमेशा से ही ह्रदय रोग डॉक्टरों के लिए चिंता का विषय रहा है। इस तरह की परेशानियों से जूझ रहे रोगियों के किये ओपन हार्ट सर्जरी ही विकल्प है। उक्त रोगी की नाज़ुक स्तिथि को देखते हुए शॉकवेव लिथोट्रिप्सी तकनीक द्वारा इलाज करने की एक्सपर्ट कार्डियोलॉजिस्ट टीम द्वारा योजना बनायी गयी। 

डॉ. डैनी ने बताया कि जब इस रोगी को जब गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया उस समय रोगी के दिल की स्तिथि बहुत ही नाज़ुक थी, मेजर सर्जरी में भी बहुत रिस्क हो सकता था। ऐसे में नवीनतम तकनीक शॉकवेव लिथोट्रिप्सी द्वारा बहुत ही कम समय में रोगी की अत्याधिक कैल्शियम वाली धमनी को स्टेंटटिंग कर ठीक किया गया| अब रोगी स्वस्थ है, एवं हॉस्पिटल द्वारा छुट्टी दे दी गयी है। “अभी तक शॉकवेव लिथोट्रिप्सी तकनीक सिर्फ भारत के महानगरों में ही उपलब्ध थीं, गीतांजली हॉस्पिटल में इस तकनीक द्वारा उपचार होना दक्षिण राजस्थान की बहुत बड़ी उपलब्धि है।”

जी.एम.सी.एच सी.ई.ओ प्रतीम तम्बोली ने बताया कि आई.वी.एल (इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिपसी) तकनीक इसी वर्ष भारत में आयी है। गीतांजली हॉस्पिटल में इस तकनीक द्वारा सफल इलाज सम्पूर्ण दक्षिण राजस्थान के लिए गर्व की बात है। गीतांजली हॉस्पिटल का उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाकर दूर- दूर से आने वाले रोगीयों को सभी विश्वस्तरीय सुविधाओं से लाभान्वित करना है जिससे कि सभी रोगी बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें। 

गीतांजली मेडिसिटी पिछले 13 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चुर्मुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है। यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं। गीतांजली ह्रदय रोग विभाग की कुशल टीम के निर्णयानुसार रोगीयों का सर्वोत्तम इलाज हार्ट टीम अप्प्रोच द्वारा निरंतर रूप से किया जा रहा है जोकि उत्कृष्टा का परिचायक है। 

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