श्री महावीर युवा मंच संस्थान का ग्रीष्मकालीन शिविर सृजन का आगाज
महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने कहा कि जमाने के साथ कदमताल करते हुए हॉबी क्लासेज के शिविर लगाना आवश्यक हो गया है लेकिन साथ ही ऐसे षिविरों में संस्कार भी देने चाहिए जिससे हम अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रख सकें।
महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने कहा कि जमाने के साथ कदमताल करते हुए हॉबी क्लासेज के शिविर लगाना आवश्यक हो गया है लेकिन साथ ही ऐसे षिविरों में संस्कार भी देने चाहिए जिससे हम अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रख सकें।
वे शनिवार दोपहर थोब की बाड़ी में श्री महावीर युवा मंच संस्थान महिला प्रकोष्ठ की ओर से पन्द्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन एवं संस्कार षिविर ‘सृजन-2015Ó के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चों में संस्कार मां की कोख से आ जाते हैं। बच्चा पिता से अधिक मां के पास रहता है, इसलिए नारी शक्ति की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। समाज का जमाने के साथ कदमताल करना अच्छा है। जो समाज नहीं चल पाता, वह पिछड़ जाता है। ऐसे में संस्थान द्वारा आयोजित ऐसे शिविर सराहनीय हैं।
संस्थान के मुख्य संरक्षक राजकुमार फत्तावत ने कहा कि गत वर्ष संस्थान ने नारी जागरण वर्ष के रूप में पूरे वर्ष भर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। सामाजिक एकता के लिए संस्थान पिछले 35 वर्षों से कार्यक्रम करता आ रहा है। ऐसा मेरा अनुभव है कि घर में बड़े-बूढ़ों के लिए चरण स्पर्श करना चाहिए जिससे आपका दिन बहुत अच्छा निकलेगा।
अध्यक्षता करते हुए समाजभूषण किरणमल सावनसुखा ने कहा कि जैन समाज के ऐसे शिविरों को प्रोत्साहन मिलते रहना चाहिए। षिविरों में अपनी रूचि के अनुसार शौक पूरे कर सीखते तो हैं ही, कई उन्हें अपना प्रोफेषन भी बना सकते हैं। पन्द्रह दिनों में महिलाएं बहुत कुछ सीखेंगी। समाज ऐसे शिविर लगाता रहे, इसके लिए प्रोत्साहन हमेशा मिलता रहेगा।
विशिष्ट अतिथि थोब की बाड़ी श्रीसंघ के अध्यक्ष वीरचंद मेहता ने कहा कि महिलाएं, बालिकाएं समाज के लिए बहुत कुछ कर सकती हैं। उन्हें मौका मिलने की जरूरत है। संस्थान ये यह अवसर उपलब्ध कराया है तो उसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। श्रीसंघ के उपाध्यक्ष सुभाष मेहता ने कहा कि संस्थान काफी समय से यह शिविर लगा रहा है, महिलाओं के लिए यह सराहनीय है। ऐसे शिविरों के लिए संस्था का यह परिसर हमेशा उपलब्ध रहेगा।
स्वागत उद्बोधन देते हुए महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष विजयलक्ष्मी गलुण्डिया ने कहा कि शिविर यानी सुसंस्कारों का सिंचन करना। पन्द्रह दिनों में लोगों को बहुत कुछ सिखाया जाएगा। अतिथियों का उपरणा ओढ़ा, स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। इससे पूर्व सुमन नाहर, प्रमिला नागौरी, मंजू फत्तावत एवं पुष्पा सुराणा ने मंगलाचरण किया। आभार मुख्य संरक्षिका आशा कोठारी ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में श्याम नागौरी, मनीष गलुण्डिया सहित कई पदाधिकारी मौजूद थे।
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